महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न “निवारण, प्रतिपादन एवं प्रतितोष” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

by intelliberindia

रुद्रप्रयाग : जनपद में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए आज विकास भवन सभागार में कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिपादन एवं प्रतितोष) से संबंधित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में जिलाधिकारी सौरभ गहरवार के दिशा-निर्देशों के तहत किया गया।इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव (सीनियर डिवीजन) रवि रंजन ने कार्यशाला की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना प्रत्येक कार्यालय एवं विभाग का नैतिक और कानूनी दायित्व है। महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का लैंगिक उत्पीड़न गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, जिसकी शिकायत मिलने पर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए।

कार्यशाला में जनपद के विभिन्न विभागों से आए अधिकारियों, कर्मचारियों, आंतरिक परिवाद समिति और स्थानीय परिवाद समिति के अध्यक्षों एवं सदस्यों ने प्रतिभाग किया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव (सीनियर डिवीजन) रवि रंजन ने विस्तार से ‘विशाखा गाइडलाइन’ की जानकारी दी, जो कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम हेतु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं के प्रति किसी भी प्रकार के लैंगिक उत्पीड़न की घटनाएं न केवल महिला सम्मान के विरुद्ध हैं, बल्कि यह उनके आत्मविश्वास और कार्यक्षमता को भी प्रभावित करती हैं।उन्होंने कहा कि किसी भी महिला कर्मचारी को यदि कार्यस्थल पर प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है, तो वह बिना किसी डर या संकोच के अपनी शिकायत आंतरिक परिवाद समिति के समक्ष दर्ज करा सकती है। समिति को यह सुनिश्चित करना है कि शिकायत मिलने के तीन माह के भीतर उसकी जांच कर कार्रवाई की जाए। आवश्यकता पड़ने पर समिति अतिरिक्त तीन माह का समय भी दे सकती है।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव रवि रंजन ने भारत सरकार द्वारा विकसित ऑनलाइन कंप्लेंट मैनेजमेंट सिस्टम के बारे में भी जानकारी दी, उन्होंने बताया कि इसके माध्यम से कोई भी महिला कर्मचारी ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकती है और उसकी गोपनीयता पूर्ण रूप से सुरक्षित रखी जाती है। उन्होंने बताया कि कानून के तहत प्रत्येक सरकारी और गैर-सरकारी संस्था में आंतरिक परिवाद समिति का गठन अनिवार्य है, ताकि किसी भी प्रकार की लैंगिक उत्पीड़न की घटना को रोका जा सके और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जा सके।कार्यशाला के दौरान लैंगिक उत्पीड़न से जुड़े विभिन्न कानूनी प्रावधानों, महिला अधिकारों और उनके संरक्षण के उपायों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। प्रतिभागियों को लैंगिक उत्पीड़न की परिभाषा, शिकायत निस्तारण प्रक्रिया, सजा के प्रावधान और कानूनी विकल्पों की जानकारी दी गई।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव रवि रंजन ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में महिलाओं को जागरूक करने के साथ-साथ विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को भी संवेदनशील होना पड़ेगा, ताकि कार्यस्थल पर महिलाएं निडर होकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं समय-समय पर आयोजित की जाती रहेंगी, ताकि सभी अधिकारी और कर्मचारी महिला सम्मान और सुरक्षा के प्रति सजग और जागरूक बने रहें।

इस दौरान कार्यक्रम में जिला विकास अधिकारी (आंतरिक परिवाद समिति अध्यक्ष) अनिता पँवार, ग्रामीण निर्माण विभाग (आंतरिक परिवाद समिति अध्यक्ष)मीना गुलाटी, सहायक अभियंता एनएच लोक निर्माण विभाग प्रेमा जगोड़ी, जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेश मिश्रा ,सखी वन स्टॉप सेंटर केंद्र प्रशासक रंजना गैरोला सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।

 









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