रूड़की : अंतर्राष्ट्रीय संबंध (आईआर) कॉन्क्लेव, सभी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के लिए एक अत्यधिक प्रभावशाली मंच, आईआईटी में उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर चर्चा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। इस वर्ष आईआर कॉन्क्लेव का आयोजन प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की परिसर में किया गया, और आईआर कॉन्क्लेव की कार्यवाही 6 और 7 नवंबर, 2023 को आयोजित की गई। आईआर कॉन्क्लेव 2023 के उल्लेखनीय आयोजन ने अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सहयोग में निहित बहुमुखी चुनौतियों का समाधान करने के लिए विभिन्न प्रकार के हितधारकों को एक साथ लाया। इसने विचारकों, विशेषज्ञों और शिक्षा जगत तथा फंडिंग एजेंसियों के प्रतिनिधियों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रणाली के भीतर अंतर्राष्ट्रीयकरण की रणनीतियों पर व्यापक संवाद में शामिल होने के लिए एक मंच प्रदान किया। यह कार्यक्रम उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के क्षेत्र में सर्वोपरि महत्व के मामलों पर सहयोग, ज्ञान साझाकरण और सामूहिक विचार-मंथन को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर केके पंत (निदेशक, आईआईटी रूड़की) सहित गणमान्य व्यक्तियों के एक प्रतिष्ठित पैनल ने भाग लिया; डॉ एस के वार्ष्णेय (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग); प्रोफेसर नितिन सेठ (निदेशक, इंडो-फ्रेंच सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एडवांस्ड रिसर्च – आईएफसीपीएआर/सीईएफआईपीआरए); डॉ. बी. चन्द्रशेखर (कार्यकारी निदेशक, कॉर्पोरेट प्लानिंग, एडसीआईएल (इंडिया) लिमिटेड, मिनी रत्न श्रेणी 1 सीपीएसई); प्रोफेसर वी सी श्रीवास्तव (कुलशासक, अंतर्राष्ट्रीय संबंध) व प्रोफेसर अंकित अग्रवाल (आयोजन सचिव, आईआर कॉन्क्लेव)।
सम्मेलन में अपने संबोधन में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने वर्तमान समय की अनुसंधान एवं विकास चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतर-आईआईटी सहयोग और नई और पुरानी पीढ़ी के आईआईटी के बीच संबंधों को मजबूत करने के महत्व को रेखांकित किया। प्रोफेसर पंत ने इस बात पर जोर दिया कि ऑल आईआईटी कॉन्क्लेव जैसे आयोजन ज्ञान और अनुभवों को साझा करने व शैक्षणिक एवं अनुसंधान सहयोग के लिए रणनीतियों के विकास पर उपयोगी चर्चा करने के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करते हैं।
सम्मेलन के महत्व पर विस्तार से बताते हुए, डीएसटी के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रमुख प्रोफेसर एस के वार्ष्णेय ने अंतर्राष्ट्रीयकरण के प्रयासों को बढ़ाने और शैक्षणिक एवं अनुसंधान सहयोग में चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए आईआईटी के प्रयासों की सराहना की। डॉ. वार्ष्णेय ने छात्रों और शोधकर्ताओं दोनों की शैक्षणिक एवं अनुसंधान उत्कृष्टता को समृद्ध करने के लिए आईआईटी के बीच विशेषज्ञता साझा करने के महत्व पर भी जोर दिया।
इंडो-फ्रेंच सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एडवांस्ड रिसर्च (आईएफसीपीएआर) / सीईएफआईपीआरए के निदेशक प्रोफेसर नितिन सेठ ने भारत-फ्रांसीसी सहयोग की अपार संभावनाओं को रेखांकित किया। उन्होंने वैज्ञानिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने व सहयोगात्मक अनुसंधान और साझा विशेषज्ञता के माध्यम से एक उज्जवल दुनिया बनाने के लिए भारतीय और फ्रांसीसी संस्थानों के बीच अनुसंधान सहयोग के महत्व पर भी जोर दिया।
कॉन्क्लेव में “अंतर्राष्ट्रीय छात्र: आगे की चुनौतियाँ,” “अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्किंग व संकाय विनिमय,” “आईआर कार्यालय की चुनौतियाँ: खुली चर्चाएँ,” तथा “आईआर कार्यालय की जिम्मेदारियाँ व डिजिटलीकरण” जैसे विषयों पर ज्ञानवर्धक पूर्ण सत्रों की एक श्रृंखला भी प्रदर्शित की गई। इन सत्रों में विभिन्न आईआईटी के विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ-साथ कुलशासक, सह – कुलशासक, विभाग प्रमुख व संकाय सदस्यों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। कॉन्क्लेव का समापन सभी आईआईटी के बीच एक स्थायी संचार चैनल स्थापित करके अधिक सहयोग के संकल्प के साथ हुआ, जिसकी मेजबानी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की द्वारा की जाएगी। आईआईटी-आईएसएम धनबाद ने अगले साल आईआर कॉन्क्लेव का मेजबान बनने की पेशकश की, जिसे सभी भाग लेने वाले आईआईटी ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया।