स्पोर्ट्स डेस्क : साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम ने आखिरकार ‘चोकर्स’ के तमगे को इतिहास के पन्नों में दफन कर दिया। टेम्बा बावुमा की कप्तानी में इस टीम ने क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स मैदान पर ऑस्ट्रेलिया को पांच विकेट से हराकर पहली बार आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) का खिताब अपने नाम किया। यह जीत साउथ अफ्रीका के लिए 27 साल बाद किसी आईसीसी टूर्नामेंट में मिली पहली सफलता है। इससे पहले 1998 में इस टीम ने आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी (अब चैंपियंस ट्रॉफी) जीती थी।
कठिन लक्ष्य, शानदार जीत
साउथ अफ्रीका को जीत के लिए 282 रनों का लक्ष्य मिला था, जो लॉर्ड्स की मुश्किल पिच पर आसान नहीं था। एडेन मार्करम के शानदार 136 रनों (207 गेंद, 14 चौके) और कप्तान बावुमा की चोट के बावजूद जुझारू 66 रनों (134 गेंद, 5 चौके) की पारी ने टीम को 83.4 ओवर में लक्ष्य तक पहुंचाया। डेविड बेडिंघम (नाबाद 21) और काइल वेरीयेने (नाबाद 4) ने अंतिम क्षणों में जीत सुनिश्चित की। इस जीत ने ऑस्ट्रेलिया के खिताब बचाने के सपने को चकनाचूर कर दिया।
आसान नहीं थी राह
मैच की शुरुआत में साउथ अफ्रीका के गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में 212 रनों पर समेट दिया। लेकिन उनकी बल्लेबाजी पहली पारी में केवल 138 रनों पर सिमट गई, जिससे ऑस्ट्रेलिया को 74 रनों की बढ़त मिली। दूसरी पारी में बावुमा की रणनीति ने ऑस्ट्रेलिया को दबाव में ला दिया। ऑस्ट्रेलिया 73 रनों पर सात विकेट खो चुकी थी, लेकिन मिचेल स्टार्क की नाबाद 58 रनों की पारी ने उन्हें 207 रनों तक पहुंचाया।
मार्करम-बावुमा की साझेदारी ने पलटा पासा
282 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए साउथ अफ्रीका की शुरुआत अच्छी नहीं रही। मिचेल स्टार्क ने तीसरे ओवर में रियान रिकेलटन और 70 के स्कोर पर वियान मुल्डर को आउट कर झटके दिए। लेकिन मार्करम और बावुमा ने धैर्य और सूझबूझ से बल्लेबाजी की। दोनों ने शतकीय साझेदारी कर टीम को जीत की राह पर ला खड़ा किया। बावुमा ने मांसपेशियों में खिंचाव के बावजूद हार नहीं मानी, जबकि मार्करम ने शतक जड़कर अपनी अहमियत साबित की। तीसरे दिन के अंत तक साउथ अफ्रीका को 69 रन चाहिए थे, और जीत की उम्मीदें मजबूत थीं।
चौथे दिन मिली ऐतिहासिक जीत
चौथे दिन साउथ अफ्रीका ने 212/2 से शुरुआत की। बावुमा चोट के कारण ज्यादा देर नहीं टिक सके और पैट कमिंस ने उनकी पारी खत्म की। ट्रिस्टन स्टब्स (8) भी जल्दी आउट हो गए। मार्करम ने एक छोर संभाले रखा, लेकिन जीत से छह रन पहले जोश हेजलवुड ने उन्हें आउट कर दिया। इसके बावजूद बेडिंघम और वेरीयेने ने कोई गलती नहीं की और टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई।
गेंदबाजों का भी शानदार योगदान
इस जीत में कगिसो रबाडा का योगदान अहम रहा, जिन्होंने कुल नौ विकेट लिए (पहली पारी में 5, दूसरी में 4)। मार्को यानसेन और लुंगी एंगिडी ने भी उनका बखूबी साथ दिया।
‘चोकर्स’ के दाग से मुक्ति
साउथ अफ्रीका की यह जीत न केवल एक खिताबी सफलता है, बल्कि उस मानसिकता को तोड़ने का प्रतीक है, जो इस टीम को सालों से ‘चोकर्स’ के रूप में चिन्हित करती थी। बावुमा और उनकी टीम ने न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया को हराया, बल्कि यह साबित कर दिया कि वे दबाव में भी बड़े लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। यह जीत साउथ अफ्रीका क्रिकेट के लिए नया अध्याय लिखेगी।