निःसंतान दंपति की आस होती है माँ सती शिरोमणी अनसूया देवी के दर पर पूरी

by intelliberindia

चमोली : जिले की मंडल घाटी स्थित सती शिरोमणी माँ अनुसूया को लेकर मान्यता है माँ के दर से निःसंतान दंपति की आस पूरी होती है। जिसके चलते प्रतिवर्ष दत्तात्रेय जयंती पर आयोजित होने वाले इस मेले में बड़ी संख्या में बरोही (निःसंतान दंपती) संतान प्राप्ति की कामना लेकर पहुंचते हैं। मंदिर समिति के अध्यक्ष विनोद राणा और भगत सिंह बिष्ट का कहना है कि मेले के दौरान पहले दिन बरोही माँ अनसूया के साथ पांच बहनों के सानिध्य में आयोजित अनुष्ठान में भाग लेते हैं। जहां से उन्हें संतान का प्राप्ति का वरदान मिलता है।

ये है माँ सती शिरोमणी अनसूया देवी मंदिर की पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता अनसूया ने अपने तप के बल पर ’त्रिदेव’ (ब्रह्मा, विष्णु और शंकर) को शिशु रूप में परिवर्तित कर पालने में खेलने पर मजबूर कर दिया था। बाद में काफी तपस्या के बाद त्रिदेवों को पुनः उनका रूप प्रदान किया और फिर यहीं तीन मुख वाले दत्तात्रेय का जन्म हुआ। इसी के बाद से यहां संतान की कामना को लेकर लोग आते हैं। यहां ’दत्तात्रेय मंदिर’ की स्थापना भी की गई है। मंदिर के पुजारी प्रदीप सेमवाल का कहना है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मां अनुसूया के सतीत्व की परीक्षा लेनी चाही थी, तब उन्होंने तीनों को शिशु बना दिया। यही त्रिरूप दत्तात्रेय भगवान बने। उनकी जयंती पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है।

कैसे पहुंचे माँ सती शिरोमणी अनसूया देवी मंदिर

चमोली-ऊखीमठ सड़क पर मंडल गांव से चार किमी पैदल दूरी तय कर सुंदर और खूबसूरत जंगल के बीच अनसूया मंदिर पहुंचा जा सकता है। यहां मंदिर परिसर में स्थित पेड़ पर अटका पत्थर जहां तीर्थयात्रियों के कौतूहल का केंद्र हैं। वहीं मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित अत्रि मुनी आश्रम जल प्रपात भी प्रकृति की अद्वितीय कलाकारी है। यह राज्य का एकमात्र प्रपात है, जिसकी परिक्रमा की जा सकती है।

 

Related Posts