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ऋषिकेश : 1 फरवरी 2004 को जब एम्स ऋषिकेश के अस्पताल भवन की आधारशिला रखी गई थी तो उस दौरान तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि देवभूमि उत्तराखंड में ’एम्स ऋषिकेश’ भविष्य में राज्यवासियों के लिए वरदान साबित होगा और हुआ भी यही। अस्पताल भवन के निर्माण के बाद 27 मई 2013 से यहां मरीजों के स्वास्थ्य जांच के लिए ओपीडी की सुविधा शुरू कर दी गई। इसके 8 महीने बाद 30 दिसम्बर 2013 से आईपीडी और फिर 2 जून 2014 से सर्जरी की सुविधा शुरू होने से न केवल उत्तराखंड बल्कि आस-पास के राज्यों से भी मरीजों ने एम्स ऋषिकेश में इलाज कराना शुरू कर दिया। अस्पताल भवन की नींव पड़ने से लेकर आज तक लगभग 20 वर्षों के सफर में एम्स ने न केवल स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में नित नए सोपान खड़े किए अपितु विश्वस्तरीय मेडिकल तकनीक से युक्त सुविधाएं प्रदान करते हुए विशेष उपलब्धियां भी हासिल की हैं। एम्स पहुंचने वाले मरीजों की संख्या की बात करें तो आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2013 में ओपीडी शुरू होने से 31 दिसम्बर 2023 तक एम्स की ओपीडी में 46 लाख 2 हजार 329 मरीजों ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराया है और 3 लाख 15 हजार 601 से अधिक मरीज अब तक इस अस्पताल में उपचार हेतु भर्ती किए जा चुके हैं।
वर्ष 2013 में ओपीडी की शुरुआत होने के बाद धीरे-धीरे नई मेडिकल तकनीकों के स्थापित होने से यहां स्वास्थ्य सेवाओं ने रफ्तार पकड़नी शुरू की और मेडिकल सुविधाओं के विकसित होने से एम्स के खाते में कई उपलब्धियां दर्ज होती चली गईं। यह उत्तर भारत का अकेला सरकारी स्वास्थ्य संस्थान है, जहां एक ही समय में 3 से अधिक हेली एम्बुलेंस को लैंड कराया जा सकता है। इसके अलावा दैनिक तौर पर संचालित होने वाली विभिन्न 33 विभागों की ओपीडी सेवाओं सहित वर्तमान में यहां 100 से अधिक आफ्टरनून क्लीनिकों का नियमित स्तर पर संचालन किया जा रहा है। इन क्लीनिकों में लंग कैन्सर, ब्रोनिकल अस्थमा, कार्डिक इलेक्ट्रोफिजियोलाॅजी, एआरटी, पीडियाट्रिक डेर्मोटोेलाॅजी, सीओपीडी, काॅर्निया, काॅस्मेटिक, फीवर, ग्लूकोमा, हार्ट फीलियर, ज्वाइंट रिप्लेसमेन्ट, स्पेशियल इमेरजन्सी मेडिसिन, स्पोर्ट्स इन्जूरी, स्लीप डिसऑर्डर और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी आदि विभागों के आफ्टरनून क्लीनिक शामिल हैं। दैनिकतौर पर एम्स ऋषिकेश में 2500 से 3000 मरीज ओपीडी में अपना पंजीकरण कराते हैं।
