देहरादून : लाल पताका जिस पर श्री राम लिखा और हनुमान जी का चित्र अंकित हो, घर के आगे लगाने वाले बंधनवार जो कि लाल रक्षासूत्र से बने हो। ये सब हनुमान जी के चिन्ह हैं। इन्हें घर पर लगाने से स्वतः ही प्रभु के होने का आभास होता है। हनुमान जी के किसी भी चित्र अथवा तस्वीर को आप देखेंगे तो पाएंगे कि उनके हाथ में गदा और एक झंडा रहता है। उस झंडे पर श्रीराम का नाम अंकित रहता है। तो जाने क्या हैं हनुमान पताका का रहस्य।
शास्त्रों के अनुसार कौरव-पांडव युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के आदेशानुसार अर्जुन के रथ पर स्वयं पवन पुत्र विराजित हुए। महाभारत युद्ध के दौरान हनुमान जी अर्जुन के रथ पर मौजूद उसके झंडे पर विराजमान थे। और उन्होंने अर्जुन की पग-पग पर रक्षा की थी। महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ तन भीम और दुर्योधन के मध्य गदा युद्ध प्रारंभ हुआ। गदा युद्ध में भीम ने दुर्योधन को पराजित कर दिया। दुर्योधन को मृत अवस्था में छोड़कर सभी पांडव अपने शिविर में लौट आए। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संबोधित करते हुए कहा कि हे पार्थ! सबसे पहले तुम अपने गांडीव धनुष और अक्षय तरकश को लेकर रथ से उतर जाओ।
अर्जुन ने श्रीकृष्ण के निर्देशों का पालन किया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण भी रथ से उतर गए। भगवान श्रीकृष्ण के रथ से उतरते ही अर्जुन के रथ पर झंडे में विराजित हनुमान जी भी रथ को छोड़कर उड़ गए। तभी अर्जुन का रथ जलकर भस्म हो गया। इस दृश्य को देखकर अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से रथ को जलने का कारण पूछा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि हे पार्थ! तुम्हारा रथ तो अनेक दिव्यात्रों के प्रभाव से पहले ही जल चुका था लेकिन तुम्हारे रथ पर मेरे और पवन पुत्र हनुमान जी के विराजमान रहने के कारण ही तुम्हारा यह रथ ठीक स्थिति में था। और हे अर्जुन जब तुम्हारा युद्ध कर्तव्य पूरा हो गया तो मैंने और हनुमान जी ने तुम्हारे रथ का त्याग कर दिया। इसलिए तुम्हारा रथ भस्म हो गया है।