48
देहरादून : अध्यक्ष उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग पं. राजेन्द्र अणथ्वाल की अध्यक्षता में पशुधन भवन-मोथरोवाला में उत्तराखण्ड गौ सेवा आयोग की सामान्य कार्यकारिणी की बैठक आहुत की गयी । बैठक में सचिव पशुपालन डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, संयुक्त सचिव राजस्व कृष्ण कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार, निदेशक पशुपालन डॉ. प्रेम कुमार, अपर निदेशक पशुपालन डॉ. अविनाश आनन्द, मुख्य अधिशाषी अधिकारी यूएलडीबी डॉ. राकेश नेगी, पशुचिकित्सा अधिकारी, ग्रेड-1 पशुकल्याण बोर्ड डॉ. उर्वशी, सह निदेशक शहरी विकास राजीव पाण्डेय, उप निदेशक पंचायतीराज मनोज कुमार तिवारी, प्रभारी अधिकारी गो सेवा आयोग डॉ. डीसी सेमवाल एंव उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग के नव नियुक्त सदस्य रामेश्वर दास, महामंडलेश्वर स्वामी श्री ईश्वरदास जी महाराज के प्रतिनिधि-स्वामी पवन दास, शंकर दत्त पाण्डे, धर्मवीर सिंह गुसांई, शीतल प्रसाद, सतीश उपाध्याय, विजय वाजपेयी, राजेन्द्र सिंह नेगी, अनिल सिंह नेगी, गौरी मोलेखी एवं कामिनी कश्यप द्वारा प्रतिभाग किया गया।
सर्वप्रथम उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग में नवनियुक्त सदस्यों का अंगवस्त्र भेंटकर स्वागत के साथ दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम सम्पन्न किया गया। तत्पश्चात बैठक में उत्तराखण्ड गोवंश सरंक्षण अधिनियम 2007 को और अधिक प्रभावी बनाये जाने के लिए अधिनियम की कतिपय धाराओं में संशोधन एवं आयोग में कार्मिकों का ढांचा स्वीकृत किए जाने एवं आयोग की नियमावली प्रख्यापित किए जाने संबंधी प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। आयोग को गौ एवं गौवंश के सरंक्षण हेतु कोई भी बजट प्राप्त न होने के कारण वित्तीय संसाधनों के अभाव में दूसरी संस्थाओं पर निर्भर रहना पड़ता है, उसके लिए हर वित्तीय वर्ष में बजट प्रावधान कराने के निर्देश दिए गये। साथ ही आबकारी, भूमि क्रय एवं अन्य पर शुल्क/सेस लगाकर इससे प्राप्त होने वाली आय को गौ एवं गौवंश के सरंक्षण, संवर्धन एवं विकास के कार्यो पर व्यय किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव पर भी विचार किया गया।
बैठक में वनों के समीप गौचर भूमि पर निराश्रित गौवंश हेतु आदर्श गौशाला एवं गौसदनों को आत्म निर्भर बनाये जाने हेतु गौवंश के गोबर से गैस, गमले, डण्डे (काउ डंग लॉग) दीये, अगरबत्ती आदि तथा गौमूत्र से फिनायल, गौमूत्र अर्क इत्यादि तैयार किए जाने हेतु संयत्रों/मशीनों की खरीद पर सरकार द्वारा 90% अनुदान दिए जाने संबंधी प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया तथा साथ ही गौसदनों/गौशालाओं का आर्थिक बोझ कम किए जाने हेतु उनमें संयोजित विद्युत/पानी के कनेक्शनो को व्यावसायिक से घरेलू कनेक्शनों में परिवर्तित करने संबंधी प्रस्ताव पर पिटिशन विद्युत विनियामक आयोग में डालने के निर्देश दिए गये।
बैठक में गौवंश के प्रति अपराध पर रोक लगाने हेतु पुलिस विभाग द्वारा परिक्षेत्र स्तर पर गठित गौवंश सरंक्षण स्कवायड का प्रत्येक जनपद/थानास्तर तक विस्तारीकरण करने के निर्देश दिए गये। साथ ही राज्य में सभी गौ एवं गौवंश का पंजीकरण सुनिश्चित करने हेतु पशुपालन को निर्देश दिए गये। सड़कों पर गौवंश छोड़ने पर संबंधित के विरूद्ध गौवंश सरंक्षण अधिनियम की धारा-7 के अन्तर्गत कठोर कार्यवाही किए जाने हेतु सभी नगर निकायों/पंचायतों को निर्देश दिए गये है।
उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा 27 अक्टूबर 2016 तथा 10 अगस्त 2018 को पारित आदेश में राज्य के सभी शहरी क्षेत्रों में समस्त नगर निकायों द्वारा एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायतों द्वारा 25-25 ग्रामों के समूह में एक-एक गौशाला/शरणालयों की स्थापना हेतु दिए गये निर्देशों का संबंधित विभागों के स्तर पर अनुपालन अपेक्षित है। राज्य में माह मई-जून, 2023 में प्रस्तावित जी-20 सम्मेलन के दृष्टिगत सड़कों पर विचरण कर रहे सभी निराश्रित गौ एवं गौवंश के प्रबंधन हेतु गौशाला/शरणालयों की स्थायी व्यवस्था करने हेतु ’’शहरी विकास विभाग’’ एवं ’’पंचायतीराज विभाग’’ को निर्देश जारी किए गये।
इसके साथ ही गौसदनों को लीज पर भूमि दिए जाने के सम्बन्ध में जिलाधिकारियों द्वारा शासन को प्रेषित प्रस्तावों पर शासनस्तर पर विलम्ब से कार्यवाही किए जाने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए शीघ्रातिशीघ्र लम्बित प्रस्तावों पर कार्यवाही करने हेतु संयुक्त सचिव, राजस्व विभाग सेे अपेक्षा की गयी। साथ ही जिलाधिकारी स्तर पर गौचर भूमि को गौसदनों हेतु चिन्हित एवं अतिक्रमण मुक्त कराने के भी निर्देश दिए गये। पशुपालकों द्वारा गौवंश के अलाभकारी होने पर सड़कों पर छोड़ने की समस्या के निदान हेतु कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ गौवंश के जन्म से लेकर मृत्यु होने दपर उसके निस्तारण की एक उपयुक्त व्यवस्था तैयार करने हेतु तीन सदस्यीय समिति गठित करने के निर्देश दिए गये। उक्त के अतिरिक्त राज्य के अन्तर्गत संचालित विभिन्न मान्यता प्राप्त एवं अमान्यता प्राप्त गौसदनों/कांजी हाउसों/गौशालाओं में अनियमिता एवं शरणांगत गौवंश को अत्यधिक दयनीय स्थिति में रखने की भी शिकायतें प्राप्त हुयी, जिन पर सर्वप्रथम उन सभी गौसदनों को जिन्हें राजकीय सहायता प्राप्त हो रही है, का समय-समय पर औचिक निरीक्षण करने हेतु जिलाधिकारी एवं आयोग स्तर पर समिति गठित करने के निर्देश दिए गये।