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नई दिल्ली। विश्वविख्यात रामकथा व्याख्याता मोरारी बापू की धर्मपत्नी नर्मदा “बा” का मंगलवार, 10 जून को “वट सावित्री” के दिन रात्रि के समय निधन हुवा है। अतः साधु समाज की पवित्र प्रवाहित परंपरा के अनुसार, कैलाशवासी नर्मदाबेन को आज सुबह 9 बजे समाधि दी गई। यहाँ सविशेष उल्लेखनीय है कि, साधु समाज में मृत्यु को मंगल अवसर माना जाता है, अतः मृत्यु का शोक मनाने के बजाय धून,भजन व कीर्तन गाते हुए मृतात्मा के पार्थिव शरीर को आरती, नगाड़े व शंख नाद एवं करतल ध्वनि के साथ “महा आरती नाद” के साथ समाधिस्थ हेतु परम विदाई मान दीया जाता है।
पूज्य नर्मदा “बा” को भी “हरे रामा रामा राम, सीताराम राम राम राम…” के कीर्तन के साथ बापू के निवासस्थल “कैलाश” के परम पावन व पवित्र परिसर में “समाधि” दी गई। इस अवसर पर धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक व विभिन्न क्षेत्र के गणमानय महानुभावो के उपस्थिति मे एवं लोक साहित्यकार, विभिन्न क्षेत्र के विशारद कलाकार, कथाकार और कथा प्रेमी श्रोता व तलगाजरडा के ग्रामवासी के साथ, सभी अधिकारी-पदाधीकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने मोरारी बापू को प्रणाम कर अपनी संवेदना प्रकट की और नर्मदा “बा” की समाधिस्थ चेतना को अंतिम राम राम कहा।