राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रुड़की ने मनाया हिंदू साम्राज्य दिवस

by intelliberindia
 
रूडकी : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रुड़की द्वारा हरमिलाप धर्मशाला में शशि प्रताप सिंह की अध्यक्षता एवं रामेशवर तथा जल सिंह संघ चालक की उपस्थिति में हिंदू साम्राज्य दिवस उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ छत्रपति शिवाजी महाराज के चित्र पर पुष्प अर्पण, दीप प्रज्वलित कर तथा एकल गीत  “संगठन, एकता के बल पर जो वीर शिवा ने कर दिखलाया।  निज अल्प साधना  से ही जय, करने का कौशल  दिखलाया। मुख्य वक्ता प्रान्त प्रचारक शैलेन्द्र द्वारा कहा गया की छत्रपति शिवाजी महाराज ने समाज को सैकड़ों वर्षो की दासता की मानसिकता से मुक्त करा कर समाज में आत्मविश्वास, आत्म गौरव, हिंदू समाज के मान सम्मान को पुणे प्रतिस्थापित करते हुए उसके यश एवं कीर्ति को चारों ओर बढ़ाया। राष्ट्रहित के व्यापक संदर्भ में माता जीजाबाई कि इच्छा को सर्वोपरि मानते हुए शिवाजी राज्याभिषेक हेतु तैयार होकर हिंदवी स्वराज की स्थापना की तथा समर्थ गुरु रामदास को सिंहासन सोपकर गुरु की आज्ञा से राज कार्य किया। शिवाजी मैं संगठन शक्ति अद्भुत थी उनमें अटूट साहस, देश भक्ति, प्रमाणिकता, उधम, साहस,  धैर्य, बल, बुद्धि, पराक्रम के धनी थे।
शिवाजी की सूझ बुझ, कुशलता, कार्य में सफलता का आत्मविश्वास तथा दोष  रहित योजना के कारण ही अफजल खान का वध, शाइस्ता खां को उसके ही मोर्चे पर मारने जाना, राजा जयसिंह के द्वारा लाई गई मुगल सेना कोआदिलशाही से लड़वाकर  उसकी शक्ति को समाप्त करना और औरंगजेब के कैद खाने से निकलकर सकुशल पहुंचना। शिवाजी द्वारा धन, व्यक्तियों तथा शस्त्रों के अभाव के बाद भी बहुत बड़ी संख्या में तानाजी मालुसरे, बाजी प्रभु देशपांडे, खंडो बल्लाल जैसे विश्वसनीय  जान निछावर करने वाले वीर योद्धा तैयार किए । शिवाजी ने 16 वर्ष की आयु में तोरण के किले को फतह किया तथा पूरे जीवन काल में 400 किले विजय  किये, 276 लड़ाइयां लड़ी सभी में विजई होकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने कहा शिवाजी महाराज का जीवन  अद्वितीय पराक्रम, राजनीतिक कुशलता, युद्ध शास्त्र की मर्मज्ञता, संवेदनशीलता, न्याय पूर्ण, वह पक्षपात रहित प्रशासन, नारी का सम्मान, प्रखर हिंदुत्व जैसी विशेषताओं से परिपूर्ण था विपरीत परिस्थितियों में भी अपने धेय तथा ईश्वर पर श्रद्धा व विश्वास, माता-पिता तथा गुरुओं का सम्मान अपने साथियों के सुख दुख में साथ निभाने समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने के उदाहरण जीवन में  प्रस्तुत किए ।
उन्होंने कहा शिवाजी महाराज का बाल्यकाल में लिया गया स्वराज स्थापना के संकल्प का उद्देश्य मात्र सत्ता प्राप्ति नहीं अपितु धर्म एवं संस्कृति की रक्षा हेतु स्व आधारित राज्य की स्थापना करना था।  स्वराज स्थापना के समय अष्टप्रधान मंडल की रचना, राज्य व्यवहार कोष का निर्माण, स्वभाषा का उपयोग, कालगणना हेतु शिव शक का प्रारंभ, संस्कृत, राजमुद्रा का उपयोग, स्वराज को स्थायित्व देने की दिशा में था। आज भारत अपनी समाज शक्ति को जागृत करते हुए स्व के आधार पर राष्ट्र निर्माण के पथ पर आगे बढ़ रहा है । हिंदू राज्य को अल्पसंख्यकों के लिए घातक मानने वाले सेकुलर वादियों की आंखें खुलने चाहिए कि शिवाजी ने मुस्लिम  को सताया नहीं, उनकी महिलाओं के प्रति सम्मानजनक व्यवहार एवं कुरान के प्रति आदर प्रकट करते हुए उनको उचित जगह पहुंचाया । अध्यक्षीय उद्बोधन में छत्रपति शिवाजी महाराज की आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने पर बल दिया तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसी राष्ट्रवादी संगठन से जुड़कर भारत माता को परम वैभव पर ले जाने के लिए कार्य करने का आह्वान किया इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक एवं महिलाएं उपस्थित रही। यह जानकारी जिला प्रचार प्रमुख सहदेव सिंह पुंडीर के द्वारा दी गयी ।














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