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कोटद्वार । पूर्व सैनिक संघर्ष समिति की बैठक बालासौड स्थित लक्ष्मी वेडिंग प्वाइंट में आहुत की गई जिसकी अध्यक्षता कैप्टन गजेन्द्र मोहन धस्माना ने की । बैठक में मुख्य अतिथि बालक राम बलौदी राइफलमैन, जसवंत सिंह रावत एमवीसी के प्लाटून के गौरव सैनिक जिन्होंने 1962 की लड़ाई में हिस्सा लिया था, का फूल मालाओं से स्वागत किया गया। पूर्व सैनिक संघर्ष समिति कोटद्वार के संयोजक महेन्द्र पाल सिंह रावत व मीडिया प्रभारी बलवान सिह रावत ने समस्त गौरव सैनिक संगठनों के अध्यक्षों, समस्त गौरव सैनिकों एवं समस्त बीर नारियों से अपील की कि मंगलवार को ऐतिहासिक रैली में अपनी उपस्थिति दर्ज करायें और रैली को अनुशासित व नियोजित तरीके से धर्मशाला से तहसील प्रांगण तक ले जाने व उपजिलाधिकारी के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री को पेंशन बिसंगतियों में सुधार हेतु ज्ञापन देने तक शान्ति बनाए रखें। किसी भी प्रकार के अनावश्यक नारे न लगायें। जिससे समाज में गलत मैसेज जाये। सभी संगठनों के अध्यक्षों ने रैली को योजनाबद्ध तरीके से करने के लिए अपने-अपने सुझाव दिए।
बैठक में सभी सदस्यों ने माना कि हमारी लड़ाई किसी अधिकारियों से नहीं है और न ही सरकार से है। हमारी लड़ाई केवल गौरव सैनिकों के अधिकारों से है। सीमा पर तैनात उन जवानों के अधिकारों के लिए है। जैसे ओआरओपी की बिसंगतियो में सुधार करना। संबिधान में समान नागरिक समान अधिकार को मध्य नजर रखते हुए मिलीट्री सर्विस पेय एवं दिब्यागता पेंशन भी समान करने के लिए है। क्योंकि दुर्गम और बिषम परिस्थितियों में सैनिक सबसे आगे रहता है। वह राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा में कर्तव्य को प्राथमिकता देते हुए सैनिक कभी अपने मौलिक अधिकारों को सामने नहीं लाता है। इसलिए भौगौलिक परिस्थितियों, दुर्गम व बिषम परिस्थितियों वाले व्यक्ति बिशेष के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि हमेशा लड़ाई वही जीतता है जो प्रबल हो। जैसे कि सेना में एक बर्ग प्रबल है तो वे स्वयं के अधिकारों को प्राथमिकता देते रहे हैं।दूसरा वर्ग हमेशा प्रथम वर्ग को अपना सर्वेसर्वा मानता आया और आगे भी मानता रहेगा।