देहरादून: उत्तराखंड में अफसर के बड़े-बड़े कारनामे अक्सर सामने आते रहते हैं. लेकिन, अफसरों का एक ऐसा बड़ा कारनामा सामने आया है, जिसके बारे में सुनकर विभागीय मंत्री के होश उड़ गए और आप सुनेंगे तो आप भी हैरान रह जाएंगे कि आखिर अफसर ऐसा कैसे कर सकते हैं? उत्तराखंड के अफसरों ने अपनी लापरवाही के चलते राज्य को 10-20 लाख नहीं बल्कि पूरे एक अरब रुपये की चपत लगा दी. यह पैसा राज्य के अफसरों ने इनकम टैक्स विभाग को उस रकम के इनकम टैक्स के रूप में दिया, जो कभी उत्तराखंड को मिली नहीं. इस खुलासे के बाद हड़कंप मचा हुआ है.
न्यूज़-18 की खबर के अनुसार अफसरों ने एक ऐसी रकम के लिए दो साल पहले करीब एक अरब रूपया इनकम टैक्स में जमा करा दिया, जो रकम उत्तराखंड को कभी मिली ही नहीं. खबर के सामने आने के बाद मामले से जुड़े अफसरों में हलचल मची हुई है. यह पूरा मामला अधिकारियों के गजब कारनामे से जुड़ा हुआ है.
मामले का खुलासा तब हुआ जब विभागीय मंत्री अफसरों की समीक्षा मीटिंग ले रहे थे. रकम आने की प्रत्याशा में एक अरब रूपया इनकम टैक्स जमा कराने के इस अनोखे मामले से मंत्री भी हैरान रह गए. हैरान इस कदर की कुछ देर तक मंत्री की समझ में ही नहीं आया कि ऐसे कैंसे हो सकता है, लेकिन उत्तराखंड के अफसर ऐसा कर गए.
यह मामला उत्तर प्रदेश वन निगम और उत्तराखंड वन विकास निगम में परिसंपत्तियों के बंटवारे और देनदारियों के लेनदेन से जुड़ा हुआ है. दरअसल, साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होने के दो दशक बाद 22 फरवरी 2021 को यूपी वन निगम और उत्तराखंड वन विकास निगम के बीच समझौता हुआ. इसके अंतर्गत उत्तराखंड को करीब 100 करोड रुपये मिलने थे.
इसके तहत चूंकि पैसा राज्य बनने के समय से ही उत्तराखंड को नहीं मिला था, इसलिए इसमें ब्याज भी चढ़ता गया और यह रकम कुल-मिलाकर समझौते के अनुसार 560 करोड़ से ज्यादा हो गई. यानि अब यूपी वन विकास निगम को उत्तराखंड को 560 करोड़ रुपये देने थे, जो आज तक उत्तराखंड को नहीं मिले.
इस बीच इनकम टैक्स ने जब वन निगम से 560 करोड़ रुपये की एवज में पूछताछ की तो यूपी ने आयकर रिटर्न फाइल करते समय यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि ये रकम तो उत्तराखंड की है. इनकम टैक्स विभाग ने अपनी गाड़ी मोडी और उत्तराखंड वन विकास निगम के पास आकर रोक दी और उनसे टैक्स मांगा. टैक्स नहीं देने पर आयकर अफसरों ने निगम का देहरादून स्थित SBI ब्रांच का खाता सीज कर दिया.
वित्त मंत्री पुनर्गठन विभाग के भी मंत्री हैं. मंगलवार को वे पुर्नगठन विभाग की समीक्षा कर रहे थे. यूपी से लेनदेन की बारी आई तो मामले का खुलासा हुआ. इससे मंत्री ने अफसरों को फटकार तो लगाई, लेकिन अब बड़ा सवाल ये है की एक अरब रुपए का जो टैक्स भर दिया गया, इसकी जिम्मेदारी किसी पर तय की जाए?