सड़क के अभाव में आज भी देवाल क्षेत्र के कई गांव के ग्रामीण पैदल दूरी नापने को मजबूर, ग्रामीण कर रहे सड़क नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद

by intelliberindia

देवाल (चमोली)। किसी भी क्षेत्र का विकास का पैमाना मोटर सड़कों से भी आंका जाता है, लेकिन चमोली जिले के देवाल विकास खंड के कई गांव इस हाईटेक युग में भी सड़क से वंचित है। कहीं सड़क हैं भी तो खस्ताहाल है। इस चुनाव में भी लोगों की जबान पर सड़कों का मामले गर्म है। विकास खंड का अंतिम गांव वलाण, बमोटिया बेराधार, आपदा से विस्थापित गांव कुलिंग दिदिडा के लंबे समय से सड़क की मांग करते आ रहे है। अब इन गांवों में सड़क नहीं तो वोट नहीं का नारा भी बुलंद किया जा रहा है।

बलाण गांव देवाल विकास खंड मुख्यालय से 60 किलोमीटर की दूरी में बसा है। ग्रामीण  चार किमी खड़ी चढ़ाई पार कर गांव में पहुंचते हैं।  सबसे बड़ी समस्या गर्भवती महिलाओं और बीमार को डंडी में बैठा कर रोड तक लाना पड़ता है। वलाण गांव की जनसंख्या 870 है गांव में 580 वोटर हैं। गांव में मूलभूत सुविधाएं तो नहीं है, लेकिन सबसे दूरस्थ पोलिंग बूथ है, वहीं विस्थापन की मार झेल रहा दिदिना सड़क की बाट जोह रहा है। यहां पर भी सड़क नहीं है। इसी तरह की समस्या बमोटिया बेराधार के ग्रामीणों के सामने सड़क की समस्या प्रमुख हैं। बीते 15 मार्च को बलाड और वमोटिया के ग्रामीणों ने तहसील थराली में सड़क की मांग को लेकर जुलूस प्रदर्शन किया और चुनाव आयोग को रोड नहीं वोट नहीं का नारा दे कर उनके गांव में पोलिंग पार्टी को नहीं भेजने का आग्रह किया था। थराली-देवाल-वाण और देवाल-सुयाल-कोट-खेता रोड की हालात चिंताजनक बनी हुई है।  ग्रामीण जान हथेली में रख कर आवाजाही कर रहे।

यही हाल शिक्षा का भी है। क्षेत्र के अधिकांश विद्यालयों में अध्यापकों के साथ ही अन्य पद रिक्त होने से छात्रों का भविष्य चौपट बना है। सवाड गांव में अभी तक केन्द्रीय विद्यालय की संचालन नही हो पाया है।  2013 की आपदा में सुबलीगाड, ओडर, हरमल के झूला पुल बह गए थे। अभी तक बहे पुलों के स्थान पर पुल नहीं बना। ग्रामीण ने नदियों में श्रमदान से कच्चे लकडी की बलिया डाल कर आवाजाही कर रहे।

क्या कहते है जनप्रतिनिधि

वलाण गांव के लिए दस बर्ष पहले पीएमजीएसवाई ने गांव से तीन किलोमीटर पहले रोड काट कर छोड दिया है। पिछले लम्बे समय से पत्राचार करते आ रहे है, लेकिन सड़क नहीं बन पायी इसलिए ग्रामीणों ने आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार का निर्णय लिया है। गांव में पोलिंग पार्टी नहीं भेजे जाने का आग्रह भी किया गया है।

विरेन्द्र राम उपप्रधान बलाण।

वर्ष 2018 में दैविक आपदा से पूरा गांव भूस्खलन की चपेट में आया था। सरकार ने गांव के दिदिना तोक में विस्थापन कर दिया लेकिन आज तक मूलभूत सुविधाएं से वंचित है। ग्रामीणों ने लोकसभा चुनावों के बहिष्कार का निर्णय लिया है।

हुक्म सिंह बिष्ट, ग्राम प्रधान कुलिग दिदिना देवाल।

अनुसूचित बाहुल्य गांव बमोटिया के ग्रामीण ने सात किलोमीटर मोटर सड़क की मांग पिछले 15 साल से करती आ रही है लेकिन अभी तक सड़क नहीं बनने से ग्रामीण नाराज हैं चुनाव का बहिष्कार का निर्णय लिया है।

दिलवर रावत ग्राम प्रधान बेराधार देवाल।

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