बजाज फाइनेंस ने देहरादून में डिजिटल धोखाधड़ी के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम किया आयोजित

by intelliberindia

 

देहरादून: देहरादून में आयोजित कार्यशाला अलग-अलग तरह की साइबर धोखाधड़ी और धोखेबाजों से अपने फाइनेंस को सुरक्षित रखने के तरीकों पर नागरिकों को जागरूक करने के लिए देशभर के 100 शहरों में साइबर बजाज फाइनेंस द्वारा सुरक्षा कार्यक्रम आयोजित करने के प्रयास का हिस्सा था।

बजाज फिनसर्व का हिस्सा और भारत में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) बजाज फाइनेंस लिमिटेड ने आज यहां साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ ‘नॉकआउट डिजिटल फ्रॉड’ नामक एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें भिन्न-भिन्न तरह के जोखिमों और फाइनेंस को सुरक्षित रखने के सर्वश्रेष्ठ तौर-तरीकों पर डिजिटल लेनदेन करने वाले लोगों को जागरूक किया गया।

नॉकआउट डिजिटल फ्रॉड’ कार्यक्रम भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2024 में एनबीएफसी के लिए जारी की गईं उन धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन दिशा-निर्देशों के अनुरूप है, जिनमें डिजिटल ईकोसिस्टम को सभी के लिए सुरक्षित बनाने के लिए जल्द पहचान, कर्मचारियों के दायित्व और जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है।

कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों का ध्यान आम वित्तीय धोखाधड़ी की ओर आकर्षित करना है, जिसमें फाइनेंस कंपनियों की ही तरह दिखने वाले फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट, व्हाट्सएप ग्रुप और वेबसाइट बनाकर झूठे दावा करते हैं और उनके कर्मचारी होने का दावा करते हैं।

बजाज फाइनेंस की “नॉकआउट डिजिटल फ्रॉड” जागरूकता पहल के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए देहरादून में साइबर क्राइम विभाग के पुलिस उपाधीक्षक (डिप्टी एसपी) श्री अंकुश मिश्रा ने उत्तराखंड में साइबर धोखाधड़ी में आई तेजी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “पिछले एक साल में उत्तराखंड में साइबर धोखाधड़ी के 26,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे ₹167 करोड़ का वित्तीय नुकसान हुआ है। चिंताजनक बात यह है कि आज ही तीन नए मामले सामने आए हैं।”

उन्होंने जन-जागरूकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “साइबर धोखाधड़ी के बारे में जागरूकता बढ़ाने वाली कोई भी पहल न केवल स्वागत योग्य है, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा में मदद करने के लिए जरूरी भी है।”

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री मिश्रा ने उपस्थित लोगों से एक महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा, “हम में से कितने लोग राष्ट्रीय साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर जानते हैं? यह एक ऐसा नंबर है जो हर फोन में रहना चाहिए। शिकार बनने तक इंतजार न करें, आज ही स्पीड डायल पर 1930 को दर्ज करें। धोखाधड़ी की स्थिति में आप तत्काल सहायता के लिए 100 या 112 भी डायल कर सकते हैं।”

अपने विशेष सत्र में श्री मिश्रा ने विभिन्न प्रकार की डिजिटल धोखाधड़ी जैसे यूपीआई घोटाले, कार्ड धोखाधड़ी, ओटीपी-आधारित धोखाधड़ी, आदि के बारे में लोगों को शिक्षित करते हुए व्यावहारिक सुझाव और वास्तविक जीवन के उदाहरण साझा किए। उन्होंने पहचान की चोरी (आइडेंटिटी थेफ्ट) को रोकने के लिए आधार बायोमेट्रिक्स को सुरक्षित रखने के महत्व पर भी जोर दिया।

इसी कार्यक्रम में बोलते हुए देहरादून के पूर्व डीएसपी श्री बृजभूषण जुयाल ने नागरिकों को सोशल और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सुरक्षित रहने की सलाह दी। उन्होंने सावधान करते हुए कहा, “धोखेबाज अक्सर कम जागरूकता का फायदा उठाते हैं, और लोगों को बेतहाशा लाभ के झूठे वादे करके लुभाते हैं। मैं नागरिकों से सतर्क रहने, संदिग्ध गतिविधि की सूचना नजदीकी पुलिस स्टेशन को देने और ऑनलाइन अनजान प्रोफाइल से संपर्क करने से बचने का आग्रह करता हूं। सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।”

इस अवसर पर बजाज फाइनेंस के प्रवक्ता ने कहा, “हमारे उपभोक्ताओं की वित्तीय सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित लगातार ऑनलाइन और ऑफलाइन सलाह जारी कर रहे हैं, साथ ही नागरिकों के साथ इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर जमीनी स्तर पर भी बातचीत के जरिए, सभी को साइबर सुरक्षा बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।”

‘नॉकआउट डिजिटल फ्रॉड’ कार्यक्रम साइबर समुदाय को व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा के लिए बहुमूल्य सुझाव प्रदान कर रहे हैं, जिसमें ओटीपी-पिन साझा करने, संदिग्ध ईमेल, एसएमएस, लिंक, क्यूआर कोड पर क्लिक करने और अज्ञात स्रोतों से एप्लिकेशन डाउनलोड करने से बचना शामिल है। इसमें प्रमुख शहरों और कस्बों में परस्पर संवादात्मक (इंटरैक्टिव) कार्यशालाओं, डिजिटल जागरूकता अभियानों और सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों की एक श्रृंखला शामिल है।

 

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