उत्तराखंड : त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए किया 02 दिवसीय गहन मंथन

by intelliberindia

देहरादून : पंचायतीराज विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संविधान के 73 में संशोधन के अन्तर्गत त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त बनाये जाने के उ‌द्देश्य से पंचायतों को प्रशासनिक, कार्यकारी एवं वित्तीय अधिकारों के संक्रमण के दृष्टिगत 29 विषयों के हस्तांतरण को लेकर पंचायतीराज मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में आहूत सेमीनार के दूसरे दिन भी गहन मंथन किया गया।

त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए हुआ मंथन

पंचायतीराज विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संविधान के 73 वें संशोधन के अन्तर्गत त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को सशक्त बनाने हेतु पंचायतों को प्रशासनिक, कार्यकारी एवं वित्तीय अधिकारों के- संक्रमण के प्रयोजन हेतु पंचायतीराज निदेशालय स्तर पर दिनांक 12 दिसम्बर 2023 को पंचायतीराज मंत्री उत्तराखण्ड सरकार सतपाल महाराज की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में निम्न आमंत्रित पदाधिकारी एवं विभागीय व NIRDPR हैदराबाद संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रति भाग किया गया।
बैठक का प्रारम्भ संविधान के 73 वें संशोधन के द्वारा गर्वनेन्स की तीसरी कड़ी को सशक्त बनाये जाने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्र में स्व-शासन स्थापित करने, सत्ता के साथ-साथ कार्य, अधिकार तथा स्टाफ और वित्तीय संसाधन प्रयुक्त करने के महत्वपूर्ण विषय को पंचायतीराज संस्थाओं को संक्रमित करने विषय पर गहनता के साथ उपस्थित पदाधिकारियों/अधिकारियों द्वारा अपने समुचित विचार व्यक्त किए गये। विकास प्रशासन पूर्णतया लोकोन्मुखी और प्रजातंत्र की न्यूनतम इकाई वास्तव में नियोजन, क्रियान्वयन और रेग्यूलेशन की प्रथम कड़ी रहे, यही इस विचार मंथन का मुख्य उद्देश्य था।
आहूत बैठक में विभागीय अधिकारियों द्वारा वर्ष 2003 में पंचायतों को 11 वीं अनुसूची में विर्निदिष्ट 29 विषयों के सापेक्ष 14 विषयों के निर्गत शासनादेश पेयजल, ग्रामीण आवास, गरीबी उन्मूलन, प्राथमिक शिक्षा, प्रौढ़ अनौपचारिक शिक्षा, पुस्तकालय, सांस्कृतिक क्रियाकलाप, परिवार कल्याण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता कार्यक्रम, महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, लघु सिंचाई तथा कृषि (जलागम) के वित्तीय / कार्यकारी और कार्मिक आधार पर पूर्ण नित्रयण त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को सौंपने का निर्णय लिया गया था, के परिप्रेक्ष्य में विस्तृत जानकारी पदाधिकारियों के मध्य रखी गई और उपस्थित पदाधिकारियों द्वारा अपने बहुमूल्य सुझाव भी मौके पर रखे गये।
पंचायतीराज मंत्री उत्तराखण्ड सरकार सतपाल महाराज द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को सृदृढ़ और मजबूती प्रदान करने के दृष्टिगत उपस्थित सभी विभागीय अधिकारियों को इस अतिमहत्वपूर्ण व्यवस्था को शीघ्र अस्तित्व में लाने अर्थात 73 वें संशोधन में निहित सत्ता के विकेन्द्रीकरण की मूल भावनाओं को मूर्तरूप देने के लिए यथाशीघ्र 29 विषयों को पंचायतों की परिधि में लाये जाने सम्वन्धी हस्तान्तरण की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गये।
अंतः में बैठक में उपस्थित अध्यक्ष जिला पंचायत मधु चौहान, प्रमुख कालसी मठोर सिंह, प्रमुख डोईवाला भगवान सिंह, प्रधान पुरोहितवाला सहसपुर रेनू क्षेत्री, प्रधान केदारवाला विकासनगर तवसुम, सुधीर रतूड़ी, प्रधान, रानीपोखरीग्रांट डोईवाला, जनपद देहरादून, आशा नेगी, प्रमुख, बहादराबाद, नितीश कुमार प्रमुख, खानपुर, राजेश कुमार वर्मा, प्रधान बहादरपुर जट्ट, बहादराबाद, प्रमोद कुमार, प्रधान, रायली महदूद, बहादराबाद, अकरम जावेद, प्रधान, नन्हेड़ा अन्नतपुर, रूड़की जनपद हरिद्वार, भाष्कर सम्मल, प्रदेश अध्यक्ष, प्रधान संगठन, उत्तराखण्ड, ऑफ लाईन / ऑनलाईन जनपदों के पदाधिकारी गणों सहित NIRDPR संस्थान हैदरावाद तथा शासन / निदेशालय स्तरीय वरिष्ठ अधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापित कर बैठक का समापन किया गया।

