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कोटद्वार। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ॠषिकेश की ओर से आयोजित कार्यशाला में इंस्टीट्यूट ऑफ हास्पीटेलिटी मैनेजमेंट एंड साइंसेज के छात्र-छात्राओं ने आपातकाल में मानव जीवन बचाने के तरीके सीखे। संस्थान की ओर से छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण का प्रमाणत्र दिया गया। एम्स ॠषिकेश के ट्रॉमा सर्जरी एवं क्रिटिकल केयर विभाग की ओर से आयोजित फस्ट रिस्पोंडर कोर्स में आईएचएमएस के 50 छात्र-छात्राओं और तीन प्राध्यापकों ने प्रतिभाग कर इमरजेंसी में लोगों के जीवन को बचाने के गुर सीखे। संस्थान के नर्सिंग सुप्रिटेंट महेश देवास्थली ने छात्र-छात्राओं को बिना हेलमेट के होने वाली सड़क दुघर्टनाओं की जानकारी दी। इसके बाद नर्सिंग अधिकारियों ने सड़क में दुघर्टना होने पर घायल को बचाने और प्राथमिक सुरक्षा देने, हार्ट अटैक से पीड़ित व्यक्ति को सीपीआर देने, लकुवा और मिर्ग्री का दौरा पड़ने, सांप के काटने, कुत्ते के काटने, सड़क दुघर्टना में अंग भंग, फैक्चर होने, गले की चोकिंग, बिजली का करंट, जहर का सेवन और जलने पर उसका प्राथमिक देखभाल करने के तरीके सिखाए ।
आईएचएमएस के छात्र-छात्राओं ने पुतलों के माध्यम से आपातकाल में प्राथमिक सुरक्षा देने के उपायों को सीखा। इस अवसर पर कोर्स के डायरेक्टर डॉ मधुर उनियाल ने अपने संबोधन में कहा कि आपातकाल में अगर सुरक्षा के उपायों की जानकारी हो तो लोगों को असमय मौत से बचाया जा सकता है। प्रथम उपचार और सुरक्षा का कार्य बहुत महत्वपूर्ण होता है। एम्स के ट्रामा सेंटर के चिकित्सक भी तभी व्यक्ति को बचा सकते हैं, जब वह उपचार के लायक बचा हो। कहा कि मामले में सबसे अधिक खराब हालात पर्वतीय क्षेत्रों का है। यहां पर प्राथमिक सुरक्षा नहीं मिलने पर लोग एम्स आने तक रास्ते में दम तोड देते हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कार्स में मिली जानकारी को जन जन तक पहुंचाने और जरुरतमंदों के जीवन को बचाने की अपील की। इस अवसर पर आईएचएमएस के जनसंपर्क अधिकारी नरेश थपलियाल, कंप्यूटर साइंस की विभागाध्यक्ष विजयश्री खुगशाल, प्रध्यापाक सिद्धांत नौटियाल, सीनियर नर्सिंग ऑफीसर अखिलेश उनियाल, दीपिका कांडपाल, कादिर खान, नर्सिंग ऑफीसर सुशीला पन्नू, प्रियंका, हिमांशु पाठक, मेघा भट्ट, यूनेस, राखी समेत विभाग के अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।