डीएम मेहरबान सिंह बिष्ट ने की जिले की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा, यमुना घाटी में जन औषधि केन्द्र खोलने एवं अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों व आईसीयू की सुविधा तुरंत उपलब्ध कराने के दिए निर्देश

by intelliberindia
उत्तरकाशी : जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने जिले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को संस्थागत प्रसव को बढावा देने, सामान्य मरीजों को हायर सेंटर रेफर करने के चलन पर प्रभावी अंकुश लगाने, जनौषधि केन्द्र तुरंत खोले जाने के साथ ही यमुना घाटी में किसी एक अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों व आईसीयू की सुविधा तुरंत उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
जिला मुख्यालय में आयोजित एक बैठक में जिले की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने कहा कि जिले में संस्थागत प्रसव की दर 49 प्रतिशत के आधार पर ऐसी धारणा बनती है कि अधिकांश प्रसव जिले के अस्पतालों के बजाय या तो घर पर कराए जा रहे हैं अथवा गर्भवती महिलाओं को बाहर के अस्पतालों में भेजा जा रहा हैं। यह धारणा बदलने के लिए चिकित्सकों एवं विभाग को प्रतिबद्धता से काम कर संस्थागत प्रसव की सुविधा व दर को बढाने पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं व अन्य बीमारियों के प्रकरणों में जीवन की रक्षा के लिए अपरिहार्य होने पर ही मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया जाय। सामान्य दशा में रेफर किए जाने की प्रवृत्ति पर प्रभावी अंकुश लगाने के निर्देश देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी रेफर किए जाने वाले मरीजों का डाटा संकलित कर इसकी नियमित समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि अनावश्यक रेफर किए जाने व रेफर मरीजों के बीच रास्ते में मौत के मामलों को अब गंभीरता से लिया जाएगा और ऐसे मामलों की वह खुद भी समीक्षा करते रहेंगे।
जिलाधिकारी ने यमुना घाटी के किसी एक प्रमुख अस्पताल में अनिवार्य रूप से  गायनेकोलॉजिस्ट के साथ ही एनेस्थिसिया विशेषज्ञ व बाल रोग विशेषज्ञ की नियमित उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश देते हुए कहा कि पर इस अस्पताल में प्रसूति सर्जरी तथा जच्चा-बच्चा की समुचित देखाभाल व उपचार के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं की जांय। ताकि इस क्षेत्र के लोगों को प्रसव के लिए दूरस्थ अस्पतालों में न जाना पड़े और गर्भवती महिलाओं के जीवन पर आसन्न संकट को दूर किया जा सके। जिलाधिकारी ने कहा कि ऐसे अस्पताल में आईसीयू की स्थापना हेतु स्वास्थ्य विभाग को अगर धनराशि की जरूरत है तोे उसकी व्यवस्था करा दी जाएगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि आम लोगों के हित में सस्ती व जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता के लिए जिला अस्पताल सहित सभी छः विकास खंडों में जनौषधि केन्द्रों का नियमित संचालन का कार्य प्राथमिकता से किया जाय। जिलाधिकारी ने कहा कि जनौषधि केन्द्र की स्थापना की अड़चनों को दूर करने के लिए अगर उनके हस्तक्षेप की आवश्यकता है तो तत्काल ऐसे मामले में उनके सामने तुरंत प्रस्तुत करें, लेकिन अब इस मामले में कोई विलंब नहीं होना चाहिए।
डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने प्रसव आउटकम के लिंगानुपात में इस साल हुए सुधार को आशाजनक बताते हुए इस दिशा में और प्रतिबद्धता से काम करने की अपेक्षा की। बैठक में बताया गया कि जिले में  प्रति एक हजार बालकों के अनुपात में इस साल 977 बालिकाओं का जन्म रिकॉर्ड किया गया है। जबकि बीते साल यह आंकड़ा 947 प्रति हजार था। बैठक में जिलाधिकारी ने टीकाकरण, ईजा बोई-शगुन योजना सहित जिले में ओपीडी एवं इनडोर में मरीजों के उपचार, चिकित्सकों व अन्य चिकित्साकर्मियों की तैनाती की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने दूर-दराज के अस्पतालों में चिकित्सकों से नियमित रूप से उपस्थित रहकर आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहॅूुंचानें की अपेक्षा की। जिलाधिकारी ने कहा कि चिकित्सकों के रिक्त पदों पर तैनाती एवं स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित अन्य मामलों में शासन स्तर पर वार्ता की जाएगी।
इस मौके पर डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने चिकित्सकीय कार्य एक आदर्श प्रोफेशन बताते हुए जनपदवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सकों एवं चिकित्सा विभाग के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों से सेवा व समर्पण की भावना से काम करने की अपील भी की। इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आर.सी.आर्य, जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. बी.एस.रावत, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. बीरेन्द्र सिंह पांगती, डॉ. कुलवीर सिंह राणा, अनिल बिष्ट, ज्ञानेन्द्र सिंह पंवार, पी.एस. चमोली, कुशला शाह, सीमा अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।
 
 

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