विद्या भारती उत्तराखंड प्रांत द्वारा आयोजित 06 दिवसीय प्रांतीय आचार्य प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ आयोजन

by intelliberindia

रुड़की : आनन्द स्वरुप आर्य सरस्वती विद्या मन्दिर रुड़की में विद्या भारती उत्तराखंड प्रांत द्वारा आयोजित 06 दिवसीय प्रांतीय आचार्य प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन प्रदेश निरीक्षक विद्या भारती उत्तराखण्ड डॉ. विजयपाल सिंह,  मंत्री भारतीय शिक्षा समिति उत्तराखण्ड़ डॉ. रजनीकान्त शुक्ल, सम्भाग निरीक्षक गढ़वाल नत्थीलाल बंगवाल, सम्भाग निरीक्षक कुमायूँ सुरेशानन्द जोशी एवं विद्यालय के प्रधानाचार्य अमरदीप सिंह ने भारत माता एवं माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यशाला में उत्तराखंड़ के समस्त 14 संकुलो के 53 प्रशिक्षार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’’ के क्रियान्वयन, विशेषता तथा उसके विषयों के अध्ययन पर केन्द्रित रहा। कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में विद्या भारती की संकुल योजना, अच्छे प्रशिक्षक कैसे बने, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के नई तकनीक से परिचित होना, शिक्षण के परिणाम, विभिन्न विषयों पर छात्रों द्वारा प्रस्तुती, प्रायोगिक ज्ञान, भारतीय अवधारणा में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता, विद्यालय आधारित आकलन, व्यवहार एवं कौशल, व्यवसायिक कौशल एवं व्यवसायिक जोखिम, खिलौना आधारित शिक्षा आदि मुख्य विषय रहेगे। कार्यशाला में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान आदि विषयों के शिक्षण कौशल को विकसित किया जायेगा।

उद्घाटन सत्र में  प्रदेश निरीक्षक विद्या भारती उत्तराखण्ड डॉ. विजयपाल सिंह ने कहा कि विद्या भारती के विद्यालय सामाजिक गतिविधियों का केन्द्र भी बने। एक संस्थान के रुप में विद्यालयों की प्रतिष्ठा स्थापित हो, इसके लिए विद्यालय की प्रयोगशाला, पुस्तकालय आदि का प्रयोग हो सकता है। आज विद्या भारती की विशिष्ट पहचान सम्पूर्ण देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से हुई है। हमें पंचकोषीय विकास की अवधारणा को समझना होगा और भारतीय जीवन दर्शन ही शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है। जिसे हमसा विद्याया विमुक्तेय के रूप में भी समझते हैं।

इस अवसर पर  मंत्री भारतीय शिक्षा समिति उत्तराखण्ड़ डॉ. रजनीकान्त शुक्ल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर बल देगे। ज्ञान, कौशल, व्यवहार को ठीक दिशा में रखने के लिए जिस समावेशी पद्दति का प्रयोग होता है उसे ही प्रशिक्षण कहते है। क्रिया आधारित विचार, विवेक, दायित्व, बोध आदि के उद्देश्य को लेकर हमें बालक का निर्माण करना है। इस अवसर पर इन्द्रपाल परमार, मनोज रियाल, मदन सिंह, मनोज कुकरेती एवं विद्यालय के शिक्षक/शिक्षकायें मौजूद रहे।

 

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