उत्तराखंड : डीएम डॉ. आशीष चौहान के प्रयास से पहाड़ी अंजीर बेड़ू बदल रहा तकदीर, ये हैं फायदे

by intelliberindia

 

पौड़ी: पहाड़ी अंजीर यानी बेड़ू से बने उत्पादों को बाजर में उतारने के लिए पौड़ी जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान की कवायद रंग लाई है। जिला मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने बताया कि 1 लाख 5 हजार रुपये के विभिन्न उत्पाद देहरादून और कौड़ियाला के दो बड़ा होटलों के साथ ही हिलांश स्टोर सहित चारधाम यात्रा मार्गाे पर बने अन्य स्टोरों के लिए जैम और चटनी के कुल एक हजार उत्पाद भेजे गए हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि बेडू से उत्पादों बनाने का कार्य जनपद मुख्यालय पौड़ी से प्रायोगिक तौर पर शुरु किया गया है।

प्रतिवर्ष छह सौ कुन्तल बेडू के उत्पादन की क्षमता

उन्होंने कहा कि शीघ्र ही जनपद के अन्य स्थानों में भी बेडू से उत्पाद बनाने का कार्य शुरु किया जायेगा। जिलाधिकारी ने बताया कि जिले में प्रतिवर्ष छह सौ कुन्तल बेड़ू के उत्पादन की क्षमता है। इसको अवसर में बदलकर अच्छी आमदनी की जा सकती है। वर्तमान में रीप परियोजना के तहत 36 गांवों की पांच सौ पचास महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों से बेडू का संकलन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पिछले एक सप्ताह में ही विकासखण्ड पौड़ी, कोट, कल्जीखाल, पाबौ, खीसू और एकेश्वर से 3 कुन्तल बेडू संकलित किया गया।

एक हजार उत्पाद किये तैयार

पौड़ी जिले में ग्रामीण उद्यम वेग वृद्वि परियोजना (रीप) के सहयोग से उमंग स्वायत्त सहकारिता समूह ने विभिन्न प्रतिष्ठानों की मांग के अनुरुप एक सप्ताह में जैम और चटनी के एक हजार उत्पाद तैयार किये गये। इस परियोजना के तहत जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से 25-30 रुपये प्रति किलो की दर से बेडू खरीदकर उमंग स्वायत्त सहकारिता समूह को भेजा जाता है।

ये हैं बेडू के लाभ

बेड़ू में विटामिन सी, प्रोटीन, फासफोरस, पोटेशियम, कैलशियम, मैगनिशियम और आयरन पाया जाता है। इससे बने उत्पादों की बाजार मांग से आधा मांग ही पूरी हो पा रही है। रीप के परियोजना प्रबंधक कुलदीप बिष्ट ने बताया कि वर्तमान में बेडू से बने 2 हजार उत्पादों की मांग है, जबकि एक सप्ताह में तीन कुन्तल बेड़ू की प्रोसेसिंग से एक हजार प्रोडक्ट तैयार किये गये हैं।

IAS डॉ. आशीष चौहान के प्रयास

पहाड़ के जंगली फल बेड़ू को पहचान दिलाने के लिए जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान के प्रयासों की साराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात कार्यक्रम में कर चुके हैं। एक अनुमान के अनुसार पौड़ी जिले में प्रतिवर्ष छह सौ कुन्तल बेडू के उत्पादन की क्षमता है। इसको अवसर में बदलकर अच्छी आमदनी की जा सकती है। वर्तमान में रीप परियोजना के तहत 36 गांवों की पांच सौ पचास महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों से बेडू का संकलन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पिछले एक सप्ताह में ही विकासखण्ड पौड़ी, कोट, कल्जीखाल, पाबौ, खीसू और एकेश्वर से 3 कुन्तल बेडू संकलित किया गया।

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