भगवान शिव की तीसरी आंख देख सकती हैं तीनों काल

by intelliberindia

नई दिल्ली : महाभारत के एक खंड में दी गई जानकारी के अनुसार भगवान शिव, पार्वती और नारद जी के बीच हो रही बातचीत के दौरान बताया गया है कि शिव जी की तीसरी आंख कैसे उत्पन्न हुई थी और क्या है इसका रहस्य! नारद जी कहते हैं कि एक समय भगवान शिव हिमालय पर्वत पर सभा कर रहे थे। इस सभा में देवता, ऋषि-मुनि और ज्ञानीजन भी मौजूद थे। तभी अचानक पार्वती जी वहां आकर भगवान शिव की दोनों आंखों पर हाथ रख देते हैं। ऐसा करने से पृथ्वी पर सब कुछ काला हो जाता है और ऐसा लगता है कि मानो विनाश हो जाएगा। इसी को देखते हुए भगवान शिव व्याकुल हो उठते हैं और तभी तीसरी आंख उत्पन्न होती है। तीसरी आंख से भगवान शिव तीनों काल यानी भूत, भविष्य और वर्तमान को देख सकते हैं। यही कारण है कि शिव जी की तीसरी आंख को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। कहा जाता है वो इस आंख से वो सब कुछ देख सकते हैं जो सामान्य आंख नहीं देख सकती है। माना जाता है कि जब भगवान शिव क्रोधित होते हैं तभी तीसरी आंख खोलते हैं। उनकी तीसरी आंख को खतरे की घंटी की तरह देखा जाता है।

 

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