26
- बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए डीएम ने चलाई उत्कर्ष कार्यक्रम।
- दूरस्थ क्षेत्र के अंतिम विद्यालय भी अब व्हाइट बोर्ड, एलईडी बल्ब ट्यूब लाइट, फर्नीचर आदि से होगी सुसज्जित।
- उत्कर्ष प्रोजेक्ट की रखी गई दिसंबर माह की डेडलाइन – डीएम
- डीएम की ड्रीम प्रोजेक्ट पर मुख्य शिक्षा अधिकारी ने प्रधानाचार्यों को की संबोधित।
- गत माह डीएम ने दिए निर्देश पर सीईओ ने बुलाई प्रधानाचार्यों की बैठक।
देहरादून : जिलाधिकारी सविन बंसल ने गत माह शिक्षा विभाग की परिचयात्मक बैठक के दौरान मुख्य शिक्षा अधिकारी को प्रोजेक्ट उत्कर्ष कार्यक्रम के अंतर्गत शैक्षिक परिदृश्य में सुधार लाने के दिए गए दिशा निर्देश के अनुपालन में शनिवार को नगर निगम सभागार में जिला देहरादून के राजकीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाई स्कूल एवं इंटर के विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की बैठक में सम्पन्न हुई।
इस अवसर पर बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून प्रदीप कुमार रावत ने कहा कि प्रोजेक्ट उत्कर्ष कार्यक्रम जिलाधिकारी देहरादून द्वारा की गई एक सार्थक पहल है। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्यक्रम को धरातल पर उतारना एक महत्वपूर्ण कड़ी है। अन्य कार्यक्रमों की तरह उत्कर्ष कार्यक्रम को भी विद्यालय स्तर पर क्रियान्वित करने में विद्यालय प्रमुखों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी ।उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाई स्कूल, इंटर और उच्च शिक्षा के बीच संवाद होना आवश्यक है। शासकीय विद्यालयों में उच्च योग्यता धारक शिक्षक हैं। उनके साथ ही विद्यालय में आधारभूत ढांचा भी हो तो ये विद्यालय शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्र के रूप कार्य करेंगे।
उन्होंने कहा कि एक शिक्षक के रूप में हमारा ध्यान दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों के सर्वांगीण विकास की ओर होना चाहिए। श्री रावत ने कहा कि उत्कर्ष कार्यक्रम के अंतर्गत हर विद्यालय में व्हाइट बोर्ड, हर कक्ष में एल.ई.डी बल्ब या ट्यूब लाइट फर्नीचर के साथ ही बंदरों से सुरक्षित पानी टैंक के साथ ही आउटडोर तथा इंडोर खेलों की व्यवस्था के लिए पर्याप्त खेल सामग्री उपलब्ध होनी चाहिए। शिक्षक की भूमिका विद्यालय की चहारदीवारी से बाहर समाज के एक नेता के रूप में भी है। बच्चों में आजकल विशेषकर शहरी क्षेत्र में नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इसको रोकने में भी शिक्षक की अहम भूमिका है। शिक्षक को बच्चों की ऊर्जा को रचनात्मक कार्यों की ओर प्रवृत्त करने की दिशा में भी कार्य करना होगा। कहां कि जिलाधिकारी द्वारा इस प्रोजेक्ट की डेडलाइन दिसंबर माह रखी गई है। निर्देश के अनुपालन में आप सभी अपने अपने विद्यालयों में सक्रियता से उत्कर्ष प्रोजेक्ट की कार्यवाही करेंगे।
जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक भुवनेश्वर प्रयास जदली ने कहा कि प्रधानाचार्य विद्यालय का अकादमिक और प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है। उसे विद्यालय में निष्पक्षता के साथ हर निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने एन.एम.एम.एस और डॉ शिवानंद नौटियाल छात्रवृत्ति में बच्चों के नामांकन के प्रति बच्चों को प्रेरित करने का भी आह्वान किया।उन्होंने विद्यालय के पुस्तकालय को समृद्ध करने के लिए भी सुझाव दिए।
खंड शिक्षा अधिकारी रायपुर हेमलता गौड़, बड्डी काउंसलिंग क्लब के चीफ एग्जीक्यूटिव अधिकारी श्री अरोड़ा, डायट देहरादून के विपिन भट्ट द्वारा प्राथमिक स्तर ,उच्च प्राथमिक स्तर ,माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर बच्चों की रचनात्मक क्षमता तथा बच्चों के सर्वांगीण विकास एवं शैक्षणिक वातावरण की सकारात्मक पहल पर विस्तृत चर्चा करते हुए सुझाव भी दी गई। इस अवसर पर खंड शिक्षा अधिकारी विकासनगर विनीता रानी कठैत,खंड शिक्षा अधिकारी डोईवाला धनवीर सिंह बिष्ट तथा खंड शिक्षा अधिकारी रायपुर पी एल भारती और बी ई ओ चकराता बुशरा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।कार्यक्रम का संचालन राजकीय इंटर कालेज बड़ावाला के प्रधानाचार्य शैलेश कुमार श्रीवास्तव ने किया।