उल्लेखनीय है कि अपने अनुभवी चिकित्सकों की टीम और नर्सिंग स्टाफ के बदौलत कोविड काल में एम्स ऋषिकेश ने हजारों लोगों का जीवन बचाया है। तब जबकि अन्य अस्पतालों ने कोविड मरीजों के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए थे, ऐसे में एम्स ऋषिकेश ने कोविड मरीजों के इलाज को अपनी पहली प्राथमिकता बनाया और अस्पताल के हेल्थ केयर वर्करों ने अपने स्वास्थ्य की परवाह नहीं कर दिन-रात कोविड मरीजों की सेवा की। इस समयांतराल में वह विशेष दिन भी आया जब देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी 7 अक्टूबर 2021 को एम्स ऋषिकेश पहुंचे और उन्होंने प्रधानमन्त्री केयर फंड से स्थापित ऑक्सीजन प्लांट का उद्घाटन कर इस संयत्र को रोगियों की सेवा में समर्पित किया। 1000 लीटर प्रति मिनट उत्पादन क्षमता वाले इस ’पीएसए ऑक्सीजन प्लांट’ से आज भी निर्बाध रूप से ऑक्सीजन का उत्पादन जारी है। जो अस्पताल में भर्ती गंभीर किस्म के रोगियों को ’प्राण वायु’ उपलब्ध करा रहा है।
संस्थान की निदेशक प्रोफेसर (डाॅ.) मीनू सिंह ने बताया कि गरीब से गरीब व्यक्ति का समुचित और बेहतर इलाज करना एम्स की प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि यह अस्पताल विशेषतौर से गरीबों की सेवा के लिए ही बना है। गरीबों के लिए संचालित आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना के बारे में उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में शुरू हुई ’आयुष्मान भारत’ योजना के तहत 30 दिसम्बर 2023 तक कुल 1 लाख 20 हजार 819 लोगों का इलाज किया जा चुका है। इनमें से 83 हजार 490 मरीज उत्तराखण्ड के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में एम्स में 2-3 ऑपरेशन थियेटर ही थे, लेकिन वर्तमान में यहां 54 ऑपरेशन थियेटर हैं। नए थियेटरों के स्थापित होने से एक ही समय में कई मरीजों की सर्जरी की जा सकती हैं। 300 बेड से शुरू होने वाला यह अस्पताल आज 960 बेडों से सुसज्जित है। इसके अलावा यंहा ट्राॅमा सेन्टर के निकट 42 बेड का ’चाईल्ड इमरजेन्सी वार्ड’ लगभग बनकर तैयार है, जबकि 150 बेड क्षमता का क्रिटिकल केयर अस्पताल भवन भी निर्माणाधीन है। इसके अलावा कुमाऊं के ऊधमसिंह नगर के किच्छा में 300 बेड के सुपर स्पेशिलिटी सेंटर का कार्य शुरू हो चुका है।
एम्स की इन उपलब्धियों के लिए उन्होंने अपने डाॅक्टरों व नर्सिंग अधिकारियों की टीम सहित समस्त स्टाफ की मेहनत बताया और उनके योगदान की सराहना की। भविष्य की योजनाओं के बारे में प्रोफेसर मीनू सिंह ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 200 एकड़ भूमि एम्स को दी जानी प्रस्तावित है। भूमि प्राप्त होने पर वहां उन्नत बाल चिकित्सा केन्द्र, कैंसर सेन्टर, कार्डियक सेन्टर, न्यूरोलाॅजी सेन्टर, हार्ट लंग्स सेन्टर, ट्रांसप्लान्ट सेन्टर, अंतरराष्ट्रीय सिमुलेशन सेन्टर, फार्मेसी इंस्टीट्यूट, पैरामेडिकल साईंसेस इंस्टीट्यूट, दन्त चिकित्सा महाविद्यालय, एकेडेमिक ब्लाॅक और प्रशासनिक ब्लाॅक आदि योजनाएं विकसित की जाएंगी। उन्होंने बताया कि एम्स में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन ओपीडी मरीजों के सापेक्ष अस्पताल में बेड कम पड़ रहे हैं। इसके लिए संस्थान का प्रयास है कि भूमि मिलने पर अस्पताल भवन का विस्तारीकरण कर बेडों की संख्या 3 हजार तक कर दी जाए। प्रोफेसर मीनू सिंह ने इसके लिए राज्य सरकार की मदद की आवश्यकता बताई।