बागेश्वर : मंगलवार को विकास भवन सभागार में जिलाधिकारी आशीष भटगांई की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत फार्म लाइवलीहुड प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इस दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि रोजमेरी सहित अन्य औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती किसानों की आर्थिकी मजबूत करने का सशक्त माध्यम बन सकती है। जिलाधिकारी ने जोर देते हुए कहा कि किसान औषधीय एवं सगंध पौधों का उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं और रोजमेरी एवं जड़ी-बूटी उत्पादों से अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को रोजमेरी एवं जड़ी-बूटी उत्पाद संवर्धन के लिए प्रोत्साहित किया गया।
प्रशिक्षण में संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने जिले के उच्च हिमालयी एवं अन्य क्षेत्रों को सुगंध एवं औषधीय पौधों के उत्पादन के लिए अत्यंत अनुकूल बताया और इसे सीधे आजीविका से जोड़ने पर बल दिया। जिलाधिकारी ने एरोमैटिक एवं मेडिसिन प्लांट को समय की जरूरत बताते हुए अधिक से अधिक किसानों से औषधीय एवं सुगंध पौधों के उत्पादन में आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने विश्व स्तरीय मांग को देखते हुए इनकी खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया और सभी खंड विकास अधिकारियों व रेखीय विभागों को किसानों को प्रेरित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती अनउपजाऊ भूमि में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है और इन्हें पारंपरिक फसल चक्र में शामिल कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। उन्होंने प्रतिभागियों से खेती के साथ-साथ वैल्यू-एडिशन पर भी काम करने की अपील की।
अधिकारियों को विभिन्न योजनाओं के साथ कन्वर्जेंस के तहत रोजमेरी एवं जड़ी-बूटी उत्पाद संवर्द्धन के लिए कार्य करने के निर्देश देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि कॉस्मेटिक और मेडिकल इंडस्ट्रीज में इन पौधों की मांग तेजी से बढ़ रही है। भविष्य की बेहतर संभावनाओं को देखते हुए इस दिशा में शीघ्र कार्य सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
मुख्य विकास अधिकारी आरसी तिवारी ने कहा कि सगंध एवं औषधि पौधा उत्पादन के लिए जिले का उच्च हिमालयी क्षेत्र विशेष रूप से अनुकूल है। इस अनुकूलता का लाभ उठाकर किसानों की आय में वृद्धि करने और रोजगार के अवसर सृजित करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके तहत यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ है। कृषि क्षेत्र की चुनौतियों और एरोमैटिक सेक्टर के बढ़ते बाजार को देखते हुए सगंध खेती को बढ़ावा देना किसानों के लिए आजीविका का बेहतरीन विकल्प है। उन्होंने कहा कि सरकार आर्थिकी और पर्यावरण के बीच समन्वय स्थापित करते हुए राज्य की परिस्थितियों के अनुरूप विकास योजनाओं पर ध्यान दे रही है।
सीमैप के सीनियर टैक्निकल ऑफिसर प्रबल वर्मा ने औषधीय एवं सगंध पौधों के व्यापार में अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विकसित तकनीकों पर आधारित हर्बल उत्पाद बनाकर उन्हें बाजार में बेचा जा सकता है। उन्होंने प्रशिक्षण में आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती के साथ ही प्रसंस्करण एवं भंडारण की तकनीकों पर भी विस्तृत जानकारी दी। इस दौरान किसानों से सीधा संवाद भी किया गया।
प्रशिक्षण में परियोजना निदेशक शिल्पी पंत, जिला विकास अधिकारी संगीता आर्या, एसडीओ सुनील कुमार, बीडीओ कपकोट ख्याली राम, तकनीकी अधिकारी सीमैप प्रवल प्रताप सिंह वर्मा, मनीष आर्या सहित अन्य रेखीय विभाग के अधिकारी और किसान उपस्थित रहे।