उत्तराखंड आबकारी विभाग की दूरदर्शी नीति, राजस्व संग्रहण से लेकर रोजगार सृजन तक, विकास का नया अध्याय

by intelliberindia

देहरादून : उत्तराखंड आबकारी विभाग द्वारा अपनाई गई दूरदर्शी आबकारी नीति ने प्रदेश में राजस्व संग्रहण को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। वर्ष 2021-22 की तुलना में वर्ष 2024-25 में 1100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राजस्व प्राप्ति हुई है और विभाग ने लगभग 4360 करोड़ रुपये का आँकड़ा छुआ है। इस उपलब्धि का आधार “न्यूनतम उपभोग से अधिकतम राजस्व” की नीति है, जिसके तहत अवैध शराब पर प्रभावी रोकथाम के साथ-साथ मदिरा निर्माण से जुड़े नए औद्योगिक प्रतिष्ठानों के माध्यम से प्रदेश की आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति को बल दिया जा रहा है।

इस नीति के अंतर्गत राज्य में स्थापित होने वाले उद्योगों में प्रत्यक्ष रोजगार के लिए कम से कम 80% स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी गई है, जिससे मूल निवासियों की व्यावसायिक भागीदारी और रोजगार अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अप्रत्यक्ष रूप से भी आपूर्ति श्रृंखला, परिवहन तथा सहायक सेवाओं में उत्तराखंड के निवासियों को बड़े पैमाने पर लाभ पहुँच रहा है।

प्रदेश में प्रचलित उदार नियमावली का परिणाम है कि उत्तराखंड अब उपभोक्ता से उत्पादक और निर्यातक राज्य की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है। विशेष रूप से पावर एल्कोहॉल (ऐथेनॉल) के क्षेत्र में ऊधम सिंह नगर जनपद में दो नए प्लांट्स की स्थापना हो रही है, जो राज्य के औद्योगिक विकास को एक नई गति देने के साथ-साथ स्थानीय युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित करेगा। इसके अतिरिक्त, डिस्टलरी, बॉटलिंग प्लांट, वाइनरी व ब्रूवरी जैसे विविध क्षेत्रों में निवेश एवं उत्पादन से प्रदेश के अलग-अलग जिलों- हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर, चंपावत, बागेश्वर आदि में आर्थिक गतिविधियों का विस्तार हो रहा है।

उत्पादन क्षमताओं के विस्तार का असर निर्यात बढ़ने के रूप में भी दिखाई दे रहा है। राज्य में निर्मित मदिरा की लगभग 12 लाख पेटियाँ अन्य राज्यों के साथ-साथ अमेरिका, इटली, अफ्रीका, घाना जैसे देशों को निर्यात की जा रही हैं। इससे राज्य को अतिरिक्त विदेशी मुद्रा प्राप्त होने के साथ-साथ “मेड इन उत्तराखंड” उत्पादों की वैश्विक पहचान भी मजबूत हुई है।

सार्वजनिक हित और राज्य के आर्थिक विकास को केंद्रित रखते हुए, उत्तराखंड आबकारी विभाग न केवल अवैध मदिरा के व्यापार पर प्रहार करने में सफल रहा है, बल्कि पारदर्शी नियमावली व सरल अनुज्ञापन प्रक्रियाओं से उद्योगों को प्रोत्साहन देकर अधिकतम राजस्व, व्यापक रोजगार व स्थायी आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। आने वाले वर्षों में भी यह नीति राज्य के मूल निवासियों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए सतत विकास की दिशा में अग्रसर रहेगी।

Related Posts