पुणे : आंदोलन तो आपने कई देखें होंगे, लेकिन ऐसा कभी ना तो देखा होगा और ना सुना होगा। ऐसा पहली बार हो रहा है कि युवाओं को दुल्हनों के लिए प्रदर्शन करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र के सोलापुर से कुंआरों के जुलूस की चौंकाने वाली घटना सामने आई है। जिनती रोचक और चौंकानी वाली यह घटना लग रही, लेकिन इसका मकसद बहुत ही नेक हैं। शहर के कुंआरे युवकों ने शादी की पोशाक पहनकर और घोड़ी पर सवार होकर जुलूस निकाला। उन्होंने कलेक्टर कार्यालय जाकर ज्ञापन दिया और उनके लिए दुल्हनों के इंतजाम की मांग की। महाराष्ट्र के सोलापुर में एक अनोखा आंदोलन दिखा, जिसमें एक संस्था के नेतृत्व में सैकड़ों अविवाहित युवकों घोड़ी पर सवार होकर दुल्हन की तलाश में मार्च निकाला। मार्च में शामिल युवाओं ने कहा कि राज्य में दिनोंदिन लड़कियों की संख्या कम हो रही है। इस कारण उनकी शादी नहीं हो पा रही है। उन्होंने इसके पीछे स्त्री-पुरुष का विषम अनुपात का मुद्दा उठाया।
इस अनोखे मार्च के दौरान महाराष्ट्र में पुरुष-महिला अनुपात में सुधार के लिए प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स एक्ट को सख्ती से लागू करने की मांग की गई। इन युवाओं ने कलेक्टर कार्यालय को मांग पत्र भी सौंपा। जिसमें राज्य सरकार से मार्च में शामिल अविवाहित लोगों के लिए दुल्हन ढूंढ़ने की भी मांग की गई है। बता दें कि इस अनोखे मार्च में शामिल अविवाहित युवक दूल्हे की पोशाक में घोड़ी पर सवार हो कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। इस दौरान बैंड-बाजे वाले भी साथ थे। कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर युवकों ने अपने लिए दुल्हन दिलाने की मांग की।
दरअसल, देश के कई हिस्सों में स्त्री पुरुष अनुपात गड़बड़ा गया है। इस कारण युवक-युवतियों की शादियां नहीं हो रही हैं। बुधवार को सोलापुर के एक संगठन ने श्दुल्हन मोर्चाश् निकाला। इसमें कई कुंआरे दूल्हे की वेशभूषा में घोड़े पर सवार होकर बैंड बाजों के साथ सोलापुर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। उन्होंने वहां अधिकारियों को ज्ञापन देकर उनके लिए दुल्हनों के इंतजाम की मांग की। कुंआरे के ज्ञापन में महाराष्ट्र में स्त्री-पुरुष अनुपात में सुधार के लिए प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स एक्ट को सख्ती से लागू करने की भी मांग की गई है। उनका कहना है कि गर्भावस्था में लिंग परीक्षण के बाद कन्या भूण हत्याओं के कारण यह अनुपात गड़बड़ा गया है। इस जुलूस का आयोजन ज्योति क्रांति परिषद ने किया था। इसके संस्थापक रमेश बारास्कर ने कहा कि लोग भले ही कुंआरों के मार्च की हंसी उड़ा सकते हैं, लेकिन कड़वी सचाई यह है कि राज्य में स्त्री पुरुष अनुपात घटने के कारण कई विवाहयोग्य लड़कों को लड़कियां नहीं मिल रही है। बोरास्कर ने दावा किया कि महाराष्ट्र में स्त्री पुरुष अनुपात घट कर 1000 लड़कों पर 889 लड़कियां रह गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस असमानता के लिए सरकार जिम्मेदार है। कन्या भ्रूण हत्याओं के कारण यह स्थिति बनी है।
मार्च की आयोजनकर्ता संस्था ज्योति क्रांति परिषद के संस्थापक रमेश बारस्कर ने कहा कि लोग इस मार्च का मजाक उड़ा सकते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि विवाह के योग्य लड़कों को सिर्फ इसलिए दुल्हनें नहीं मिल पा रही हैं, क्योंकि राज्य में पुरुष और महिलाओं का अनुपात विषम है। उनकी शादी की उम्र निकली जा रही है। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में प्रति एक हजार लड़कों पर 889 लड़कियां है। उन्होंने कहा कि यह असमानता कन्या भ्रूण हत्या के कारण बनी है और सरकार इसके लिए जिम्मेदार है, इसलिए वो ही अविवाहित युवाओं को दुल्हन दिलाए।