6
देहरादून : वन्यजीवों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- एक सींग वाला गैंडा भारत में ही पाया जाता है।
- हाथी भूमध्यरेखीय उपोष्णकटिबंधीय वनों में पाए जाते हैं।
- हंगुल (कश्मीर स्टैग) जम्मू-कश्मीर के दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाते हैं.
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड जैसलमेर (राजस्थान) और मालवा में पाया जाता है।
- कच्छ के रण में फ्लेमिंगो घोंसला बनाकर अंडे देता है।
- कच्छ के रण जंगली गधों का एक प्राकृतिक निवास स्थान है।
- शेर और बाघ की दहाड़ आठ किलोमीटर दूर से सुनी जा सकती है।
- ऑक्टोपस के तीन दिल होते हैं।
- उल्लुओं के पास नेत्रगोलक नहीं होते, उनके पास नेत्र नलिकाएं होती हैं।
- ध्रुवीय भालुओं की त्वचा का रंग काला होता है।
- वन्यजीवों के संरक्षण के लिए, भारत सरकार ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 लागू किया है।
- उत्तराखंड में जंगली भेड़, बकरी, मृग, पक्षी और तितलियां सबसे आम वन्यजीव हैं।
- उत्तराखंड में कस्तूरी मृग, हिम तेंदुआ, घुरल, और मोनाल जैसे दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवर भी पाए जाते हैं।
- उत्तराखंड में पाए जाने वाले कुछ स्तनधारियों में बाघ, एशियाई हाथी, गुलदार, कस्तूरी मृग, हिम तेंदुआ,गुलदार हैं।
- उत्तराखंड के कुछ संरक्षित क्षेत्र हैं: कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, गोविंद राष्ट्रीय उद्यान, और गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान।
- कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है, जिसकी स्थापना 8 अगस्त 1936 को हुई थी।
- हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड में मानव-वन्यजीव संघर्ष एक गंभीर समस्या बनती जा रही है।
- वन्यजीवों से मानव जीवन खतरे में पड़ जाने के कारण पहाड़ों से पलायन भी बढ़ता जा रहा है और गांव निरन्तर खाली होते जा रहे हैं।
- जिन गावों में थोड़े बहुत लोग टिके हुए भी हैं उनका जीवन गुलदार, भालू, बंदर एवं सुअर जैसे वन्य जीवों ने संकट में डाल दिया है।
- उत्तराखण्ड विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में वनमंत्री ने गत तीन वर्षों में वन्य जीवों द्वारा 161 लोगों के मारे जाने की बात कही।
- एक रिपोर्ट के अनुसार सन् 2000 से लेकर 2015 तक उत्तराखण्ड में 166 तेंदुए और 16 बाघ मानवभक्षी घोषित कर उन्हें मारने के आदेश जारी हो चुके हैं।
- उत्तराखंड अपनी अनूठी जैव-विविधता के लिए प्रसिद्ध है। भारत में पाई जाने वाली 1200 पक्षी प्रजातियों में लगभग 700 यहाँ पाई जातीं हैं।
- उत्तराखंड के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 12 प्रतिशत से अधिक संरक्षित क्षेत्र है जिसमें 6 राष्ट्रीय उद्यान, 7 वन्यजीव अभयारण्य, 4 संरक्षण और 1 बायोस्फीयर रिजर्व, एक हाथी रिज़र्व शामिल हैं।
- उत्तराखंड राज्य में 102 स्तनपायी, 623पक्षी, 19 उभयचर, 70 सरीसृप और 124 मछली की प्रजातियां पाई जाती हैं।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों के शोध पत्र के अनुसार पौड़ी जिले में समुद्रतल से 900 मीटर से लेकर 1500 मीटर की ऊंचाई वाला क्षेत्र मानव गुलदार संघर्ष के लिए सबसे अधिक संवेदनशील है।
- पौड़ी जिले में 400 से लेकर 800 मीटर और 1600 से लेकर 2300 मीटर की ऊंचाई तक यह खतरा बहुत मामूली है जबकि 2300 मीटर से ऊपर और 400 मीटर से नीचे कोई मानव-गुलदार संघर्ष नहीं पाया गया है।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान के डी.एस. मीना और डीपी बलूनी आदि अध्ययन के अनुसार चार धाम मार्ग के चौड़ीकरीण एवं रेल आदि परियोजनाओं के कारण भी वन्य जीवन प्रभावित हुआ है।
- उत्तराखण्ड के अस्तित्व में आने के बीस सालों में 1396 तेंदुए मारे गए हैं।
- वन्य जीव संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार इनमें 648 गुलदार या तेंदुए प्राकृतिक मौत से, 152 दुर्घटनाओं में, 65 को मानव भक्षी घोषित होने पर मारा गया, 41 शिकारियों द्वारा अवैध शिकार से तथा 212 अज्ञात कारणों से मारे गए।
- डाउन टू अर्थ के अनुसार सन् 2000 उसे लेकर 2015 तक उत्तराखण्ड में 166 तेंदुए और 16 बाघ मानवभक्षी घोषित कर उन्हें मारने के आदेश जारी किये गए।
- उत्तराखण्ड के जिम कार्बेट कहे जाने वाले लखपत सिंह रावत अकेले ही अब तक 53 मानवभक्षी मार चुके हैं, जिनमें 51 तेंदुए और 2 बाघ शामिल हैं। उनके अलावा जोशी, जॉय हुकिल ने भी कई मानवभक्षी मारे हैं।
- गत 3 वर्षो में उत्तराखण्ड में 28 लोग हाथियों की मृत्यु हुई हैं तथा बड़े पैमाने पर हाथियों द्वारा फसलें नष्ट की जाती रही हैं।
- मानव वन्यजीव संघर्ष एक मुख्य सामाजिक विमर्श बन चुका है, जिसका त्वरित निदान आवश्यक है।
- सड़कों के निर्माण में वनों के विखंडित होने और बड़े स्तर पर पेड़ों के कटान के कारण ये समस्यायें उत्तरोत्तर बढ़ती ही जा रहीं हैं, जिसके लिए हाल ही में दून घाटी में नागरिकों द्वारा मार्च प्रदर्शन किये हैं।
- विश्व वन्यजीव दिवस 2025 को “वन्यजीव संरक्षण वित्त: लोगों और ग्रह में निवेश” थीम के तहत मनाया जारहा है, ताकि हम वन्यजीव संरक्षण को अधिक प्रभावी और स्थायी रूप से वित्तपोषित करने के लिए कैसे मिलकर काम कर सकते हैं और लोगों और ग्रह दोनों के लिए एक लचीला भविष्य बना सकते हैं।
- आइये, आजके दिन हम वन्यजीवन संरक्षण और विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें और जो भी कुछ कर सकतें हैं, करें।
- शुभ विश्व वन्यजीवन दिवस!!