पंचायतों को 29 विषयों के हस्तांतरण को लेकर दूसरे दिन भी हुआ मंथन

पंचायतीराज विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संविधान के 73 वें संशोधन के अन्तर्गत त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त बनाये जाने के उद्देश्य से पंचायतों को प्रशासनिक, कार्यकारी एवं वित्तीय अधिकारों के संक्रमण के दृष्टिगत 13 दिसम्बर 2023 को पंचायतीराज मंत्री उत्तराखण्ड सरकार सतपाल महाराज की अध्यक्षता में होटल पैसेपिक, देहरादून में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में हरिचन्द्र सेमवाल, सचिव पंचायतीराज विभाग, दीपेन्द्र कुमार चौधरी, सचिय, कृषि विभाग, आलोक कुमार पाण्डेय, अपर सचिव, पंचायतीराज विभाग, निधि यादव, निदेशक, पंचायतीराज, संजय सिंह टोलिया, अपर सचिव-निदेशक, जनजाति आयोग, के.सी. पाठक, निदेशक कृषि विभाग, पी०एस० पांगती, अपर आयुक्त, खाद्य विभाग, के०के० डिमरी, सहायक आयुक्त, राजस्व विभाग, जी०आर०नौटियाल, संयुक्त निदेशक, समाज कल्याण, ए० के० राजपूत, उपायुक्त ग्राम्य विकास विभाग, अनुपम द्विवेदी, उपनिदेशक, उद्योग विभाग, धीरेन्द्र कुमार सिंह, उपनिदेशक, युवा कल्याण विभाग, निधि रावत, उपायुक्त, खाद्य एवं नागरिक आप आपूर्ति विभाग, डॉ० बी० एस० नेगी, स्टॉफ ऑफीसर, स्वास्थ्य महानिदेशालय, एच० एस० बसेडा, उप सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, पल्लवी कुमारी, अधिशासी अभियन्ता, पेयजल विभाग, रतन कुमार, संयुक्त निदेशक, उद्यान, एम० के० कानियाल, उपनिदेशक, तकनीकी शिक्षा, बी० के० तिवारी, विभागाध्यक्ष सिंचाई विभाग, श्री एस० डी० मासीवाल, सी.ई.ओ., खादी बोर्ड, कल्याणी नेगी, उपवन संरक्षक, वन विभाग, वाई.एस. तोमर, एस.ई.. पॉवर कार्पोरेशन, उत्तराखण्ड, डी० के० तिवारी, ए.एस., एम.एस.एम.ई. उत्तराखण्ड, राजीव कुमार, इंसपेक्टर, डेयरी विभाग, वन्दना, डिप्टी सी.पी.ओ. उरेडा विभाग, NIRDPR हैदराबाद के वरिष्ठ अधिकारी डॉ० अंजन कुमार भांजा एसोसिएट प्रोफेसर, मोहम्मद तकुउद्दीन कंसलटैन्ट, डॉ. नोहसीन उद्दीन कंसलटैन्ट एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
बैठक के उपक्रम को NIRDPR हैदराबाद संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अंजन कुमार भांजा एवं मोहम्मद तकुउद्दीन कंसलटेन्ट द्वारा क्रमवार शुरू करते हुए संविधान के 73 वें संशोधन के द्वारा गर्वनेन्स की तीसरी कड़ी को सशक्त बनाये जाने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्र में स्व-शासन स्थापित करने, सत्ता के साथ-साथ कार्य, अधिकार तथा स्टॉफ और वित्तीय संसाधन प्रयुक्त करने के महत्वपूर्ण मामले को चरणबद्ध रूप में पंचायतीराज संस्थाओं को संक्रमित करने अर्थात विकास प्रशासन पूर्णतया लोकोन्मुखी और प्रजातंत्र की न्यूनतम इकाई वास्तव में नियोजन, क्रियान्वयन और रेग्यूलेशन की प्रथम कड़ी रहे, इस विचार मंथन में विषयवार गंभीरता के साथ प्रकाश डाला और विभागों के स्तर से भी सुझावों की अपेक्षा की गई।
