देहरादून : भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के अध्यक्ष और उत्तराखंड में पार्टी के संस्थापक नेताओं में प्रमुख कॉमरेड राजा बहुगुणा का आज दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। (16 अप्रैल 1957 – 28 नवंबर 2025)। वे 2023 से लिवर कैंसर से जूझ रहे थे। उनके निधन से वामपंथी आंदोलन में शोक की लहर दौड़ गई। पार्टी ने कहा, “पार्टी अपना लाल झंडा अपने उस प्रिय कॉमरेड के सम्मान में झुकाती है, जिनका पूरा जीवन मेहनतकश जनता के संघर्षों को समर्पित था।”
नैनीताल से शुरू हुई क्रांतिकारी यात्रा
जनता के अधिकारों और समतामूलक समाज के लिए जीवन समर्पित करने वाले कॉमरेड राजा बहुगुणा का राजनीतिक सफर नैनीताल के कॉलेज दिनों से शुरू हुआ। शुरुआत में उनका जुड़ाव युवा कांग्रेस से था, लेकिन 1970 के दशक के तूफानी वर्षों में शासक वर्गीय राजनीति से मोहभंग हो गया। उन्होंने आपातकाल विरोधी आंदोलन और वन आंदोलन (चिपको आंदोलन) से खुद को जोड़ लिया।
1970 के दशक के उत्तरार्ध में उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी में शामिल होकर उन्होंने पर्यावरण पर हमलों के खिलाफ तथा किसानों-मजदूरों के अधिकारों व रोजगार के लिए नैनीताल, अल्मोड़ा समेत उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी राजनीतिक प्रतिरोध की उत्कट इच्छा ने 1980 के दशक के शुरुआती वर्षों में उन्हें भाकपा (माले) से जोड़ दिया। उन्होंने अन्य साथियों के साथ उत्तराखंड (तब अविभाजित उत्तर प्रदेश का हिस्सा) में पार्टी का गठन किया।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन में ऐतिहासिक भूमिका
उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही। 1980 के दशक में आंदोलन के गतिरोध के दौरान उन्होंने नैनीताल में राज्य की मांग को लेकर विशाल रैली आयोजित की। बाद में पृथक उत्तराखंड राज्य के भविष्य की दशा-दिशा पर एक महत्वपूर्ण पुस्तिका लिखी। उन्होंने उत्तराखंड पीपल्स फ्रंट का गठन किया, ताकि अलग राज्य की लोकतांत्रिक भावनाओं को मजबूत आवाज मिले। वे इंडियन पीपल्स फ्रंट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश अध्यक्ष भी रहे।
बिंदुखत्ता में भूमिहीनों को भूमि वितरण का ऐतिहासिक आंदोलन और तराई क्षेत्र में महिला हिंसा व उत्पीड़न के खिलाफ महतोषमोड़ आंदोलन जैसे कई संघर्षों का उन्होंने नेतृत्व किया। जनता के आंदोलनों में पुलिस दमन, लाठियां और जेल यात्राओं का बहादुरी से मुकाबला किया।
चुनावी और संगठनात्मक योगदान
1989 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़कर उन्होंने प्रभावशाली वोट हासिल किए। 1990 के दशक तक उनकी अगुवाई में पार्टी उत्तराखंड के हर कोने में फैल गई। वे पार्टी के उत्तराखंड राज्य सचिव, केंद्रीय कमेटी सदस्य, ट्रेड यूनियन एक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और एआईपीएफ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 2023 में पटना में हुए 11वें पार्टी महाधिवेशन में उन्हें केंद्रीय कंट्रोल कमीशन का अध्यक्ष चुना गया।
प्रेरणा का स्रोत
पार्टी ने कहा, “उनका गुज़र जाना एक गहरा धक्का है, लेकिन अपनी विनम्रता, वैचारिक प्रतिबद्धता और जनता के आंदोलनों के प्रति अडिग समर्पण से जो मिसाल उन्होंने कायम की, वो हमेशा हमारे लिए प्रेरणास्रोत रहेगी। गरिमा के लिए होने वाला हर संघर्ष और न्यायपूर्ण समाज के लिए उठने वाले हर कदम में उनके जीवन और कामों की छाप होगी।”
देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा समेत विभिन्न स्थानों पर श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित हो रही हैं। कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में “कॉमरेड राजा बहुगुणा को लाल सलाम!” कहा। अंतिम संस्कार की जानकारी जल्द घोषित होगी। उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया है।

