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कोटद्वार । हिन्दी के प्रथम डी. लिट डॉ पीतांबर दत्त बड़थ्वाल की 121वीं जयंती के अवसर पर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कोटद्वार की संरक्षिका प्राचार्य प्रो. जानकी पंवार ने पीतांबर दत्त बड़थ्वाल जी की मूर्ति पर पुष्पमाला अर्पित कर श्रद्धांजलि देते हुए उनका भावपूर्ण स्मरण किया। प्राचार्य के साथ समस्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने उनको भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की ।श्रद्धांजलि देने के उपरान्त महाविद्यालय की संरक्षिका प्राचार्य जानकी पंवार ने छात्र- छात्राओं को संबोधित करते हुए डॉ पीताम्बर दत्त की जीवन-यात्रा पर प्रकाश डाला और छात्र छात्राओं को उनका साहित्य पढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने बताया कि पीतांबर दत्त बड़थ्वाल का जन्म 13 दिसंबर 1901 को लैंसडाउन के पाली गांव एवम मृत्यु 24 जुलाई 1944 को हुई थी। अपने अल्प समय में ही उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की।
इस अवसर पर हिंदी विभाग की विभाग प्रभारी डॉ शोभा रावत, प्रो आरसी चौहान, डॉ सुमन कुकरेती, डॉ अरुणिमा मिश्रा, डॉ रोशनी असवाल, डॉ प्रियम अग्रवाल, डॉ ऋचा जैन, डॉ सरिता चौहान, डॉ मानसी वत्स एवम महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। इस अवसर पर हिंदी विभाग ने व्याख्यान आयोजित किया जिसमें विद्यार्थियों ने डॉ पीतांबर दत्त बड़थ्वाल पर अपने अपने विचार प्रस्तुत किए । डॉ. शोभा रावत ने अपने व्याख्यान में कहा कि वर्तमान में हिंदी साहित्य में शोध प्रवृत्ति की जो इमारत खड़ी है उसकी प्रथम नींव डॉ बड़थ्वाल ही थे। डॉ सुमन कुकरेती ने अपने व्याख्यान में उनके आलोचनात्मक ग्रंथों के विषय में अपने विचार प्रकट किए। व्याख्यान में डॉ संजीव कुमार, डॉ पूनम गैरोला, डॉ नवरत्न सिंह ,डॉ संत कुमार, डॉ कविता रानी इत्यादि उपस्थित रहे।