गोपेश्वर (चमोली)। चिह्नित उत्तराखंड राज्य निर्माणकारी संगठन ने सरकार से मांग की है कि राज्य आंदोलकारियों के लिए स्पष्ट नीति बनाई जाए। ताकि इसका समूचित लाभ आंदोलकारियों और उनके परिवजनों को मिल सके।
चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए चिह्नित उत्तराखंड राज्य निर्माणकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बने 25 वर्ष का समय व्यतीत हो गया है जबकि आंदोलनकारियों का आंदोलन 32 वर्षों से सतत जारी है। इसके बावजूद अभी तक उनकी मांगों का निस्तारण नहीं हो पाया है। हालांकि सरकार ने उनकी सुध तो ली लेकिन उन्हें राज्य आंदोलनकारी सैनानी का दर्जा बंद कर दिया गया है। उन्होंने इस दर्जे को पुनः बहाल करने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि सरकार की ओर से जो आंदोलनकारियों को 10 फीसद क्षेतीज आरक्षण दिया गया था लेकिन उसे अभी तक महालेखा में नहीं दिया गया है। इससे समूचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। पूर्व में आंदोलनकारियों के पाल्यों को हायर शिक्षा के लिए सरकार की ओर से मदद दी जाती थी लेकिन अब उसे बंद कर दिया गया है। यही नहीं आंदोलनकारियों के दो बच्चों को सरकारी नौकरी में आरक्षण दिए जाने की बात की गई थी उसे भी अब बंद कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि उनकी मांग है कि सरकार क्षेतिज आरक्षण को लागू करते हुए छूटे हुए आंदोलकारियों के पाल्यों को सरकारी नौकरी दे, चिह्निकरण की स्पष्ट नीति बनाई जाए, 2006 के बाद नौकरी पर लगे आंदोलनकारियों का सेवाविस्तार किया जाए। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व उन्होंने मांगों को लेकर जिलाधिकारी को भी एक ज्ञापन दिया। जिस पर जिलाधिकारी ने सकारात्मक पहल किए जाने का आश्वासन दिया है।रावत ने कहा कि आंदोलनकारियांं की ओर से जल्द ही गैरसैण में स्थाई राजधानी की मांग को लेकर धरना शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही बने इसके लिए आंदोलनकारी आंदोलन कर मन बना चुके है।
इस मौके पर संगठन के जिलाध्यक्ष मंगला कोठियाल, राजकुमारी गैरोला, चंद्रकला बिष्ट, मनीष नेगी, डा. अवतार सिंह, वीरेंद्र सिंह नेगी घावरी, हर्षवर्धन मैठाणी, कुंवर सिंह, पृथ्वी बिष्ट, सुधा बिष्ट आदि मौजूद रहे।