देहरादून : कुर्की के बारें में जानकारी देते हुए असिस्टैंट प्रोफेसर डॉ. सपना राजपूत (LLB, LLM एवं PhD) कि कुर्की कानून में धारा 82, 83 एवं 85 कुर्की कानून के बारें में, न्यायालय के अधिकारी के द्वारा की जा सकती है इन वस्तुओं की कुर्की ।कोर्ट के द्वारा वारंट जारी किया जाता है। इसमें कुर्की वारंट या वारंट ऑफ अटैचमेंट (Warrant of Attachment) अलग होता है। इसके तहत कानून किसी की संपत्ति को अस्थायी या स्थायी रूप से कब्जा कर सकता है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि कोर्ट किस के लिए कुर्की का आदेश जारी कर करता है। इसमें दो स्थितियां है। एक अगर व्यक्ति किसी आपराधिक गतिविधि के बाद फरार चल रहा हो। दूसरा, उस व्यक्ति को किसी का कर्ज या रकम अदा करना हो, जिसकी वसूली प्रॉपर्टी से की जा सकती हो। इन दोनों परिस्थितियों में कोर्ट के पास CRPC की धारा 82 से 86 के तहत कुर्की का विकल्प होता है। ये कानून 1908 में बनाया गया था। जिले आजादी के बाद भी कानून में जगह मिली।
कुर्की क्या है ?
जब कोर्ट को ऐसा लग जाता है कि किसी कारण से जिस व्यक्ति के नाम से वारंट निकाला गया है वह कहीं छुप गया है और कोर्ट के सामने हाजिर नहीं हो सकता तो CrPC की धारा 82 के तहत ऐसे व्यक्ति को फरार व्यक्ति मान लिया जाता है। फरार व्यक्ति के संबंध में कोर्ट लिखित घोषणा को उस व्यक्ति के नाम पर प्रकाशित करवा सकती है। इस तरह के प्रकाशन उस जगह पर करी जाती है जहां पर वह व्यक्ति निवास करता है जैसे कि उसका शहर, उसका गांव या फिर कोई सार्वजनिक जगह जहां पर आसानी से उसे पढ़ा जा सके और इस घोषणा की एक कॉपी कोर्ट के अंदर उस जगह पर लगाई जाती है जहां पर आसानी से पढ़ा जा सके और अगर कोर्ट जरूरी समझे तो उसकी गांव या उसके शहर के दैनिक समाचार पत्र में भी इसकी घोषणा को प्रकाशित करवा सकती है, जहां पर वह व्यक्ति सामान्य तौर पर रहता हो।
CrPC Section 83
धारा 83 के अंतर्गत कोर्ट अगर उचित समझती है तो फरार व्यक्ति की प्रॉपर्टी की कुर्की की जा सकती है। यदि फरार व्यक्ति के बारे में कोर्ट को यह पता चलता है कि वह अपनी सम्पत्ति के किसी भाग को बेचने वाला है तब तुरंत ही कोर्ट उसकी प्रॉपर्टी के कुर्की के आदेश जारी कर सकती है। कुर्की का आदेश होने के बाद ही उस व्यक्ति की संपत्ति को कुर्की के लिए authorized कर दिया जाता है। अगर उस व्यक्ति के सम्पत्ति किसी दूसरे जिले में भी है तो वहां भी जिला मजिस्ट्रेट द्वारा कुर्की की कार्यवाही की जाती है।
एक बार किसी Property को कुर्की के आदेश दे दिए गए हैं पर अगर वह Property गिरवी रखी हुई है या फिर कोई चल संपत्ति है तो ऐसी Property के लिए एक रिसीवर को नियुक्त किया जाता है जो की कुर्की की कार्यवाही को अपने अंतर्गत ले लेता है। अचल संपत्ति है और अगर वह संपत्ति राज्य सरकार को tax देने वाले property है तो कुर्की जिले के जिलाधीश के माध्यम से की जाती है। अगर प्रॉपर्टी पशुधन है और नष्ट होने वाली प्रकृति की है तो कोर्ट उसे बेच सकती है और जो भी बेचने के बाद पैसा मिलता है उसे कोर्ट अपने अंतर्गत रखती है।
धारा 82 के अन्तर्गत जब कुर्की की हुई संपत्ति के विषय में कोई व्यक्ति दावा करता है या आपत्ति करता है, उस कुर्की की जाने वाली प्रॉपर्टी में उसका हिस्सा है लेकिन ऐसा दावा प्रॉपर्टी कुर्की होने की तारीख से 6 महीने के अंदर किया जाना चाहिए और यह दावा करने वाला व्यक्ति वह फरार व्यक्ति नहीं होना चाहिए, कोई दूसरा होना चाहिए। उस व्यक्ति के द्वारा किए गए दावे या आपत्ति की जांच की जाएगी और उसे पूर्ण रूप से या फिर कुछ रूप से मंजूरी या फिर ना मंजूरी भी दी जा सकती है।
CrPC Section 85
धारा 85 के अंतर्गत कुर्की की हुई संपत्ति को मुक्त कर देना या बेचना या फिर वापस करने का प्रावधान किया गया है। यदि फरार व्यक्ति निर्धारित किए गए समय के अंदर हाजिर हो जाता है तो कोर्ट संपत्ति को कुर्की से मुक्त करने का आदेश दे देती है। अगर फरार व्यक्ति घोषणा के समय के अंदर हाजिर ना हो तो कुर्क की गयी सम्पत्ति राज्य सरकार के अंतर्गत रहती है।
अगर कुर्की की तारीख से 2 साल के अंदर व्यक्ति जिसकी की संपत्ति राज्य सरकार के अंतर्गत रही है वह कोर्ट के सामने उपस्थित हो जा है या फिर उपस्थित कर दिया जाता है जिसके आदेश से कुर्की की गई थी और वह यह साबित कर देता है कि वह वारंट के डर से नहीं छुपा हुआ था या किसी और उद्देश्य से नहीं छुपा था, उसे वारंट की सूचना नहीं मिली थी तो कुर्की की हुई संपत्ति को किस तरह से वापस किया जाता है?
