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कोटद्वार। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, भारत रत्न, महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, आजादी के संघर्ष में हजारों दिन जेल में बिताने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर कांग्रेस जनों ने जिला व नगर कांग्रेस कार्यालय में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर सृद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में उनके जीवन वृत्त पर प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि ऐश्वर्य एवं वैभवपूर्ण जीवनशैली के साथ विदेशों में शिक्षा ग्रहण के बाबजूद भी अपनी जीवन शैली का परित्याग कर खादी एवं गांधी टोपी पहनकर 1920 -22 के बीच असहयोग आंदोलन में शामिल होकर पहली बार जेल गए और लगातार देश की आजादी के संघर्ष से जुड़ गए और कांग्रेस पार्टी के 1929 लाहौर वर्तमान पाकिस्तान अधिवेशन में अध्यक्ष बनने के साथ ही महत्वपूर्ण पदों पर काबिज रहे, देश की आजादी के बाद प्रधानमंत्री बनने के साथ नेहरू ने देश के सामने खड़ी चुनौतियों का भी डटकर मुकाबला किया और सफलता हासिल की।
प्रधानमंत्री काल में विश्व पटल पर अपनी राजनीतिक सूज- बूझ का लोहा मनवाते हुए उपनिवेश वाद की समाप्ति, गुट निरपेक्ष आंदोलन में 120 देशों की सदस्यता, कोरियाई युद्ध का अंत, स्वेजनहर विवाद, कांगो समझौता और पंचशील सिद्धांत आदि में प्रभावकारी मध्यस्थता की भूमिका निभाई। आराम हराम है प्रमुख नारे के साथ ही उन्होंने डिस्कबरी ऑफ इंडिया, ग्लिंपसेज ऑफ वर्ड हिस्ट्री, मेरी कहानी, पत्र पिता का पुत्री के नाम आदि पुस्तकों की रचना भी की। बताया कि उन्होने अपनी आत्मकथा में यह भी इच्छा प्रकट की थी कि मैं चाहता हूं कि मेरी भष्म का शेष उन खेतों में बिखेर दिया जाय जहां भारत के किसान कड़ी मेहनत करते हैं, ताकि वह भारत की धूल और मिट्टी में मिलकर भारत का अभिन्न अंग बन जाएं ।कार्यक्रम में जिला एवं नगर कांग्रेस के समस्त पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे ।