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रिखणीखाल । रिखणीखाल प्रखंड के सुदूरवर्ती गाँव गवाणा में जन्में सुबेदार, ऑनरेरी लेफ्टिनेंट दीवान सिंह रावत सेना की गढ़वाल राइफल्स के तीसरी बटालियन से सेवानिवृत्त होकर अपने पैतृक व मूल गाँव गवाणा ( पैनो) पहुँचे। दीवान सिंह रावत के पिता स्वर्गीय प्रताप सिंह रावत भी असम राइफल्स से सुबेदार पद से सेवानिवृत्त थे। दीवान सिंह रावत ने भी 28 साल की उदाहरणीय सेवा कर क्षेत्र का नाम बढाया।
जब शनिवार को ही दीवान सिंह रावत अपने वर्तमान निवास कोटद्वार से अपने गाँव पहुँचे तो गाँव वाले पहले से ही उनके स्वागत के लिए खड़े व जमा हो गए। लोग उनके गाँव पहुँचने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।सबके हाथों में फूल मालाएं थी तथा कतारबद्ध खड़े थे। गाँव में महिलाओं, बच्चों ने गर्मजोशी से स्वागत किया तथा अपना प्यार,लाड़ दुलार किया। दीवान सिंह रावत एक सैनिक होने के साथ-साथ मिलनसार, नम्र, शान्त स्वभाव व उम्दा दर्जे के सैनिक हैं।उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा सेवा समाप्ति पर ऑनरेरी लेफ्टिनेंट के कमीशन व पद से नवाजा गया है । वर्तमान में वे कोटद्वार में अपना आशियाना बनाकर परिवार संग रह रहे हैं। गाँव में शिक्षा, स्वास्थ्य, आधुनिक सुख सुविधाओं, मौलिक संसाधनों, संचार आदि के अभाव में मजबूर होकर कोटद्वार जाना पड़ा।
गाँव में सामुहिक भोजन का भी कार्यक्रम रखा गया था। महिलाएं ढोल दमाऊ के साथ इस खुशी का इजहार कर रही थी। लोग खुशी में खूब झूम व नृत्य कर रहे थे। माहौल बहुत ही ख़ुशनुमा हो गया था। दीवान सिंह रावत कोटद्वार से परिवार सहित आये थे। उनकी शिक्षा दीक्षा आदि राजकीय इन्टर कॉलेज द्वारी से ही हुई थी। उनका अपने गाँव से काफी लगाव है, वे वालीवाल के भी बहुत अच्छे खिलाड़ी होने के साथ पढने में भी अच्छे रहे। गाँव वालों के लिए एक यादगार दिन था वह अपने गाँव में सेना का यह ऑनरेरी कमीशन पाने वाले पहले सैनिक हैं।