जैसलमेर : राजस्थान के जैसलमेर जिले में मंगलवार दोपहर एक दिल दहला देने वाले सड़क हादसे ने पूरे राज्य को स्तब्ध कर दिया। जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थैयत गांव के पास दोपहर करीब 3:30 बजे एक एसी स्लीपर बस में अचानक भीषण आग लग गई, जिसमें एक ही परिवार समेत 20 यात्रियों की जिंदा जलने से दर्दनाक मौत हो गई। घटना के समय बस में लगभग 57 यात्री सवार थे, जिनमें से 16 गंभीर रूप से झुलसकर जोधपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं। हादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई शव बस की चपेट में चिपक गए, जबकि कुछ इतने जल गए कि उनकी पहचान भी मुश्किल हो गई। मृतकों के 19 शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए जोधपुर भेजा गया है, जहां कलेक्टर प्रताप सिंह के निर्देश पर परिजनों के डीएनए सैंपल लिए जा रहे हैं।
हादसे का शिकार हुई केके ट्रैवल्स की यह बस मात्र 1 अक्टूबर 2025 को पंजीकृत हुई थी और 9 अक्टूबर को ही ऑल इंडिया परमिट प्राप्त कर चुकी थी। चौथे फेरे पर ही यह बस आग का गोला बन गई, जो सुरक्षा मानकों पर कई सवाल खड़े करता है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बस मॉडिफाइड थी, लेकिन इसमें इमरजेंसी एग्जिट गेट या विंडो तोड़ने के लिए हथौड़े जैसी कोई सुविधा नहीं थी। इसी लापरवाही के चलते यात्री बाहर नहीं निकल पाए और आग की चपेट में फंसकर भयानक यातनाओं में प्राण त्याग बैठे। कुछ शव एक-दूसरे से चिपके हुए मिले, जो दृश्य देखकर रोंगटे खड़े कर देने वाला था।
एम्बुलेंस की खस्ता हालत ने बढ़ाई परिजनों की चिंता
हादसे के बाद घायलों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जोधपुर पहुंचाया गया, लेकिन परिवहन व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे हैं। घायल यात्रियों के परिजनों ने एम्बुलेंस की बदतर स्थिति पर नाराजगी जताई। एक घायल यात्री मगन के परिजन ने बताया, “सेना, प्रशासन और पुलिस ने भरपूर सहयोग किया, हर चप्पे पर फोर्स तैनात थी, लेकिन एम्बुलेंस की हालत देखकर निराशा हुई।
घायल कंडक्टर रफीक के भाई ने खुलासा किया कि मरीज को एम्बुलेंस में लादने के बाद पहले डीजल भरवाया गया, फिर ओटीपी आने का इंतजार किया। इसके बावजूद एम्बुलेंस की रफ्तार धीमी रही और उसमें लाइट तक नहीं थी। उन्होंने अपनी निजी कार की टेललाइट से एम्बुलेंस को रास्ता दिखाया, ताकि मरीज सुरक्षित पहुंच सकें। परिजनों ने मांग की है कि एम्बुलेंस सेवाओं की गुणवत्ता में तत्काल सुधार हो, वरना भविष्य में ऐसी लापरवाही किसी की जान ले सकती है। इस 275 किलोमीटर लंबे ग्रीन कॉरिडोर के दौरान एक बुजुर्ग यात्री की रास्ते में ही मौत हो गई।
आग लगने की वजह पर सस्पेंस
हादसे के कारणों को लेकर अब तक स्पष्टता नहीं आई है। प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट या एसी के कम्प्रेशर फटने को जिम्मेदार ठहराया गया, लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि बस की डिक्की में पटाखे रखे थे, जिसके विस्फोट से आग भड़क गई। पुलिस और फॉरेंसिक टीम जांच में जुटी है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बस के पिछले हिस्से से धुआं निकलते ही चालक ने वाहन रोका, लेकिन आग इतनी तेज थी कि कुछ ही मिनटों में पूरी बस लपटों में घिर गई। आसपास के ग्रामीणों और राहगीरों ने पानी और रेत से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन फायर ब्रिगेड पहुंचने तक बस जलकर खाक हो चुकी थी।
हादसे में घायल एक युवक आशीष दवे अपनी मंगेतर के साथ जैसलमेर प्री-वेडिंग शूट के लिए गए थे। उनकी शादी 11 नवंबर को तय थी। बस के आगे की सीट पर बैठे होने के कारण वे समय रहते बाहर निकल पाए, लेकिन आशीष की आंखों की रोशनी बुरी तरह प्रभावित हो गई। मंगेतर ने बताया, “हम खुशियों के पल बिताने जा रहे थे, लेकिन यह हादसा सब कुछ बदल गया।”
पीएम मोदी ने की मुआवजे की घोषणा
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बुधवार सुबह जैसलमेर पहुंचकर जली हुई बस का जायजा लिया और घायलों से मुलाकात की। उन्होंने ट्वीट कर संवेदना व्यक्त की और अधिकारियों को त्वरित राहत के निर्देश दिए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी हादसे पर शोक जताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जैसलमेर हादसे से मन व्यथित है।” उन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की। राज्य सरकार ने भी मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये की सहायता देने का ऐलान किया है।
यह हादसा न केवल सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है, बल्कि सार्वजनिक परिवहन और आपातकालीन सेवाओं की तैयारियों पर भी गंभीर चिंता जताता है। अधिकारियों ने जांच पूरी होने तक बस ऑपरेटर के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।