बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्।
मासानां मार्गशीर्षोडहमृतूनां कुसुमाकरः।।
अयोध्या : भगवान श्रीकृष्ण ने गीता जयंती एवं इस माह की महत्ता का प्रतिपादन अपनी गीता के 10वें अध्याय के 35वें श्लोक में कहते है कि मैं सामवेद के गीतों में बृहत्साम हूं और छन्दो में गायत्री हूं तथा समस्त 12 महीनों में मार्गशीर्ष (अगहन) तथा समस्त ऋतुओं में फूल खिलाने वाली बसंत ऋतु हूँ । इसी माह के शुक्ल पक्ष में भगवान श्रीराम का विवाह भी हुआ था। इसी माघ महीने में आज से 5182 वर्ष पूर्व कुरूक्षेत्र के मैदान में लगभग 45 घड़ी में योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने एकादशी के दिन उपदेश दिया था तथा अगले दिन द्वादशी के दिन से युद्व प्रारम्भ हुआ था इसमें पांडव पक्ष के योद्वा कुरूक्षेत्र के मैदान में पश्चिम की तरफ मुख किये हुये थे तथा कौरव वंश के योद्वा पूरब की तरफ मुख किये थे और युद्व 18 दिन तक चला था, शेष बातें महाभारत के विस्तृत रूप से है परन्तु यह युद्व मुख्य रूप से नारायण श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में महान योद्वा गंगा जी के पुत्र भीष्म सूर्य पुत्र कर्ण, इन्द्र पुत्र अर्जुन के मध्य हुआ था ऐसा युद्व पूरे विश्व में कभी नही हुआ और न कभी होगा। इसी युद्व से परम पावन मां गंगा की तरह मां गीता निकली थी जो आज सभी को अपने तात्विक एवं पवित्रता से मोक्ष की ओर प्रेरित करती है। आज हम इस अवसर पर भगवान के साथ साथ उनके समस्त अनुवायियों एवं वीरों को नमन करते है।
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।
ब्रहम संहिता का पहला श्लोक
ईश्वर परम कृष्णा सच्चिदानन्द विग्रह, अनादिरादि गोविन्दा सर्वकारण कारणः।
रामो विग्रहवान धर्मः अर्थात कृष्ण नारायण है और राम का विग्रह ही धर्म है।।