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कोटद्वार । श्री सिद्धबली मंदिर परिसर में चल रहे तीन दिवसीय श्री सिद्धबली बाबा वार्षिक अनुष्ठान के समापन पर एकादश कुंडीय यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ ही सिद्धबाबा के जागर लगाए गए। शाम को हिंदी भजन गायकों कैलाश और पियूषा ने जादू बिखेरा। जागरों के दौरान कई पुरुष व महिलाएं देवता के प्रभाव में आकर नाचते दिखे। सिद्धबाबा के जागर संपन्न होने के बाद सवा मन रोट का भोग लगाया गया और बाद में प्रसाद के रूप में वितरित किया गया।
तीन दिवसीय मेले के अंतिम दिन रविवार को ब्रह्ममुहूर्त में श्री सिद्धबाबा के महाभिषेक के बाद आचार्य पं. देवी प्रसाद भट्ट के सानिध्य में रुद्रपाठ हुआ । तत्पश्चात उन्हीं के संयोजकत्व में पिछले तीन दिन से चल रहे एकादश कुंडीय यज्ञ का भी पूर्णाहुति के साथ समापन किया गया। यज्ञ समापन के उपरांत श्री सिद्धबाबा के जागर शुरू हुए।जहरी निवासी जागरी सर्वेश कुकरेती व साथियों द्वारा प्रस्तुत जागरों अलेठी-पलेठी धौला उडयारी जाग, मोड़ाखाल जाग, मलोठी भाबर मा जाग, सिद्धबली मंदिर मा सिद्धबाबा जाग, माता विमला मोहरी को जाग, राजा कुंवरपाल को जाग.’जैसे जागरों के धुन के बीच कई महिलाएं व पुरुष ‘देवी-देवताओं’ के प्रभाव में आकर नाचने लगे।जिसके बाद सवा मन आटे के रोट का भोग लगाया गया। इस दौरान आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। शाम के समय योगाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने भक्तों को आशीष दिया जिसके बाद हिंदी भजन गायक कैलाश और पीयुषा सहित उनके साथियों ने अपने भजनों बोलो राधे राधे, गोरी कब तक नैन चुरावेगी से समा बांधा । नृत्य में राजेंद्र नेगी की टीम ने लोगों को थिरकने पर मजबूर किया ।