नई दिल्ली : भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ रहा है और देश को पूर्णत: विकसित करने के मूल में रोजगार सृजन और सामाजिक सुरक्षा को रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में नीति, नियोजन और प्रगति के केंद्र में भारत की कार्यशक्ति रही है। इस बदलाव से रोजगार सृजन और सामाजिक सुरक्षा दायरे के विस्तार में ऐतिहासिक सुधार हुआ है। वर्ष 2014 में भारत का रोजगार परिदृश्य विभक्त था, सामाजिक सुरक्षा दायरा सीमित था, और अधिकांश कामगार,विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोग, कल्याणकारी योजनाओं के सुरक्षात्मक दायरे में नहीं आते थे। इस चुनौती की व्यापकता और अत्यावश्कता को समझते हुए, मोदी सरकार ने साहसिक और संरचनात्मक सुधार किए।
मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसी प्रमुख पहल और व्यापक स्तर पर बुनियादी ढांचे विकास अभियान से रोजगार सृजन में अभूतपूर्व गति आई है। भारतीय रिजर्व बैंक- केएलईएमएस (पूंजी, श्रम, ऊर्जा, सामग्री और सेवाएं) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2004 से 2014 के बीच केवल 2 करोड़ 90 लाख नौकरियां सृजित हुईं जबकि इसकी तुलना में वर्ष 2014-2024 के बीच 17 करोड़ से अधिक नौकरियां उत्पन्न की गई। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण-पीएलएफएस के आंकड़ों के अनुसार,नियोजन दर वर्ष 2017-18 के 46 दशमलव 8 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 58 दशमलव 2 प्रतिशत हो गई। इसी अवधि में बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत से घटकर 3 दशमलव 2 प्रतिशत पर आ गई। यही नहीं औपचारिक क्षेत्र में रोजगार सृजन में भी काफी प्रगति हुई। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के आंकड़ों के अनुसार पिछले सात वर्षों में 7 करोड़ 50 लाख से अधिक औपचारिक नौकरियां उत्पन्न हुई हैं।
युवा और नारी शक्ति को सशक्त बनाना
भारत की विकास यात्रा में युवा और नारी शक्ति का सशक्तिकरण केंद्रित है। इसे सिद्ध करते हुए महिला रोजगार दर वर्ष 2017-18 में 22 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 40 दशमलव 3 प्रतिशत पर पहुंच गया। इस अवधि में बेरोजगारी दर 5 दशमलव 6 प्रतिशत से घटकर 3 दशमलव 2 प्रतिशत पर आ गई। ग्रामीण भारत में यह बदलाव और भी महत्वपूर्ण रहा जहां महिला रोजगार में 96 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में उनके रोजगार में 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ये सभी पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लागू परिवर्तनकारी सुधारों और केंद्रित पहल के परिणाम हैं। आज 15 मंत्रालयों में 70 से अधिक केंद्र प्रायोजित योजनाएं महिला उद्यमशीलता को सहयोग देने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने को समर्पित हैं।
भारत में युवाओं की रोज़गार क्षमता में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है और जहां यह वर्ष 2013 में सिर्फ़ 33 प्रतिशत थी वहीं अब बढ़कर वर्ष 2024 में लगभग 55 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह प्रगति सुदृढ़ डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की वजह से हुई है। नौकरी चाहने वालों और नियोक्ताओं को एक साथ लाने वाले भारत सरकार द्वारा संचालित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म-राष्ट्रीय करियर सेवा पोर्टल जैसे प्लेटफ़ॉर्म रोज़गार संबंधी सेवाओं के एकल स्थल समाधान के रूप में उभरे हैं। वर्ष 2015 में आरंभ किए गए राष्ट्रीय करियर सेवा पोर्टल-एनसीएस ने अब तक 5 करोड़ 50 लाख से अधिक नौकरी के इच्छुक कामगारों को 46 लाख नियोक्ताओं से जोड़ा है और इससे 5 करोड़ से अधिक रोजगार रिक्तियां उत्पन्न हुई हैं। परिणामत:-युवा रोज़गार दर वर्ष 2017-18 में 31 दशमलव 4 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 41 दशमलव 7 प्रतिशत पर पहुंच गई और इस अवधि में युवा बेरोज़गारी दर 17 दशमलव 8 प्रतिशत से घटकर 10 दशमलव 2 प्रतिशत पर आ गई जो वैश्विक औसत 13 दशमलव 6 प्रतिशत से भी कम है। डिजिटल कौशल उन्नयन कार्यक्रमों, उद्यमिता संबंधी पहल और नवाचार-आधारित प्लेटफार्मों के ज़रिए भारत के युवा अब नौकरी पाने के इच्छुक से बदलकर नौकरी सृजन करने वाले बन गए हैं।
असंगठित कार्यबल को मान्यता
