- पढ़ाई का जूनून ऐसा कि रोज 07 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाती थी निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य सीमा सजवाण, बेहद प्रेरक है कहानी!
कोटद्वार/गढ़वाल : जनपद पौड़ी गढ़वाल के एकेश्वर ब्लॉक की कोटा जिला पंचायत सीट से निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य सीमा सजवाण की कहानी बड़ी प्रेरणादायक है। जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाने वाली सीमा सजवाण ने अपने जीवन की कहानी से हमें यह सिखाया है कि अगर हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है, तो हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। उनकी कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे एक छोटे से गाँव की लड़की अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से एक सफल राजनेता बन सकती है।
सीमा सजवाण का जन्म जनपद पौड़ी गढ़वाल के ग्राम सासौ पट्टी मवाल्स्यू में हुआ था, जहाँ शिक्षा के अवसर सीमित थे। सीमा के पिताजी का नाम जगमोहन सिंह नेगी एवं माताजी का नाम कलावती देवी वह अपने तीन भाई बहनों में से सबसे बड़ी हैं। लेकिन सीमा के दादाजी एवं माता-पिता ने उनकी शिक्षा को महत्व दिया और उन्हें स्कूल भेजने के लिए हर संभव प्रयास किया। सीमा सजवाण ने अपने स्कूल की पढ़ाई के लिए 07 किलोमीटर प्रतिदिन पैदल चलकर जाती थीं। यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी, लेकिन सीमा ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी पढ़ाई में कड़ी मेहनत की और जल्द ही अपने स्कूल में एक उत्कृष्ट छात्रा के रूप में पहचानी गईं।
सीमा की प्रारम्भिक शिक्षा अपने गाँव से ही हुई है उस समय कक्षा 05 में भी बोर्ड होता था जिसकी परीक्षा भी दुसरे विद्यालय में होती थी उन दिनों कक्षा 05 की बोर्ड परीक्षा सीमा ने प्राथमिक विद्यालय कोटा में दी। जिसके बाद आगे की शिक्षा के लिए सीमा ने उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मवाणीधार में प्रवेश ले लिया जहाँ से उन्होंने कक्षा 10 की परीक्षा उत्तीर्ण की ।
कक्षा 10 की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत फिर से आगे की पढाई इंटरमीडिएट के लिए फिर से स्कूल की समस्या उत्पन्न हो गई क्योंकि उस समय आस पास कोई भी इंटरमीडिएट विद्यालय नही था । अब जो विद्यालय था वह गाँव से 07 किलोमीटर दूर एक मात्र इंटरमीडिएट कॉलेज था जनता इंटर कॉलेज इन्दिरापुरी । सीमा के पिताजी ने सीमा का एडमिशन इंटर कॉलेज में करा दिया जहाँ पर वह अपनी एक सहेली के साथ प्रतिदिन स्कूल जाती थी । सीमा सजवाण ने बताया कि जब पहले दिन वह स्कूल गये तो उनके पैर सूज गये और छाले भी पड़ गये थे । क्योंकि विद्यालय जाने के लिए प्रतिदिन 07 किलोमीटर चलना पड़ता था और विद्यालय से घर आने के लिए भी 07 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था । प्रतिदिन पैदल चलकर स्कूली पढाई पूरी की और 1997 में इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की ।
कक्षा 12 के बाद फिर से आगे की पढाई के लिए पहाड़ में पहाड़ जैसी समस्या फिर से खड़ी हो गई क्योंकि आस पास कोई भी महाविद्यालय नहीं था । एक डिग्री कॉलेज था वह पौड़ी में था जोकि सीमा के गाँव से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर था । जिसके कारण सीमा ने आगे की पढाई प्राइवेट शिक्षा के रूप में ली और स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की उसके बाद सीमा ने आगे पढाई अपने विवाह के उपरांत की । जिसमें उनके पति संजय सजवाण ने उनको परास्नातक एवं बीएड उत्तीर्ण कराने में अहम भूमिका निभाई ।
निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य सीमा सजवाण ने अपने क्षेत्र से जिला पंचायत का चुनाव लड़कर चुनाव जीता और अपने क्षेत्र के लिए समर्पित जनप्रतिनिधि बनकर कार्य कर रही हैं । उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए बड़े कार्य किये हैं जिससे क्षेत्र का विकास हो और वहां के रहने वालें ग्रामीणों को इसका पूरा लाभ मिल सकें । सीमा सजवाण की मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा पूरी की और जल्द ही एक सफल राजनेता के रूप में उभरीं। आज, सीमा सजवाण निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं और अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा में समर्पित हैं।
सीमा सजवाण की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि अगर हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है, तो हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए। सीमा सजवाण की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे एक छोटे से गाँव की लड़की अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से एक सफल राजनेता बन सकती है। सीमा सजवाण की कहानी से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा और आत्मविश्वास बहुत महत्वपूर्ण हैं। सीमा सजवाण ने अपनी शिक्षा और आत्मविश्वास के बल पर अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया और आज वह एक सफल राजनेता के रूप में जानी जाती हैं।
आज, सीमा सजवाण की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि अगर हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है, तो हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए। सीमा सजवाण की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे एक छोटे से गाँव की लड़की अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से एक सफल जन प्रतिनिधि बन महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही है ।