50
उत्तर काशी (कीर्ति निधि सजवाण): सावन का उल्लास अगर देखना है तो चलें आएं उत्तरकाशी जिले में.यहां गंगा घाटी से लेकर यमुना घाटी तक सावन में मेलों की धूम रहती हैं.यहां मेलों में पारंपरिक संस्कृति अभी भी मौजूद है.यहां ग्रामीण मेलों में सिर्फ देव पूजन ही नहीं करते, बल्कि लोक गीत, लोक नृत्य, पारंपरिक परिधान पहनते हैं और पारंपरिक पकवानों का आनंद भी लेते हैं। उत्तरकाशी जनपद लोक संस्कृति के लिहाज से बेहद सपन्न है यहां के ग्रामीण अभी भी अपनी लोक संस्कृति के संरक्षण में जुटे हुए हैं । यहां की लोक संस्कृति सावन के मेले में खास दिखती है इन दिनों गंगा घाटी के गांव में फुल यार मेले का आयोजन हो रहा है इस मेले में ग्रामीण बुग्याल इस क्षेत्र में फूल तोड़ कर लाते हैं और देवताओं को चढ़ाते हैं यह मेला हर गांव में अलग-अलग दिन तक होता है। पाही आदि गांव में यहां मेला संपन्न हो चुका है जबकि भटवाड़ी क्षेत्र के अन्य गांवों में चल रहा है।
भटवाड़ी क्षेत्र की जनता सोमेश्वर महाराज को पूछती है इस क्षेत्र के गांव के इष्टदेव शमशेर है जिस गांव में भी देवता पहुंचता है वह लोक मेले का आयोजन होता है वही कहीं गांव के इस इष्टदेव भी है। भटवारी ब्लॉक के पास गांव निवासी विनोद बटला कहते हैं कि लोक संस्कृति को लेकर गंगा घाटी काफी खुश है सावन के मेले में यहां के गांव-गव में होते हैं। जो बरसों से होता होते चले आ रहे हैं मेले के दौरान घर-घर में ग्रामीण स्थानीय पकवान बनाते हैं और मेहमानों का स्वागत करते हैं। हर महा सावन मास में पाही गांव में यह मेला आयोजित होता है।