विकसित कृषि संकल्प अभियान : वैज्ञानिकों ने गाँव पहुँच कर सुनी किसानों की समस्याएँ

by intelliberindia
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के वैज्ञानिकों ने देहरादून जिले के 13 गांवों के 596 किसानों से की बातचीत
  • वैज्ञानिकों ने गाँव पहुँच कर जाना किसानों की समस्याओं को, सलाह और व्यावहारिक समाधान भी सुझाए गए
  • आवश्यक है निरंतर और पारदर्शी सहयोग : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद

देहरादून : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (आईसीएआर=आईआईएसडब्लूयसी) देहरादून ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए सम्बंधित सरकारी विभागों से निरंतर और पारदर्शी सहयोग की अत्यंत आवश्यकता को उजागर किया है। विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 के दौरान किसानों ने लगातार यह बताया कि उन्हें विभागों के अधिकारियों से बहुत सीमित सहायता प्राप्त हो रही है।

किसानों को कृषि उत्पादकता में बाधा पहुँचाने वाली कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी की सीमित उपलब्धता के कारण किसानों को उनके लिए लागू योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी बहुत सीमित रूप से उपलब्ध है। इसी प्रकार भौगोलिक बाधाएँ जैसे ऊँचाई, दुर्गम, स्थलाकृति और सीमित सड़क नेटवर्क के कारण सरकारी अधिकारी किसानों के खेतों तक नहीं पहुँच पाते। साथ ही स्टाफ की कमी और अन्य दायित्वों के कारण अधिकारी किसानों को प्रभावी सहायता नहीं दे पा रहे। इन समस्याओं को दूर करने और उच्च अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप सहायता सुनिश्चित की जा सके।

इसी कड़ी में आईसीएआर-आईआईएसडब्लूयसी ने पांच वैज्ञानिक दलों को तीन जून को 13 गाँवों में किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए तैनात किया। इन टीमों ने किसानों की समस्याएँ जानी और पहचानी। इनमें वन्यजीव क्षति में जंगली सूअर, मोर, बंदर, खरगोश और भौंकने वाले हिरण जैसी प्रजातियों द्वारा फसलों को नुकसान प्रमुख है। साथ ही फसल रोग बीन्स, कोलोकेसिया, मक्का, चना, अदरक, गन्ना और पॉपलर जैसी फसलों में रूट रॉट, स्टेम बोरर, सूत्रकृमि, पत्तियों का सूखना और पौधों का मरना भी शामिल है। सिंचाई की चुनौतियों में पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था न होना और जल की कमी शामिल है। बाजार संबंधी समस्याओं में दुर्गम भौगोलिक स्थिति के कारण उत्पादन और विपणन में कठिनाई शामिल है।

इन 13 गाँवों में टीमों ने किया भ्रमण

  • सहसपुर ब्लॉक: किमाड़ी, नौभागा, रिक्खोली
  • रायपुर ब्लॉक: धारकोट, कटकोड़, सिमियांड
  • भगवानपुर ब्लॉक: बुग्गावाला, छंगामाजरी, शिसोना
  • चकराता ब्लॉक: होडा, कोरुवा, सैंज

इस दौरान वैज्ञानिकों ने इन 13 गांवों के 596 किसानों से बातचीत की, उनकी समस्याओं को सुना और स्थल विशेष कृषि सलाह प्रदान की। खरीफ फसलों के लिए वैज्ञानिक सलाह और व्यावहारिक समाधान भी सुझाए गए, ताकि स्थानीय चुनौतियों का समाधान हो सके और उत्पादकता में सुधार हो। विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 जो 29 मई से 12 जून 2025 तक चल रहा है, किसानों को वैज्ञानिक कृषि ज्ञान और आधुनिक तकनीकों से सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रव्यापी पहल है।

समन्वय टीम

इस अभियान का संचालन डॉ. मदनु (निदेशक) के मार्गदर्शन में डॉ. बांके बिहारी, डॉ. एम. मुरुगानंदम (प्रधान वैज्ञानिक), अनिल चौहान (सीटीओ), इं. अमित चौहान (एसीटीओ), प्रवीण तोमर (एसटीओ) तथा मीना पंत (पीए) द्वारा किया जा रहा है। यह टीम इस अभियान का अधिकतम उपयोग कर किसानों की समस्याओं का समाधान करने और सतत कृषि के लिए अनुसंधानपरक अंतर्दृष्टियाँ प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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