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उत्तरकाशी (कीर्ति निधि सजवाण): मां गंगा के मायके गंगोत्री के मार्कण्डेय मंदिर मुखवा में गंगा सप्तमी पर्व पर श्री गंगा सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। कार्यक्रम में स्थानीय महिलाओं ने पारम्परिक वेशभूषा में गंगा गीतों व भजनों की प्रस्तुतियां दी। वहीं दीपोत्सव कार्यक्रम के तहत 1001 दीप एक नाव में रख मां गंगा में प्रवाहित करने के साथ गंगा आरती में भी सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। गंगा सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष रावल पंडित अशोक सेमवाल ने बताया कि गंगा सप्तमी पर्व पर प्रति वर्ष मार्कंडेय मंदिर में श्री गंगोत्पति महात्म्य का मूल पारायण किया जाता है मां गंगा की पूजा अर्चना तथा भक्ति गीतों व मां गंगा की स्तुति के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों प्रस्तुति से यह महोत्सव पहचान बना चुका है।
इस अवसर पर गंगा विश्व धरोहर मंच के संयोजक डॉ. शम्भू प्रसाद नौटियाल ने गंगा के संरक्षण हेतु वैज्ञानिक जानकारियों के साथ अपील करते हुए कहा कि गंगा हमारे लिए वरदान है इसको पवित्र रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। शिक्षक राघवेन्द्र उनियाल ने गंगा की सांस्कृतिक विरासत व महत्व पर चर्चा की। वहीं पंडित सुभाष चन्द्र नौटियाल ने कहा कि गंगोत्पत्ति से जुड़ी सर्वाधिक लोकप्रिय कथा के मुताबिक भगवान विष्णु द्वारा वामन रूप में राक्षसराज बलि से त्रिलोक को मुक्त करने की खुशी में ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के चरण धोए और इस जल को अपने कमंडल में भर लिया। इसी से गंगा की उत्पत्ति हुई। कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधि, संजीव नयन बहुगुणा, माधवेन्द्र रावत, हर्षिल के प्रधान दिनेश रावत, सहित जीआईसी हर्षिल के अध्यापक छात्र छात्राएं, सेना के अधिकारी, मातृशक्ति व अन्य विशिष्ट लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन रावल सुभाष सेमवाल ने किया।