बांग्लादेश में इस लड़के ने कराया तख्तापलट, जानें कौन है वो कॉलेज स्टूडेंट?

by intelliberindia

बांग्लादेश में आरक्षण और सरकार विरोधी उग्र प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना को न सिर्फ सत्‍ता, बल्कि देश छोड़कर भागना पड़ा। बांग्लादेश में हसीना सरकार का तख्तापलट नाहिद इस्लाम नाम के एक शख्स के कारण हुआ है। उनके नेतृत्‍व में हुए प्रदर्शनों शेख हसीना की तानाशाही को खत्म करने में अहम भूमिका  निभाई। हम आपको बताते हैं कि नाहिद इस्लाम कौन है, जिसकी वजह से बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया?

बांग्लादेश में इस लड़के ने कराया तख्तापलट

शेख हसीना को  इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने वाले आंदोलन के लीडर नाहिद इस्लाम एक छात्र नेता हैं। वर्तमान में ढाका विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र की पढ़ाई कर रहे हैं। इसके साथ ही नाहिद मानवाधिकार एक्टिविस्ट के तौर पर भी जाना जाता है। नाहिद इस्लाम छात्र संगठन ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के को-ऑडिनेटर भी हैं।

नाहिद इस्लाम की एक अपील पर हिंसा 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मंद पड़ चुके आंदोलन नाहिद इस्लाम की एक अपील पर हिंसक हो गया। आखिर में मजबूर होकर शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी। इतना ही नहीं, उन्हें अपनी जान बचाने के लिए भी बांग्‍लादेश भी छोड़ना पड़ा। हसीना के इस्‍तीफा देने और देश छोड़ने के बाद नाहिद ने अगले 24 घंटे में एक अंतरिम सरकार गठन करने की अपील की।

56% आरक्षण फिर से बरकरार हो गया

हसीना सरकार ने साल 2018 में अलग-अलग समुदाय को मिलने वाला 56% आरक्षण खत्म कर दिया था, लेकिन इसी साल जून में ढाका हाई कोर्ट ने इस फैसले का पलट दिया। इसके बाद  56% आरक्षण फिर से बरकरार हो गया, जिसे लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। नाहिद इस्लाम व उसके साथी इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। प्रदर्शन में 150 लोगों की मौत हो गई।

ये था पूरा मामला 

पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 प्रतिशत तक सरकारी नौकरियों में आरक्षण था। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और इससे प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को फायदा हुआ।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुधरे हालात 

बांग्लादेश में 56 प्रतिशत आरक्षण से छात्र परेशान थे। खासकर 30 प्रतिशत आरक्षण बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में शामिल लोगों के स्वजनों को दिया गया था। कुछ वर्ष पहले छात्रों के विरोध के बाद सरकार ने इस 30 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दिया था। बाद में इसे हाई कोर्ट ने बहाल कर दिया, जिससे छात्र गुस्से में थे। सुप्रीम कोर्ट ने 56 प्रतिशत आरक्षण को कम कर सात प्रतिशत कर दिया। इसके बाद देश में हालात शांत हो गए थे।

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