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देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मिशन चंद्रयान-3 से जुड़े हमारे वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि मनुष्य अनंत ऊर्जा का भण्डार तथा असीम क्षमतावान है। उन्होंने इस ऐतिहासिक सफलता के लिए वैज्ञानिकों के साथ इस अभियान से जुड़े सभी सहयोगियों को भी बधाई देते हुए कहा कि इस मिशन की सफलता में उनकी कौशल क्षमता, आत्मविश्वास, धैर्य संयम आदि का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि अब चन्दा मामा दूर के नहीं हमारे पास के, हमारे घर के हो गये है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस दिन यह इतिहास बना उस दिन स्कूली बच्चों के साथ वे इसके साक्षी बने थे। यह भी कारण रहा कि चाहते हुए भी वे उस दिन इस संस्थान में आकर वैज्ञानिकों से नहीं मिल पाये।
शनिवार को इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आई.आई.आर.एस) में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संस्थान के साथ ही देहरादून एवं मसूरी स्थित केन्द्र एवं राज्य के विभिन्न वैज्ञानिक एवं तकनीकि संस्थानों के वैज्ञानिकों से संवाद कर उन्हें सम्मानित भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री युवा वैज्ञानिकों से भी संवाद कर उनसे भी विचार साझा किये। मुख्यमंत्री ने संस्थान परिसर में पौधरोपण भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन तथा हमारे वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों से हमारे देश ने दुनिया में पहचान बनाई है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आधुनिक भारत का शिल्पी बताते हुए कहा कि उन्होंने विज्ञान व खेल सहित अन्य विभिन्न क्षेत्रों में हमारे लोगों का हौसला बढ़ाकर सफलता दिलाई है तथा आत्मविश्वास जगाया है। यह भविष्य में भारत के मिशन आदित्य सहित अन्य मिशनों में निश्चित रूप से सफलता प्राप्त करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आने वाले समय में भारत विश्वगुरू बनने के साथ नेतृत्व करने वाला भारत बनेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा 23 अगस्त को नेशनल स्पेस डे मनाने, चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल को शिवशक्ति प्वांइट तथा चंद्रयान 2 से जुड़े स्थल को तिरंगा प्वाइंट बताये जाने के लिए भी आभार जताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत कठिन से कठिन कार्यों को आसानी से हल करने वाला बना है। 2047 तक भारत विश्व के विकसित देशों में शामिल होगा तथा नेतृत्व करने वाला देश बनेगा। कोरोना काल का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उस दौर में जहां विभिन्न देशों में अव्यवस्था रही, वही भारत ने इस दौर को व्यवस्थित ही नही किया बल्कि 11वीं से 5वीं अर्थव्यवस्था बनने में सफलता पाई। मुख्यमंत्री ने सभी वैज्ञानिक संस्थानों से अपेक्षा की कि वे हमारे उदीयमान विद्यार्थियों को अपने संस्थानों की कार्यप्रणाली से परिचित कराने की भी योजना बनाए। इससे हमारे देश के भावी कर्णधार देश व प्रदेश की चुनौतियों का सामना करने में सफल होगें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में विज्ञान एवं अनुसंधान के समन्वय का हमारा प्रयास है। हमारे वैज्ञानियों के विचार राज्य के विकास एवं हिमालयी राज्यों की आपदा की चुनौतियों का सामना करने में मददगार हो सकते है। उन्होंने कहा कि राज्य में आदर्श चंपावत का कार्य तेजी से हो रहा है। चंपावत की भौगोलिक परिस्थिति पूरे राज्य को भांति है, यह पूरे राज्य के विकास का भी आधार बनेगा। राज्य में स्थित सभी वैज्ञानिक संस्थानों को साथ लाकर समग्र एवं सर्वागीण विकास का एकीकृत मॉडल विकसित करना हमारी प्राथमिकता है जिसके माध्यम से हम प्रदेश के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों को विकास की मुख्यधारा के जोड़ते हुए इकोलॉजी एवं इकोनॉमी में बराबर संतुलन बनाते हुए इस दशक को उत्तराखण्ड का दशक बनाने की हमारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आंकाशाओं को मूर्त रूप दे सकें। विज्ञान एवं तकनीक के माध्यम से उत्तराखण्ड@25 की अवधारणा के अनुरूप एक सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण के लिए उन्होंने राज्य स्थित सभी प्रतिष्ठित संस्थानों की सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा भी की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक की समस्याओं का समाधान उनकी अपेक्षानुसार तभी संभव होगा जब उनसे संवाद किया जायेगा। इकोलॉजी, इकोनॉमी, टैक्नोलॉजी, एकाउंटिबिलिटी और सस्टेनबिलिटी के पाँच सशक्त स्तंभों पर व्यवस्थित मॉडल हमारे उत्तराखण्ड @25 के संकल्प के लिए आवश्यक है। हमारा संकल्प है कि उत्तराखण्ड राज्य अपने सृजन की रजत जयंती वर्ष 2025 तक एक श्रेष्ठ राज्य बनकर उभरे तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणानुरूप् इक्कीसवीं सदी के इस तीसरे दशक में समृद्ध और सशक्त रूप में स्थापित हो। उत्तराखण्ड का यह विकास मूलक मॉडल देश के अन्य हिमालयी राज्यों के लिये भी मार्गदर्शक मॉडल बने।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हमें अपनी पारिस्थितिकी और आर्थिकी के संतुलन को बनाए रखना है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सार्थक प्रयोग हेतु लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ाना है। नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्दर्य युक्त उत्तराखण्ड की सभी प्राकृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासतों का संरक्षण करके इसे देश-विदेश में विशिष्ट पहचान दिलाने, अपनी संस्कृति, परम्पराओं जनजातीय विशिष्टताओं, बोलियों लोककलाओं, लोकगीतों और साहित्य, तीर्थाटन, पवित्र चारधाम यात्रा, मानसखण्ड आदि को नई पहचान देने का भी हमारा प्रयास है।
आई आई आर एस के निदेशक डॉ. आर पी सिंह ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि यह संस्थान इसरो के 16 संस्थानों में एक है। विभिन्न देशों के वैज्ञानिक यहां आते है। ऑनलाइन स्टूडियो एवं लर्निंग सेंटरो के माध्यम से भी वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था संस्थान द्वारा की जा रही है। इस अवसर पर यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत, निदेशक आई आई पी डॉ हरेन्द्र सिंह बिष्ट, डील के निदेशक डॉ ललित चन्द मंगल, इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी मैनेजमेंट के निदेशक श्रीधर कट्टी, वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ कालाचंद सेन के साथ अन्य संस्थानों के वैज्ञानिक एवं युवा वैज्ञानिक उपस्थित थे।