शहीद रुचिन सिंह रावत को सैन्य सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

by intelliberindia

 

गैरसैण (चमोली)। जम्मू कश्मीर के राजौरी सेक्टर में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान बीते शुक्रवार को गैरसैंण ब्लॉक के कुनिगाड़ गांव के रहने वाले शहीद हुए रुचिन सिंह रावत का रविवार को उनके पैतृक घाट (महादेव) में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोगों ने शहीद रुचिन रावत को नम आंखों से अंतिम विदाई दी।

गौरतलब है कि शुक्रवार पांच मई को जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले के भाटा धूरियन के तोता गली इलाके में सुरक्षाबलों व आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस दौरान एक आईईडी ब्लास्ट में पांच जवान शहीद हो गए थे। जिसमें उत्तराखंड के गैरसैंण (कुनिगाड़ गांव) निवासी रुचिन सिंह रावत भी शहीद हो गए थे। रुचिन सिंह रावत जम्मू कश्मीर के उधमपुर यूनिट में नो पैरा कमांडो में तैनात थे। देशभक्ति का जज्बा और मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने का संकल्प उत्तराखंड के हर जवान का सपना रहता है, मां भारती की रक्षा करते हुए गैरसैंण के कुनिगाड गांव निवासी रुचिन सिंह रावत भी देश की रक्षा के खातिर शहीद हो गए।

गैरसैंण विकासखंड के कुनिगाड़ गांव निवासी शहीद रुचिन सिंह रावत राजकीय इंटर कॉलेज कुनिगाड़ से इंटर परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मात्र 18 साल की उम्र में वर्ष 2011 में सीने में देश सेवा का जज्बा लिए सेना में भर्ती हुए थे। दिल में देश-भक्ति की लौ जलाकर भर्ती हुए शहीद रुचिन सिंह रावत ने मां भारती की रक्षा के लिए आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। शहीद की माता पार्वती देवी ने बताया कि उनका बेटा रुचिन अक्टूबर 2022 में 10 दिन की छुट्टी लेकर घर आये हुए थे। घर वालों और दोस्तों से एक बार पुनः 12 मई 2023 को घर आने का वादा कर गये थे। उन्होंने कहा कि 12 मई में अभी पांच दिन का समय था लेकिन उससे पहले उनके बेटे का पार्थिव शरीर आज उनके घर पहुंच गया।

रविवार सुबह जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो उनके माता पिता,पत्नी दादा दादी, भाई और गांव वाले फफक-फफक कर रोने लगे यह सब देखकर पूरा गांव और वहां मौजूद लोग भी गमगीन हो गये, वहीं रुचिन रावत की शहादत पर परिजनों को गर्व भी है, शहीद के भाई विवेक रावत जो भारतीय नोसेना में कार्यरत हैं उन्होंने अपने बड़े भाई की शहादत पर कहा कि देश प्रेम का जज्बा बचपन से ही रुचिन के मन में कूट कूट कर भरा हुआ था आज उनका भाई उनके बीच नहीं है इसका उन्हें जरूर दुख है लेकिन वह देश के काम आया उसने देश के लिए बलिदान दिया इससे उनको गर्व की अनुभूति भी होती है।

शहीद रुचिन सिंह रावत के अंतिम संस्कार में सैन्य अधिकारी मेजर भदरिया, विधायक अनिल नोटियाल, पूर्व राज्यमंत्री सुरेश कुमार बिष्ट, हरिकृष्ण भट्ट, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी बी बनर्जी, उपजिलाधिकारी कमलेश मेहता, थानाध्यक्ष गैरसैंण सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और पूर्व सैनिक शामिल हुए।

इस दौरान पूर्व राज्यमंत्री सुरेश कुमार बिष्ट ने कहा कि आतंकवादियों की कायराना हरकत से हमारे पांच जवान शहीद हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमे रुचिन की शहादत पर गर्व है। कहा कि उन्होंने मां भारती की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है। जिसे सदैव याद रखा जायेगा।

क्षेत्रीय विधायक अनिल नोटियाल ने रुचिन रावत की शहादत को लेकर कहा कि रुचिन हमारे देश का गौरव है। उन्होंने कहा कि रुचिन हमारे देश का बेटा था जिसने मातृभूमि की रक्षा के लिये अपना सरवोच्च बलिदान दिया है जिसे सदियों तक याद रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि ये हमारे लिए गौरव का पल है, वहीं दुख भी होता है कि आज हमारे देश का लाल हमें छोड़कर चला गया है।

शहीद रुचिन रावत के पार्थिव शरीर को उनके छोटे भाई विवेक रावत ने मुखाग्नि दी। इस दौरान शहीद को गॉर्ड ऑफ ऑनर देने पहुंचे छह ग्रेनेडियर के मेजर भदरिया ने कहा कि रुचिन नो पैरा कमांडो उधमपुर में तैनात थे। उन्होंने कहा कि राजौरी सेक्टर में आतंकवादियों के छुपे होने का सेना को इनपुट मिला था इस दौरान सेना की ओर से आतंवादियों की धरपकड़ के लिए ऑपरेशन त्रिनेत्र चलाया गया। जिसमें आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान रुचिन रावत सहित सेना के पांच जवान शहीद हो गए। उन्होंने कहा कि रुचिन की शहादत पर सेना को भी गर्व है। जब हम रुचिन के पार्थिव शरीर को लेकर उनके गांव पहुंचे तो यहां पर जन सैलाब को देखकर सीमा पर तैनात हर जवान का मनोबल बढ़ जाता है।

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी हरिकृष्ण भट्ट ने कहा कि यह क्षण हमारे लिए गौरवशाली भी और दुखदाई भी है। उन्होंने कहा कि हमारे उत्तराखंड की परंपरा सदैव गौरवशाली रही है उसी परंपरा को निभाते हुए आज हमारे वीर सपूत रुचिन रावत ने देश के खातिर अपनी शहादत दी है जिसपर हमे गर्व है।

जम्मू कश्मीर की उधमपुर यूनिट में 9 पैरा में तैनात कमांडो रुचिन रावत राजौरी सेक्टर में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हुए। शहीद रुचिन रावत तीन भाई बहनों में मझले थे वह अपने पीछे पत्नी (कल्पना रावत 24 वर्ष), एक बेटा (हर्षित रावत 4 वर्ष), माता (पार्वती देवी 48 वर्ष) पिता (राजेन्द्र सिंह रावत 52 वर्ष), दादा (कलम सिंह 85 वर्ष) दादी (मालती देवी 80 वर्ष) और छोटे भाई (विवेक रावत 26 वर्ष भारतीय नोसेना में कार्यरत) को रोता बिलख्ता छोड़ गए हैं। जबकि उनकी बड़ी बहन (गीता 30 वर्ष) का विवाह हो चुका है।

 

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