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काकिडी : “मानस: पितामह” कथा का समापन रविवार को होगा। काकिडी-महुवा तालुका के काकिडी गांव में स्मृति कथा के रूप में हो रही पूज्य मोरारीबापू के व्यासासन की 945वीं कथा की रविवार 27 अक्टूबर को पूर्णाहुति होगी। आज की कथा सुनाते हुए पूज्य मोरारीबापू ने कहा कि रामचरित मानस में 11 प्रसंग हैं जहां देवता दुदुम्भी बजाते हैं। जिसमें जनकपुर में जानकी मां का प्रवेश और परशुराम की स्तुति, अयोध्या में जानकी जी का समाया आदि शामिल हैं।
बापू ने कहा कि राम और लक्ष्मण दोनों को विश्वामित्र ने अपने यज्ञ के लिए दशरथजी से मांगा था। क्योंकि साधु किसी से संपत्ति नहीं अपितु संतति मांगता है। यानी एक तरह से वे उनसे लगातार रामकार्य की मांग करते हैं । विश्वामित्र अकिंचन हैं। हमारी गति ऐसी ना हो कि सब देखते रहें और हम आगे निकल जाएं। गुरु के लिए शिष्य ही धन है, योग्य शिष्य ही गुरु के लिए संपदा है। प्रभु रामजी सबके निर्वाण के लिये आये हैं। वह किसी की मृत्यु के लिए नहीं आये थे. उन्होंने ताड़का और कई अन्य असुरों को निर्वाण प्राप्त करवाया है। विश्वामित्र को निरंतर विश्वास था कि यज्ञ, दान और तपस्या से ईश्वर की प्राप्ति होती है।
भजन भगवान से भी बड़ा है। इसलिए विश्वामित्र राम को छोड़कर अपने आश्रम में लौट जाते हैं। विरह में जो आनंद है वह मिलन में नहीं। यज्ञ, दान, तप से मनुष्य की बुद्धि जागृत होती है। आज की कथा में बापू ने कई सूत्र बोलकर जीवन जीनें की कई जड़ी-बूटियां बताकर जीवन के साथ आने वाली नफरत से कैसे बचा जाए और दूसरे कैसे नफरत करते हैं, इस पर जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण दर्शन भी दिया। कथा के क्रम में आज विश्वामित्र का अयोध्या आगमन तथा राम व लक्ष्मण द्वारा विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा हेतु कार्य करना तथा बाद में सीता स्वयंवर, रावण द्वारा सीताजी का हरण तथा हनुमानजी का लंका में प्रवेश, लंका दहन आदि प्रसंगों को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत कर बापू ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
कथा के आरंभ में तलगाजरडा के पूर्व प्राचार्य जीतेंद्रभाई वाजा के माध्यम से बालिकाओं को दी जाने वाली साइकिल का पुरस्कार आज काकीडी के 30 बच्चों को पूज्य बापू के आशीर्वाद पर कथा मनोरथी नीलेशभाई जसानी द्वारा प्रदान किया गया। मोरारीबापू ने गांव में लगभग 100 पेड़ लगाने के संकल्प के अनुसार काकिदी गांव के शिव मंदिर में पेड़ लगाए। पूज्य मोरारीबापू की यह कथा आज आठवें दिन में प्रवेश कर गई और कल रविवार को विराम ले लेगी, कथा सुबह साढ़े नौ बजे शुरू होगी और दोपहर 12 बजे कथा को विराम दिया जाएगा। भोजन और भजन का यह संगम एक बहुत ही अनोखे छोटे से गांव में आसपास के लोगों, भावी भक्तों के सहयोग से बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।