पिछले 11 वर्षों की सबसे परिवर्तनकारी उपलब्धियों में से एक भारत के विशाल असंगठित कार्यबल को मान्यता प्रदान करना है। वर्ष 2021 में, मोदी सरकार ने असंगठित श्रमिकों के लिए पहला विशिष्ट राष्ट्रीय डिजिटल डेटाबेस ई-श्रम पोर्टल आरंभ किया। इसके बाद केवल 4 वर्षों में गिग (स्वतंत्र रूप से काम करने वाले कामगार) और प्लेटफ़ॉर्म कामगार (प्लेटफॉर्म कामगार से तात्पर्य ऐसे संगठन के लिए काम करने वाले कार्यबल से है जो व्यक्तियों या संगठनों को सीधे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके विशिष्ट सेवाएं प्रदान करता है।) सहित 30 करोड़ 80 लाख से अधिक असंगठित श्रमिक इस प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ गए हैं। यह सक्रिय पोर्टल एकल समाधान के रूप में श्रमिकों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ता है। अभी केंद्र सरकार की 13 से अधिक सामाजिक कल्याण योजनाएं ई-श्रम से जुड़ी हैं जहां एकल साइन-ऑन से निर्बाध बहुभाषी पहुंच मिलती है। यह केवल तकनीकी प्रगति भर नहीं बल्कि शासन मॉडल में ऐसे बदलाव को दर्शाता है जिसमें श्रमिक को सबसे पहले रखा गया है।
इसके अलावा, डिजिटल अर्थव्यवस्था के महत्व को समझते हुए गिग और प्लेटफ़ॉर्म कामगारों को नीतिगत दायरे में लाया है। इस वर्ष के केंद्रीय बजट में उन्हें ई-श्रम पोर्टल पर शामिल करने और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना के स्वास्थ्य सेवा दायरे में लाने की महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। इससे मोदी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि इस उभरते कार्यबल को पर्याप्त सुरक्षा और अवसर मिले।
ईएसआईसी और ईपीएफओ में सुधार
पिछले 11 वर्षों में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) जैसी संस्थाओं में सुधार के अहम उपाय किए गए हैं,जो लंबे समय से अक्षमता और लालफीताशाही से प्रभावित रहे हैं। इन सुधारों से अभूतपूर्व पारदर्शिता के साथ ही व्यवस्था में अधिक दक्षता आई है। यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन), कार्य और कल्याण गतिविधियां आधार संख्या के साथ से जोड़ने, सरलीकृत ऑटो-क्लेम समाधान, विभिन्न योजनाओं के साथ अभिसरण और कुशल शिकायत निवारण तंत्र जैसी पहल से सेवा प्रदान करने में बदलाव आया है और हमारे कामगारों का जीवन सुगम बना है।
इसके परिणामस्वरूप,कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ के सदस्यों की संख्या वर्ष 2013-14 में 11 दशमलव सात आठ करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 34 दशमलव छह तीन करोड़ हो गई है। इस अवधि में पंजीकृत प्रतिष्ठानों की संख्या भी 7 लाख 96 हजार से बढ़कर 27 लाख पांच हजार हो गई। इसके अलावा वर्ष 2024-25 में दावे के निपटान भी 6 करोड़ से अधिक हो गए हैं जो ईपीएफओ के इतिहास में सर्वाधिक है।
इस बीच, कर्मचारी राज्य बीमा निगम-ईएसआईसी के दायरे में भी काफी विस्तार हुआ है। वर्ष 2013-14 में जहां यह केवल 393 जिलों में सीमित था वहीं अब यह 700 जिलों में विस्तारित हो गया है। वर्ष 2013-14 और वर्ष 2024-25 के बीच बीमा कराने वाले कामगारों की संख्या 1 करोड़ 95 लाख से बढ़कर 4 करोड़ 9 लाख हो गई है। इस अवधि में लाभार्थियों की संख्या भी दोगुनी होकर 7 करोड़ 89 लाख से बढ़कर 15 करोड़ 87 लाख पहुंच गई है। आज, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, कीमोथेरेपी, रोबोटिक सर्जरी और डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड जैसी उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है, जिससे कामगारों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार
मोदी सरकार के लगातार प्रयासों से भारत ने सामाजिक सुरक्षा दायरे के विस्तार में उल्लेखनीय प्रगति की है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज वर्ष 2015 में 19 प्रतिशत से तिगुने से अधिक बढ़कर वर्ष 2025 में 64 दशमलव 3 प्रतिशत हो गया है। आज 94 करोड़ से अधिक कामगार कम से कम एक सामाजिक कल्याण योजना में शामिल हैं जिसे कामगार लाभार्थी संख्या के मामले में भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कल्याणकारी व्यवस्था बन गई है। यह भारत के सामाजिक सुरक्षा मॉडल “सबका साथ, सबका विकास” के हमारे विश्वास को सिद्ध करता है, जहां आर्थिक विकास और सामाजिक सुरक्षा एक दूसरे से जुड़े हैं।
पिछले 11 वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी श्रम शक्ति को मजबूत बनाने और विकसित भारत की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। रोजगार सृजन को प्राथमिकता, सामाजिक सुरक्षा को विस्तारित कर संस्थागत सेवा प्रणाली सुदृढ़ कर और डिजिटल बुनियादी ढांचे का उपयोग कर, सरकार ने विकास के एजेंडे के केंद्र में श्रमिकों को रखा है। जैसे-जैसे हम विकसित भारत की भविष्यदृष्टि योजना साकार करने की ओर बढ़ रहे हैं, भारत दुनिया का सबसे बड़ा कार्यबल बनने की ओर अग्रसर है जो सबसे कुशल, सुरक्षित और सशक्त होगा।