संतों को होती हैं सामान्य व्यक्तियों से अधिक चिंताएं – श्री महंत डॉ. प्रज्ञा भारती जी

by intelliberindia

 

रुड़की : श्री भवानी शंकर आश्रम रुड़की में 18 से 26 मई तक श्री राम कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के चौथे दिन, श्री महंत डॉ प्रज्ञा भारती जी ने बताया कि अक्सर लोगों के बीच ये धारणा होती है कि चिंता केवल संसारी व्यक्तियों को होती है और संतों को नहीं। लोग यह सोचते हैं कि संत सदा निश्चिन्त रहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि असल में संतों को संसारी व्यक्तियों से अधिक चिंता सताती है क्योंकि सामान्य व्यक्तियों की चिंता अधिकतर उनकी व्यक्तिगत समस्याओं को लेकर होती है, किन्तु संतों की चिंता तो समस्त संसार को लेकर होती है। संतों की चिंता सदा इस विषय से जुडी होती है कि संसार का कल्याण कैसे हो, कैसे संसार के पीड़ितों का उद्धार हो और उनकी पीड़ाओं का अंत हो, कैसे संसार के सभी मनुष्य, जीव-जंतु और वनस्पतियां सुखपूर्वक और बिना कष्ट के रह सकें। अतः संतों की चिंता के विषय सामान्य मनुष्यों की चिंताओं से बहुत अधिक होते हैं।

उन्होंने आगे श्री राम कथा में उस प्रसंग का उल्लेख किया जिसमे ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से श्री राम को राक्षसों के वध हेतु मांगने आये थे। जब राजा दशरथ संकोच में पड़े और ऋषिवर से कहने लगे के राम अभी छोटे हैं, और यदि ऋषि आज्ञा दें तो वे राक्षसों के वध हेतु अपनी पूरी सेना भेज दें, तो ऋषि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से कहा कि वे राक्षसों को केवल मरना नहीं, अपितु उन्हें तारना चाहते हैं। श्री राम के हाथों मृत्यु को प्राप्त होकर उन राक्षसों का कल्याण होगा, इस कारण वे राम के ही हाथों यह कार्य करवाना चाहते थे। इस प्रसंग से श्री महंत डॉ प्रज्ञा भारती जी ने श्री राम की महिमा का बखान किया। बता दें कि श्री रामकथा का भव्य आयोजन श्री महंत रीमा गिरी जी और श्री महंत त्रिवेणी गिरि जी के पर्यवेक्षण में हो रहा है।

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