- स्ट्रॉबेरी की खेती सफलता की कहानी
मंगलौर/हरिद्वार : जनपद हरिद्वार रूडकी तहसील के मंगलौर क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की फसल ने अब तक कई किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान की है, जिसके परिणाम देखते हुए अन्य स्थानों में भी इस खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसके तहत किसानों को प्रशासन व सरकार द्वारा हरसंभव मदद की जा रही है।
स्ट्रॉबेरी की खेती को बढावा दिये जाने हेतु उद्यान विभाग द्वारा 50 प्रतिशत राजकीय सहायता दी जा रही है। हाई वैल्यू क्रॉप होने के कारण एवं बाजार में बढती मांग के चलते कृषकों द्वारा स्ट्रॉबेरी की खेती में रूचि बढ़ती जा रही है। उद्यान विभाग द्वारा भी स्ट्रॉबेरी की खेती को बढावा दिये जाने हेतु कृषकों को डीबीटी के माध्यम से सरकारी सहायता प्रदान कर लाभान्वित किया जा रहा है। विगत वर्ष विभाग द्वारा जिला योजनान्तर्गत 10 हैक्टेयर क्षेत्रफल में स्ट्रॉबेरी की खेती को बढावा दिये जाने हेतु 15 कृषकों की डीबीटी माध्यम से 50 प्रतिशत राजकीय सहायता उपलब्ध कराकर लाभान्वित किया गया है।
कृषकों द्वारा अवगत कराया गया है कि स्ट्रॉबेरी की खेती पर प्रति हैक्टेयर कुल लागत 4-5 लाख रूपये तक आती है। प्रति हैक्टेयर उत्पादन 100-120 क्विंटल तक प्राप्त होता है। जिसकी बाजार मूल्य के अनुसार लागत मूल्य के सापेक्ष 7-8 लाख रूपये तक शुद्ध लाभ प्राप्त होता है। वर्तमान में लगभग 25 हैक्टेयर क्षेत्रफल में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है। जनपद हरिद्वार में मंगलौर, पीरपुरा, जमालपुर कलां, पिरान कलियर, अकबरपुर झोझा, खजूरी आदि ग्रामों में स्ट्रॉबेरी की खेती को अपनाकर आय में वृद्धि की जा रही है।
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए भूमि
स्ट्रॉबेरी की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जाती है। इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी या उचित जल निकासी वाली मिट्टी अच्छी मानी जाती है।
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए खेत की तैयारी
स्ट्रॉबेरी फसल की खेती में खेत की अच्छी तैयारी किया जाना बहुत जरूरी होता है। स्ट्रॉबेरी की खेती से पहले जमीन की अच्छे से जुताई कर लें। मिट्टी को पलटने वाले हल का चुनाव जुताई के लिए करें। इसके बाद खेत को खुला छोड़ दें। इससे खेत में मौजूद खरपतवार जो फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं, वो नष्ट हो जायेंगे। 70 से 75 टन पुरानी सड़ी खाद या जैविक खाद प्रति एकड़ डालें। खाद डालने के बाद दुबारा मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई कर दें। उर्वरक के तौर पर 60 किलोग्राम पोटाश और 100 किलोग्राम फॉस्फोरस डालें।
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सिंचाई
स्ट्रॉबेरी की खेती में किसान भाई फुहारों वाली सिंचाई ज्यादा पसंद करते हैं। क्योंकि इससे पानी की खपत भी कम होती है और उत्पादन भी अच्छा होता है। स्ट्रॉबेरी में जब फल आ जाए तो सूक्ष्म फव्वारे की मदद से सिंचाई कर सकते हैं। इससे स्ट्रॉबेरी की फसल को नुकसान नहीं पहुंचता है।
स्ट्रॉबेरी की खेती में रोग
स्ट्रॉबेरी की खेती में किसानों को कई बार कुछ फसल रोगों का सामना करना पड़ता है। जैसे फसल में कीट,पतंगे, मक्खियां, चेफड़ आदि लग जाती है। इन कीटों के उपचार के लिए नीम पानी का छिड़काव और नीम की खल को जड़ में डाल सकते हैं। इसके अलावा कृषि सलाहकार की मदद से रोग के अनुरूप कीटनाशक स्प्रे का भी छिड़काव कर सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी की प्रमुख प्रजातियां
किसी भी खेती के लिए किसान को अच्छी किस्म का चुनाव करना होता है। अच्छी किस्म का चुनाव करके ही अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। क्योंकि बीज और किस्म किसी भी फसल का बेसिक जरूरत है।
स्ट्रॉबेरी की पैदावार
स्ट्रॉबेरी की फसल से किसान अच्छी पैदावार ले सकते हैं। सामान्यतः एक पौधे से 800 से 900 ग्राम स्ट्रॉबेरी की पैदावार हो सकती है। वहीं यदि फसल का सही प्रबंधन कर लिया जाए तो एक एकड़ में 80 से 100 क्विंटल स्ट्रॉबेरी फलों का उत्पादन लिया जा सकता है।
स्ट्रॉबेरी सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद
बेरी एक रसीला स्वादिष्ट फल है। फलों को सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद और गुणकारी माना जाता है। स्ट्रॉबेरी दिखने में भले ही छोटा सा लगे लेकिन ये अपने अंदर गुण बड़े-बड़े भरे हुए है। स्ट्रॉबेरी को बहुत से व्यंजन में गार्निशिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। रोजाना स्ट्रॉबेरी के सेवन से शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं। असल में इसमें पाए जाने वाले गुण इम्यूनिटी को बढ़ाने में मददगार माने जाते हैं। मजबूत इम्यूनिटी शरीर को कई संक्रमण से बचाने में मदद कर सकती है। बता दें कि स्ट्रॉबेरी दुनियाभर में पसंद किया जाने वाला फल है। इसका इस्तेमाल लोग खाने के साथ मिल्कशेक, जेली, जैम से लेकर पेस्ट्री बनाने तक में करते हैं।
क्या कहते हैं मुख्य उद्यान अधिकारी हरिद्वार
मुख्य उद्यान अधिकारी हरिद्वार तेजपाल सिंह ने बताया कि जनपद में स्ट्रॉबेरी की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए वित्तीय वर्ष 2024-25 में 12 हैक्टेयर क्षेत्रफल में स्ट्रॉबेरी क्षेत्रफल विस्तार का कार्य विभाग द्वारा किया जा रहा है जिसमे 24 कृषको को लाभान्वित किया जाएगा। आगामी वर्षों में स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ाने हेतु जिला योजनान्र्न्तगत / केन्द्र पोषित योजनाओ से कृषको को आच्छादित किया जाएगा साथ ही स्ट्रॉबेरी के क्षेत्र से जुडे कृषको को स्ट्रॉबेरी पैकेजिंग एवं मूल्य संवर्धन हेतु पैकेजिंग सामाग्री भी राजसहायता पर उपलब्ध करायी जाऐगी।