चमोली : जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बुधवार को स्प्रिंग एवं रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी की बैठक ली। जिसमें प्राकृतिक जल स्रोत नौले-धारे और नदियों के जल संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर तकनीकी सर्वेक्षण के साथ प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए।
जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि वन, सिंचाई और पेयजल विभाग मिलकर जनपद में जल संवर्धन के लिए चिन्हित जल स्रोतों के पूरे क्षेत्र का तकनीकि सर्वेक्षण करते हुए ठोस योजनाओं के प्रस्ताव तैयार करें। ऐसे क्षेत्र जहां पर पानी के स्रोत सूख रहे है या पानी की कमी रहती है, वहां विशेष फोकस किया जाए। क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं के अनुरूप विभागीय योजनाओं और स्थानीय लोगों के सहयोग से जल स्रोत और जल संरक्षण कार्यो का क्रियान्वयन किया जाए। ताकि प्राकृतिक जल स्रोत धारे, नोले और नदियों का चिरस्थाई प्रवाह बना रहे। वर्षा जल संरक्षण के लिए मनरेगा से कर्न्वेजेंस करते हुए विभाग स्तर पर वृक्षारोपण, खंती, चाल-खाल, चेकडैम एवं अन्य जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया जाए। सभी संबधित विभाग आपसी समन्वय बनाकर लक्ष्य निर्धारित करते हुए जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए ठोस योजना बनाकर कार्य करेें।
परियोजना निदेशक आनंद सिंह ने बताया कि स्प्रिंगशेड एंड रिवर रिजुवनेशन अथॉरिटी (सारा) के अंतर्गत जिला स्तर पर प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जल संस्थान को नोडल विभाग बनाया गया है। जल संस्थान द्वारा इसकी कार्ययोजना तैयार की गई है। जल संस्थान व जल निगम द्वारा जनपद में 87 जल स्रोत को चिन्हित किया गया है। सिंचाई विभाग द्वारा 20 सहायक नदियों को चिन्हित किया गया है। कैच द रैन कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में प्लांटेशन, 1.43 लाख ट्रेंच निर्माण, 1351 चाल-खाल, 4752 चेकडैम एवं 936 अन्य जल संग्रहण संरचनाओं के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
बैठक में परियोजना निदेशक आनंद सिंह, ईई जल संस्थान एसके श्रीवास्तव, अधिशासी अभियंता सिंचाई अरविन्द सिंह नेगी, केदारनाथ डिवीजन के एसडीओ जुगल किशोर सहित वर्चुअल माध्यम से सभी संबंधित अधिकारी मौजूद थे।