देहरादून : साइबर ठगों को जाल बढ़ता जा रहा है। अपराधी डिजिटली युग में इतनी तेजी से अपराध का तरीका बदल रहे हैं, जिसका अंदाजा पुलिस और दूसरी जांच ऐजेंसियां भी नहीं लगा पा रही हैं। देहरादून में एक ऐसा अनोखा ठगी का मामला सामने आया है, जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की गई। घरेलू साज-सज्जा के सामान के इंपोट-एक्सपोर्ट करने वाले कारोबारी को साइबर ठगों ने 123 घंटे डिजिटली हाउस अरेस्ट रखा। इतना ही नहीं, उससे ब्लैकमेल कर 1 करोड़ 13 लाख रुपये भी ठग लिए।
पहले हम आपको यह बताते हैं कि डिजिटली हाउस अरेस्ट होता क्या है। इसमें अपराधी आपके फोन या लैपटॉप के जरिए आप तक पहुचते हैं। फिर आपको झांसे में लेते हैं। जब उनका इस बात का एहसास हो जाता है कि अब ये जाल में फंस चुका है। उसके बाद वो उसे डरा-धमका कर या ब्लैकमेल कर कैमरे के सामने ऑनलाइन रहने के लिए कहते हैं और तब तक डराते रहते हैं, जब तक उनका काम ना हो जाए। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। साइबर ठगों ने कारोबारी को 123 घंटे तक लगातार हर पल कैमरे के सामने ही ऑनलाइन रखा।
साइबर ठगों ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच और सीबीआइ का अधिकारी बताया और कारोबारी को बैंक खातों में 38 करोड़ रुपये के अवैध ट्रांजेक्शन में गिरफ्तार कर जेल भेजने की धमकी दी। कारोबारी की शिकायत पर जांच कर रही स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने तीन साइबर ठगों को राजस्थान के कोटा से गिरफ्तार किया है।
SSP, STF आयुष अग्रवाल ने बताया कि 16 अप्रैल को सहस्रधारा रोड स्थित पैसेफिक गोल्फ अपार्टमेंट निवासी कारोबारी राजीव कुमार ने शिकायत दी कि 9 अप्रैल को सुनील वर्मा नाम के व्यक्ति ने उनके मोबाइल पर फोन कर खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। फिर उसने काल को अपने अधिकारी को ट्रांसफर करने की बात कहकर दूसरे व्यक्ति से बात कराई।
दूसरे व्यक्ति ने कारोबारी राजीव से कहा कि मुंबई में कस्टम विभाग ने उनका एक पार्सल पकड़ा है, जिसमें पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और नशे की सामग्री है। इसके बाद कारोबारी को मोबाइल फोन पर स्काइप एप से जोड़कर वीडियो काल की गई, जिसमें एक व्यक्ति पुलिस अधिकारी की वर्दी पहने बैठा हुआ था। उसने पार्सल के संबंध में पूछताछ की और कुछ देर बाद मनी लांड्रिंग, नशा तस्करी और पहचान छिपाने का संदिग्ध बताकर CBI के नाम से आनलाइन नोटिस भेजा।
उसने कारोबारी के बैंक खातों में 38 करोड़ का अवैध ट्रांजेक्शन होने की बात कहकर उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दी। कारोबारी को 9 नौ अप्रैल की सुबह 10 बजे से 15 अप्रैल की दोपहर 1 बजे तक 123 घंटे डिजिटली हाउस अरेस्ट कर रखा गया। इस दौरान मामला रफादफा करने के नाम पर कारोबारी से एक करोड़ 13 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में लिए गए।
कारोबारी की शिकायत पर साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कर CO अंकुश मिश्रा के नेतृत्व में जांच टीम बनाकर आरोपियों के फोन और बैंक खातों की जानकारी जुटाई गई, जिसमें राजस्थान से तार जुड़ने पर निरीक्षक देवेंद्र नबियाल के निर्देशन में टीम राजस्थान के कोटा भेजी गई। टीम ने राकेश और दीपक लक्षकार निवासी (गुजरो का मोहल्ला, थाना इटावा, जिला-कोटा) और आसिफ अली निवासी जामा मस्जिद के पास, इटावा, कोटा को गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों से घटना में प्रयुक्त पांच मोबाइल बरामद किए गए।
SSP, STF आयुष अग्रवाल ने बताया कि ठगी के लिए साइबर ठग अब डिजिटली हाउस या आफिस अरेस्ट जैसी घटना को अंजाम दे रहे हैं। यह गिरोह दुबई से संचालित हो रहा है। वहां ठगों ने काल सेंटर बनाया हुआ है। भारत में साइबर ठगों ने फर्जी तरीके से बैंक खाते खुलवाने व लोगों का रिकार्ड जुटाने के लिए अलग-अलग राज्यों में एजेंट रखे हुए हैं। ये लोग बड़े कारोबारी या अधिकारी को फोन काल पर जाल में फंसाते हैं और झूठे मुकदमे में गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं और फिर आनलाइन फर्जी नोटिस देकर ठगते हैं।