अगर प्रॉपर्टी का कुछ भाग बेचा गया है तो बेचने के बाद जो भी पैसा मिला है वह कोर्ट के खर्चे काटकर प्रॉपर्टी के मालिक को वापस कर दिया जाता है। धारा 86 कुर्की की संपत्ति की वापसी के लिए आवेदन नामंजूर करने वाले आदेश के सम्बन्ध में अपील है। फरार व्यक्ति को अगर प्रॉपर्टी या प्रॉपर्टी को बेचने के बाद जो भी पैसा आया था उसे वापस करने के आदेश नहीं होते हैं तो वह व्यक्ति उस कोर्ट में अपील कर सकता है जहां पर पहली बार उसे दंड दिया गया था।
किन वस्तुओं की कुर्की न्यायालय के अधिकारी के द्वारा की जा सकती है?
CPC की धारा 60 के अंतर्गत जमीन, मकान, माल, मुद्रा, चेक, लेनदेन के कानूनी पेपर, वचन पत्र और बेचने लायक चल और अचल संपत्ति वह कुछ भी हो सकते हैं। लेकिन CPC की धारा 60 यह भी बताती है कि कुछ प्रॉपर्टी को कुर्क नहीं किया जा सकता और वह कुर्क ना होने वाले प्रॉपर्टी है पानी, बच्चों के कपड़े, ओढ़ने बिछाने के कपड़े, बर्तन, स्त्री के आभूषण, शिल्पकार, लकड़ी का कारीगर और सोने की कारीगरी करने वाले व्यक्तियों के औजार, उपकरण आदि। ऐसी चीजों को कुर्क नहीं किया जा सकता। पालन पोषण और भविष्य के अधिकार की कुर्की भी नहीं की जा सकती। सेना अधिनियम जहां लागू होता हो वहां व्यक्ति के वेतन की कुर्की भी नहीं जा सकती।
मुकदमा कायम करने के अधिकार को कुर्क नहीं किया जा सकता क्योंकि यह नुकसान के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। व्यक्ति की पेंशन को भी कुर्क से मुक्त रखा गया है। भविष्य निधि खाते में जमा धन, लोग निधि खाते का धन और जीवन बीमा पॉलिसी का पैसा भी कुर्की के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। मजदूर और सेवकों को मजदूरी देने वाली वस्तुओं को भी कुर्क नहीं किया जा सकता, किसानों की आजीविका से संबंध रखने वाली चीजों को भी कुर्की से अलग रखा गया है। सरकारी कर्मचारियों को भत्ते की स्वरूप जो भी धन मिलता है उसे भी कुर्क नहीं किया जा सकता।
कुर्की के ऑर्डर आने के बाद क्या करे दोषी
कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर यानी CRPC की धारा 84 के तहत कुर्की के आदेश के खिलाप कोर्ट में आपत्ति की जा सकती है। मगर, ये आपत्ति वो नहीं कर सकता जिसके खिलाफ आदेश जारी किया गया है। साथ ही, ये आपत्ति आदेश जारी होने के छह महीने के अंदर करना होता है। वहीं, क्रिमिनल केस में अगर किसी फरार व्यक्ति के खिलाफ कुर्की का आदेश जारी होता है तो उसके पास केवल एक ऑपशन बचता है कार्रवाई से पहले कोर्ट में सरेंडर करना। ऐसे में कोर्ट अगर चाहे तो कुर्की की प्रक्रिया को रोककर अन्य कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकता है।