कोटद्वार। गढ़वाल वन प्रभाग के बीरोंखाल क्षेत्र के जंगल देर रात से धूं-धूं जल रहे है। लगातार बढ़ रहे तापमान ने वन विभाग की मुसीबतें बढा दी है। भले ही मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल नीरज कुमार ने कोटद्वार पहुँचकर वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने के निर्देश दिए हो,लेकिन वनाग्नि की घटना जस की तस।
बता दे कि पूर्व में जंगलों के बीच चौड़ी सड़क हुवा करती थी तब इन सड़कों का उपयोग जंगल में गश्त , ग्रामीणों को दिए जाने वाले हक हकूब को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुचाने और कुछ सड़के या पकडण्डी एक गावँ से दूसरे गांव तक जाने के लिए होती थी जो फायर लाईन का काम भी करती थी। फायर लाईन से जंगलो में लगने वाली आग को फैलने/रोकने में मदद मिलती है । वर्तमान में वन विभाग ने पर्यावरण को बचाने के नाम पर जंगलों के अंदर बनी सड़को को बंद करवा दिया। वन अधिनियम के नाम पर जंगलों का सरकारीकरण होने के कारण ग्रामीणों ने जंगलों की ओर से मुह मोड़ लिया। पूर्व में ग्रामीणों को वनों से हक हकूब मिला करता था उस दौरान जब भी वनाग्नि की घटना घटती थी तो आसपास के ग्रामीण भी वनों में जाकर वन कर्मियों के साथ आग बुझाने का कार्य करते थे।
सरकार को वन अधिनियम में शिथिलता लाने की जरूरत है जिससे कि आमजन के विकास में रोड़ा बनने वाले वन अधिनियम से आम जनमानस को राहत मिल सके। वर्तमान में गांवों तक पहुचने वाली सड़को में वन अधिनियम आड़े आ रहा है जिस कारण वर्षो से गांवों तक सड़क नही पहुँच पा रही है। जिस कारण ग्रमीणों में वन विभाग के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है। वहीं गढ़वाल वन प्रभाग के डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने बताया कि आग पर काबू पाने के लिए 9 लोगों की टीम को मौके पर भेजा गया. जल्द ही आग पर काबू पा लिया जाएगा।