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देहरादून : सूबे में विश्व एड्स दिवस के मौके पर उत्तराखंड एड्स नियंत्रण समिति के माध्यम से लोगों को एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूक किया जायेगा। इसके लिये प्रदेशभर में व्यापक स्तर पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत शुक्रवार को अपने विधानसभा क्षेत्र श्रीनगर में उप जिला चिकित्सालय में आयोजित एड्स जागरूकता कार्यक्रम में प्रतिभाग करेंगे।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि विश्व एड्स दिवस के अवसर पर उत्तराखंड एड्स नियंत्रण समिति के माध्यम से प्रदेशभर में जागरूकता कार्यक्रम संचालित किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि वह शुक्रवार को अल्मोड़ा भ्रमण से लौटने के उपरांत सीधे श्रीनगर गढ़वाल पहुंचेंगे, जहां वह उप जिला चिकित्सालय में आयोजित एचआईवी/एड्स जागरूकता कार्यक्रम में प्रतिभाग करेंगे। डॉ. रावत ने कहा कि जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को एचआईवी एड्स के प्रति जागरूक किया जायेगा। जिनके सफल आयोजन के लिये सभी अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं।
विभागीय मंत्री ने बताया कि राज्य में एचआईवी एड्स की जानकारी एवं बचाव के लिये 483 आईसीटीसी केन्द्र स्थापित किये गये हैं। जिसमें स्टेंड एलेन आईसीटीसी 49, मोबाइल आईसीटीसी 01, फैसिलिटी आईसीटीसी 433 हैं। इन केन्द्रों के माध्यम से एचआईवी संबंधी निःशुल्क जांच की सुविधा लोगों को दी जा रही है। डॉ. रावत ने बताया कि वर्तमान में 9 एआरटी केन्द्रों के माध्यम से एचआईवी से ग्रसित 6229 व्यक्तियों को निःशुल्क परामर्श एवं दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि राज्य में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 3,15,740 लोगों की एचआईवी टेस्टिंग की गई, जिसमें 602 लोग एचआईवी पॉजिटिव मिले। इसी प्रकार वर्ष 2021-22 में 3,53,524 लोगों की जांच हुई जिसमें 877 लोग संक्रमित पायं गये। वर्ष 2022-23 में 5,38,958 जांच की गई जिसमें 1,250 लोग एचआईसी पॉजिटिव मिले। जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में अबतक 3,44,024 लोगों की जांच हो चुकी है जिसमें से 866 लोग इस बीमारी से संक्रमित मिले।
डॉ. रावत ने बताया कि एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत प्रदेशभर में एचआईवी/एड्स जागरूकता एवं जांच संबंधी कार्यक्रम लगातार संचालित किये जा रहे हैं। इसके अलावा औद्योगिक इकाईयों में कार्यरत कार्मिकों, दूर-दराज क्षेत्र में रह रहे प्रवासियों, उच्च जोखिम व्यवहार वाले समूहों, दूरस्त मार्गों के वाहन चालकों, स्लम क्षेत्रों एवं कारागार में निरूद्ध कैदियों की जांच एवं परामर्श दिया जा रहा है।