बैठक में त्रिस्तरीय पंचायतों को 11 वीं. अनुसूची में विर्निदिष्ट 29 विषयों यथा 1. कृषि, 2. भूमि सुधार, भूमि सुधारों का कार्यान्वयन, भूमि समेकन और मृदा संरक्षण, 3. लघु सिंचाई / जल प्रबंधन और वाटरशेड विकास, 4. पशुपालन, डेयरी / मुर्गीपालन, 5. मछली पालन, 6. सामाजिक वानिकी और कृषि वानिकी, 7. लघु वन उत्पादन, 8. खाद्य प्रसंस्करण / लघु उद्योग, ७. खादी, ग्राम एवं कुटीर उद्योग, 10. ग्रामीण आवास, 11. पेयजल. 12. ईधन और चारा, 13. सड़कें, पुलिया, पुल, घाट, जलमार्ग और संचार के अन्य साधन, 14, ग्रामीण विद्युतीकरण, जिसमें बिजली का वितरण भी शामिल है, 15. गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत, 16. गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, 17. शिक्षा, जिसमें प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं, 18. तकनीकी प्रशिक्षण एवं व्यवसायिक शिक्षा, 19. वयस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा, 20. पुस्तकालय, 21. सांस्कृतिक गतिविधियां, 22. बाजार और मेले, 23. अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और औषधालयों सहित स्वास्थ्य और स्वच्छता, 24. परिवार कल्याण, 25. महिला बाल विकास, 26. सामाजिक कल्याण, जिसमें विकलांगों और मानसिक रूप से विकलांगों का कल्याण भी शामिल है, 27. कमजोर वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का कल्याण, 28. सार्वजनिक वितरण प्रणाली, 29. सामुदायिक परिसंपत्तियों का रख-रखाय, के सापेक्ष वर्ष 2003 में 14 विषयों के निर्गत शासनादेश पेयजल, ग्रामीण आवास, गरीबी उन्मूलन, प्राथमिक शिक्षा, प्रौढ़ अनौपचारिक शिक्षा, पुस्तकालय, सांस्कृतिक क्रियाकलाप, परिवार कल्याण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता कार्यक्रम, महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, लघु सिचाई तथा कृषि (जलागम) के वित्तीय / कार्यकारी और कार्मिक आधार पर पूर्ण नित्रयण त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को सौंपे जाने संबंधी कार्यवाही पर विस्तारपूर्णक प्रकाश डालते हुए भविष्य में योजनाबद्ध रूप से इस प्रक्रम को आगे बढ़ाने हेतु उपस्थित समस्त वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों द्वारा अपने बहुमूल्य सुझाव मौके पर रखे गये।
उक्त विषयों के साथ ही NIRDPR हैदरावाद संस्थान के उपस्थित अधिकारियों द्वारा विभागों के स्तर पर ओ.एस.आर. के संदर्भ में विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए निर्धारित किए गये कतिपय प्रपत्रों पर विभागीय संरचनाओ / योजनाओं की सूचना भी उपलब्ध कराने की अपेक्षा की गई। पंचायतीराज मंत्री उत्तराखण्ड सरकार द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को और अधिक सृदृढ एवं मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से उपस्थित सभी विभागीय अधिकारियों को इस अतिमहत्वपूर्ण संबैधानिक व्यवस्था को सामूहिक सहयोग के साथ चरणबद्ध रूप में यथाशीघ्र अस्तित्व में लाने अर्थात 73 वे संशोधन में निहित सत्ता के विकेन्द्रीकरण की मूल भावनाओं को मूर्तरूप देने के लिए 29 विषयों को पंचायतों सौंपे जाने अर्थात हस्तान्तरण की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गये। अंत में बैठक में उपस्थित समस्त विभागीय अधिकारी गणों का धन्यवाद ज्ञापित कर बैठक का समापन किया गया।








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