उत्तराखंड BJP प्रदेश अध्यक्ष का कांग्रेस पर पलटवार, गोदियाल से लेकर हरीश रावत तक को घेरा…!

by intelliberindia

देहरादून: भाजपा ने कांग्रेस पर विपक्ष में रहकर भी अस्थिर रहने का तंज कसते हुए, पावन धामों को लेकर राजनीति बंद करने की सलाह दी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष  महेंद्र भट्ट ने पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व सीएम हरीश रावत, गणेश गोदियाल समेत कांग्रेसियों के आरोपों पर सिलसिलेवार ढंग से पलटवार किया।

भाजपा ने राज्य एवं ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाई, विकास किया, कांग्रेस ने सिर्फ राजनीति की

स्थाई राजधानी बनाने को लेकर हरदा के दावों की हवा निकालते हुए महेंद्र भट्ट ने कहा पृथक राज्य भाजपा ने बनाया, ग्रीष्मकालीन राजधानी भाजपा ने बनाई और वहां विकास के कार्य भी हमनें ही कराए और आगे जो भी विकास कार्य होंगे उन्हें हमारी सरकार ही कराने वाली है।

आज हरदा जो दावा कर रहे हैं वह पूरी तरह सफेद झूठ है, क्योंकि असंतुष्ट विधायकों के कांग्रेस छोड़ने के बाद भी वे लंबे समय बहुमत के साथ सत्ता में थे, लेकिन स्थाई राजधानी की कोई चर्चा तक नही की । उम्र के इस पड़ाव में अक्सर इंसान मतिभ्रम का शिकार हो जाता है और मीडिया की सुर्खियां बनने के लिए बयानबाजी करता है।

सरकार स्थिर, कांग्रेस विपक्ष में रहकर भी अस्थिर है

न्होंने एक निर्दलीय विधायक के बयान के आधार पर सरकार की स्थिरता को लेकर कांग्रेस के आरोपों पर तंज किया कि कांग्रेस विपक्ष में रहकर भी अस्थिर है। वहां विधायकों से लेकर संगठन के अध्यक्ष से लेकर मंडल तक सभी लोगों की आपस में सिरफुटौव्वल है। उन्होंने सवाल किया कि हमारे पास 47 विधायक हैं, ऐसे में जो लोग सरकार की अस्थिरता की बात कर रहे हैं वे कहीं न कहीं ऐसी साजिशों में लिप्त हैं ।

गोदियाल सक्षम व्यक्ति, चाहे तो पूरी पेंशन छोड़े और अन्य समृद्ध साथियों को भी प्रेरित करें

उन्होंने गणेश गोदियाल के बढ़े हुए वेतन भत्ते नहीं लेने के सवाल पर जवाब देते हुए कहा, वे बड़े कारोबार वाले समृद्ध विधायक हैं। उन्हें तो पेंशन में हुई वृद्धि के साथ पूरी पेंशन भी छोड़ देनी चाहिए। उनके बहुत से साथी विधायक भी हैं जो आर्थिक दृष्टि से सक्षम हैं, उन सभी से उन्हें आग्रह करना चाहिए वे अपने वेतन भत्ते या अन्य सुविधाएं छोड़ दें।

यदि त्यागना ही है तो वह एक निजी निर्णय है, उसको प्रचार के लिए इस्तेमाल करना ठीक नहीं है । जहां तक सरकार का सवाल है तो उसने इस मसले में सदन के बहुमत का सम्मान किया है क्योंकि हम मानते हैं कि जनप्रतिनिधि को जनहित में काम करने के लिए बहुत सी जरूरत होती है ।

धामी सरकार ने धाम आधारित मंदिरों पर हमेशा के लिए रोक लगाई

उन्होंने गोदियाल के दिल्ली में केदार मंदिर निर्माण पर लगी रोक को लेकर पूछे सवालों का जवाब देते हुए कहा, मुख्यमंत्री धामी के प्रयासों से अब देश में कहीं भी राज्य के पावन धाम के नाम पर कोई ट्रस्ट नही बना सकता है। इसी क्रम में सरकार के प्रयासों से दिल्ली में बन रहे केदारनाथ मंदिर पर पूरी तरह से रोक लग गई है। जहां तक सवाल हैं भूमि एवं दान राशि की तो सभी जानते हैं कि किसी भी संस्था एवं ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन निश्चित नियमों के तहत सोसाइटी ऑफिस में होता है । उसके बैंकिंग संचालन को लेकर पूर्व निर्धारित प्रक्रिया होती है और कोई भी उसमें सीधा दखल नहीं दे सकता है।

लिहाजा सिर्फ और सिर्फ सरकार के ऊपर सवाल खड़ा करने एवं राजनीति करने के लिए अतार्किक बयानबाजी करने से उन्हें बचना चाहिए। यदि उनके पास कोई विशेषज्ञता है तो दिल्ली ही नहीं, मुंबई समेत देश भर में बद्री केदार के नाम से बन रहे मंदिरों के नाम पर जमा पैसे को भी उन्हें श्री बद्री केदार मंदिर समिति को दिलाना चाहिए। साथ ही चेताया कि गोदियाल एवं कांग्रेस नेताओं को श्री केदारनाथ धाम को लेकर अति राजनीति से बचना चाहिए अन्यथा बाबा के प्रकोप से बच नहीं पाएंगे।

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