यदि हम कोई सहायता नहीं कर सकते हैं, तो हम उनकी बात तो सुन सकतें हैं…

by intelliberindia
देहरादून : यदि हम कोई सहायता नहीं कर सकते हैं, तो हम उनकी बात तो सुन सकतें हैं……। आइये, आज मैं आपको एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ। शनिवार को छोटा लड़का स्कूल से आया और अपने पिता से कहा, मेरे शिक्षक ने हमें होम-वर्क दिया है कि 10 लोगों को गले लगाओ और उनसे कहो – “धैर्य रखो, जीवन पर भरोसा करो और मैं तुमसे प्यार करता हूँ।”  पापा ने कहा – “ठीक है, यह हम कल सुबह मॉल जाकर करेंगे।”  बच्चा सुबह उत्साहित होकर उठा और जल्दी तैयार हो गया। अपने पिताजी के पास गया और बोला – _”आओ, चलो चलें!!”
पिता ने कहा – _”बहुत भारी बारिश हो रही है, मुझे डर है कि वहां मॉल पर अभी कोई नहीं होगा।”बच्चे ने फिर भी जिद की। इसलिए पिता भयानक बरसात के मौसम में मॉल तक गाड़ी चलाकर गए। वे 1 घंटे तक मॉल में खड़े रहे और छोटे लड़के ने 9 लोगों को गले लगाया। उसके पिता ने फिर कहा – _”अब चलें, भारी बारिश हो रही है और हमें फंसना नहीं चाहिए!” दुःखी होकर पुत्र अपने पिता की आज्ञा के अनुसार गाड़ी में बैठ गया। जैसे ही वे आगे बढ़े, बच्चे ने एक बेतरतीब घर की ओर इशारा किया।  बोला – _”प्लीज़ पापा, बस 1 आदमी बचा है, मैं उस घर में जाकर अपना होमवर्क पूरा कर लूँगा!” पिता मुस्कुराये और कार वहीं रोक दी।
बच्चा दरवाजे के पास गया और घंटी बजाने लगा और दरवाजे को जोर-जोर से पीटने लगा। वह इंतजार करता रहा। आख़िरकार धीरे से दरवाज़ा खुला…   एक महिला बहुत उदास भाव से बाहर आई और धीरे से पूछा _”मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकती हूँ बेटा?”_    चमकती आँखों और उज्ज्वल मुस्कान के साथ बच्चे ने कहा: “मैम, मेरी टीचर ने कहा है कि 10 लोगों को गले लगाओ और उनसे कहो- “धैर्य रखो, जिंदगी पर भरोसा करो और मैं तुमसे प्यार करता हूं।”     _”मैंने 9 लोगों को गले लगा लिया है। क्या मैं तुम्हें गले लगा सकता हूं और तुम्हें यह संदेश दे सकता हूं?”_ महिला ने उसे गले लगा लिया और वह खूब रोने लगी। यह देखकर लड़के के पिता से न रहा गया और वे कार से बाहर आये। वह महिला के पास गया और पूछा – _”कोई परेशानी है मैडम?”_ उसने खुद को संभाला, उन्हें अंदर ले गई और फिर उस व्यक्ति से कहा – _”कुछ समय पहले मेरे पति की मृत्यु हो गई और मुझे इस दुनिया में बिल्कुल अकेला छोड़ दिया गया। आज सुबह इस अकेलेपन ने मुझ पर बहुत बड़ा बोझ ला दिया है। सुबह से मैं सोच रही थी कि यह मेरे लिए जीवन का अंत है।”_   _”फिर मैं एक कुर्सी और रस्सी लेकर अपने शयनकक्ष में गयी और अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला किया। जब मैं आखिरी बार दुनिया को देख रही थी, तो मैंने भगवान से क्षमा मांगी और फिर यह दस्तक सुनी। मैंने सोचा कि इसे अनसुना कर दूँ। लेकिन फिर कोई मुझसे मिलने नहीं आता। जब मैंने दरवाज़ा खोला तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि मेरी आँखों ने इस छोटे से बच्चे में क्या देखा! और जब उन्होंने कहा, “धैर्य रखो, जीवन पर भरोसा करो और मैं तुमसे प्यार करता हूँ”।_
   _तब मुझे ज्ञान हुआ कि यह ईश्वर का संदेश है। _अचानक मुझे एहसास हुआ कि मुझे अब मरना नहीं चाहिए, और मैंने अब अपने जीवन को कुछ सार्थक बनाने का फैसला किया है।_  याद रखें – लोगों को सकारात्मक विचार दें। उन्हें बताएं कि आप उनके साथ खड़े हैं। और अगर कुछ भी नहीं तो कम से कम बस उनकी बात तो सुन लो!     _आप वह माध्यम हो सकते हैं जिससे किसी को नया जीवन मिल सकता है!_     _आप देवदूत बनें और धन्य हों!_

लेखक : नरेन्द्र सिंह चौधरी, भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके द्वारा वन एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं.

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